आवाज में भी छाया स्टारडम...जब हॉलीवुड फिल्मों में डबिंग कर छाए बॉलीवुड सितारे, हुई मोटी कमाई
हॉलीवुड फिल्म मुफासा द लॉयन किंग में अपनी आवाज का जादू चलाकर शाह रुख खान ने वाकई किंग कहलाने का काम किया। इस फिल्म को हिंदी ऑडियंस ने जिस तरह का प्यार दिया उससे ये बात बिल्कुल सच साबित हो गई कि उनकी आवाज का भी स्टारडम है। कई बार डबिंग में कलाकारों की आवाज लोग इतनी पसंद करते हैं कि वह उनकी दूसरी पहचान बन जाती हैं।
दीपेश पांडेय, मुंबई। पर्दे पर सितारे विदेशी और आवाज देसी हो तो पात्र अपना सा लगता है। हिंदी सिनेमा के कई सितारों ने हालीवुड फिल्मों की हिंदी डबिंग की है। डबिंग में स्टारडम के महत्व, प्रभाव, सितारों की दिलचस्पी के कारणों व चुनौतियों पर दीपेश पांडेय की ये रिपोर्ट पढ़ें।
अपनी भाषा से जुड़ने से बढ़ जाता है आकर्षण
‘तुझे कुछ नहीं होगा भाई, मैं तेरे साथ हूं।’ हाल ही में रिलीज हुई एनिमेटेड फिल्म ‘मुफासा: द लायन किंग’ में जब शाह रुख खान की आवाज में मुफासा के संवाद सुनाई देते हैं तो वह अपना सा लगने लगता है। दरअसल हालीवुड भाषा की अहमियत को बखूबी समझता है। यही वजह है कि स्थानीय भाषाओं में अपनी फिल्मों को डब करके दुनियाभर में प्रदर्शित करता है। इन फिल्मों के प्रति दर्शकों का आकर्षण बढ़ाने के लिए मेकर्स सुपरस्टार या नामचीन सितारों से फिल्मों की डबिंग करा रहा है।
मुफासा ने दुनियाभर की कितनी कमाई?
हालीवुड एनिमेशन फिल्म ‘मुफासा: द लायन किंग’ के हिंदी डब संस्करण में शाह रुख खान के साथ उनके बड़े बेटे आर्यन खान ने सिंबा के पात्र को आवाज दी है। वहीं छोटे बेटे अबराम ने मुफासा के बचपन के किरदार को आवाज दी है। ‘मुफासा: द लायन किंग’ भारत में 125 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कर चुकी है। हिंदी सिनेमा के सितारों के लिए भी यह आवाज के दम पर जादू चलाने का मौका था, जिसके जरिए वे पहुंच जाते हैं अंतरराष्ट्रीय सिनेमा के पटल पर।
आवाज के साथ कमाई भी होती है तगड़ी
अपनी आवाज के जरिए ये सितारे सिर्फ पहचान ही नहीं पाते बल्कि मोटी कमाई भी करते हैं। बताया जाता है कि बड़े सुपरस्टार्स डबिंग के लिए सात से 10 करोड़ रुपये फीस लेते हैं। हालांकि, उनकी आवाज जुड़ने से फिल्म की कमाई में कई गुना बढ़ जाती है।
इस बारे में ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श का कहना है,‘हालीवुड फिल्मों की डबिंग में भारतीय स्टार्स के नाम जुड़ने से दर्शकों के बीच फिल्म को लेकर उत्सुकता और बढ़ जाती है। जैसे ‘मुफासा : द लायन किंग’ के हिंदी वर्जन में फिल्म को शाह रुख खान ने, तो तेलुगु में महेश बाबू ने आवाज दी है। इसमें कोई दोराय नहीं कि अपनी भाषा के सुपरस्टार के जुड़ने से विदेशी फिल्म की पहुंच और महत्ता बढ़ जाती है।’
मुश्किल था यह अनुभव - करीना
सितारों से डबिंग का एक पहलू यह है कि दर्शक उनकी आवाज से परिचित होते हैं। भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ व लहजा संवाद अदायगी को रोचक बनाता है। साल 2018 में प्रदर्शित ‘डेडपूल 2’ की हिंदी डबिंग में मुख्य पात्र को आवाज देने के अनुभव को लेकर रणवीर सिंह बताते हैं, ‘मेरे लिए यह कुछ नया था। मैंने ‘डेडपूल’ देखी जरूर थी मगर ऐसी भूमिका कभी निभाई नहीं थी। इसकी डबिंग और भी ज्यादा मुश्किल थी, क्योंकि वह किरदार हर परिस्थितियों में बहुत बातें करता है।’
वहीं हालीवुड की प्रख्यात सुपरवुमन ब्लैक विडो पर आधारित आडियो सीरीज मार्वल्स ‘वेस्टलैंडर्स: ब्लैक विडो’ के हिंदी संस्करण में ब्लैक विडो को आवाज देने वालीं करीना कपूर खान का कहना है, ‘डबिंग के दौरान सिर्फ स्क्रिप्ट में लिखी लाइनें बोल देना पर्याप्त नहीं होता, उन्हें महसूस करना होता है, तब आपकी आवाज में बदलाव आता है और असली परफार्मेंस निकलकर आती है।’
पहचान बनती आवाज
कई बार डबिंग में कलाकारों की आवाज लोग इतनी पसंद करते हैं कि वह उनकी दूसरी पहचान बन जाती हैं। भारत में 188 करोड़ रुपये कमाने वाली फिल्म ‘द जंगल बुक’ के हिंदी संस्करण में बघीरा की भूमिका में दिवंगत अभिनेता ओम पुरी की आवाज अविस्मरणीय है। ‘द लायन किंग’ और ‘मुफासा : द लायन किंग’ की हिंदी डबिंग में टिमोन के पात्र में भी अभिनेता श्रेयस तलपड़े की आवाज खूब पसंद की गई। श्रेयस कहते हैं, ‘खुशी है, क्योंकि मैं जहां दिखा नहीं, उसके लिए भी प्यार मिल रहा है। आज आवाज भी पहचान बन गई है। अब टिमोन बच्चों का चहेता है।’
डबिंग के साथ प्रमोशन भी
डबिंग के साथ सितारे इन फिल्मों का प्रमोशन भी करते हैं। ऐश्वर्या राय बच्चन ने साल 2019 में प्रदर्शित फिल्म ‘मलेफिसेंट: मिस्ट्रेस आफ इवल’ में पात्र मलेफिसेंट को आवाज दी थी। भारत में फिल्म के प्रमोशन के दौरान ऐश्वर्या राय बच्चन ठीक उसी वेशभूषा में पहुंचीं, जैसा मुख्य पात्र का था। यह मार्केटिंग रणनीति फिल्मों की पहुंच बनाने के साथ बाक्स आफिस की कमाई में भी योगदान करती है।
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