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फिल्म और वेब सीरीज में कैद होती कोरोना महामारी की कहानियां, कई प्रोजेक्ट्स की हो सकती है जल्द घोषणा

Webseries and Movies Related to Coronavirus फिल्में समाज का आईना मानी जाती हैं। आसपास जो घटता है उसकी झलक फिल्मों में होती है। पिछले साल जब कोरोना का कहर टूटा तब फिल्ममेकर्स ने इसमें भी नई कहानियां ढूंढ़ लीं।

By Nazneen AhmedEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 10:37 AM (IST)Updated: Sat, 24 Apr 2021 04:26 PM (IST)
फिल्म और वेब सीरीज में कैद होती कोरोना महामारी की कहानियां, कई प्रोजेक्ट्स की हो सकती है जल्द घोषणा
Photo Credit - Amazon Prime Youtube UNPaused Poster

प्रियंका सिंह, दीपेश पांडेय, जेएनएन। फिल्में समाज का आईना मानी जाती हैं। आसपास जो घटता है, उसकी झलक फिल्मों में होती है। पिछले साल जब कोरोना का कहर टूटा, तब फिल्ममेकर्स ने इसमें भी नई कहानियां ढूंढ़ लीं। कोविड 19 वायरस या लॉकडाउन की पृष्ठभूमि में कुछ वास्तविक तो कुछ काल्पनिक कहानियों को जोड़कर 'अनपॉज्ड’, 'होम स्टोरीज’, 'द गॉन गेम’, 'मेट्रो पार्क क्वारंटाइन एडिशन’ जैसी कई एंथोलॉजी फिल्में और वेब सीरीज बनाई गईं। इसके बाद कई प्रोजेक्ट्स की घोषणा मधुर भंडारकर, अनुभव सिन्हा, विपुल अमृतलाल शाह जैसे मेकर्स ने की है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच कहां तक पहुंचा है इन फिल्मों और वेब सीरीज का काम, किस फॉर्मेट में इन कहानियों को बनाना है संभव है, इसकी पड़ताल की प्रियंका सिंह व दीपेश पांडेय ने..

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मानवीय कहानियां बननी चाहिए: फिल्ममेकर मधुर भंडारकर ने अपनी फिल्म 'इंडिया लॉकडाउन’ की शूटिंग पूरी कर ली है। उनका कहना है कि पिछले साल लॉकडाउन के दौरान लोगों को विभिन्न परेशानियों से जूझते देखकर इस फिल्म को बनाने का खयाल आया था। इसकी शूटिंग पूरी हो चुकी है। यह एक मानवीय कहानी है, जिसमें अलग-अलग लोगों की अलग-अलग परिस्थितियों में प्रतिक्रियाओं और उनके साथ हो रही घटनाओं को दिखाया गया है। मैंने करीब आठ महीने अपने लेखकों के साथ बैठकर रिसर्च की। लॉकडाउन के दौरान विभिन्न परिस्थितियों का शिकार हुए कई लोगों से बातचीत की और जाना कि उन्हें आर्थिक और व्यावहारिक तौर पर किस तरह के संघर्ष से गुजरना पड़ा है। इस तरह की वास्तविक घटनाओं पर आधारित फिल्मों से दर्शकों का भावनात्मक जुड़ाव होता है, इसलिए ऐसी कहानियां बननी चाहिए। फिलहाल फिल्म का पोस्ट प्रोडक्शन का काम चल रहा है। इस फिल्म को हमने सिनेमाघरों के लिए ही बनाया है, लेकिन मौजूदा दौर में सिनेमाघरों की हालात देखते हुए हम मई महीने के बाद ही फैसला लेंगे कि यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होगी या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर।

मेडिकल ट्रायल्स की कहानी पर मेकर्स की नजर: कोरोना संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीन अहम भूमिका निभा रही है। ऐसे में इसके आसपास भी कहानियां रची जा रही हैं। 'आंखें’, 'नमस्ते लंदन’ जैसी कमर्शियल फिल्में बनाने वाले निर्देशक विपुल अमृतलाल शाह अपनी वेब सीरीज 'ह्यूमन’ में मेडिकल ट्रायल की दुनिया से पर्दा उठाएंगे। हालांकि इस पर विपुल ने काम तब शुरू किया था, जब कोरोना के बारे में किसी ने सुना भी नहीं था। विपुल कहते हैं कि मैं इस पर साढ़े तीन साल से काम कर रहा हूं, लेकिन आज ड्रग ट्रायल शब्द इतना आम हो चुका है, लोग इससे रिलेट करेंगे। यह शो दुनिया भर में चल रहे मेडिकल ट्रायल्स के बारे में हैं, जो मानवता और समाज के लिए बहुत बड़ा विषय है। हमने दर्शकों के लिए 'ह्यूमन ट्रायल्स’ की प्रक्रिया को सरल बनाने की कोशिश की है, इसीलिए हमें लिखने में काफी समय लगा। शेफाली शाह, कीर्ति कुल्हारी, सीमा बिस्वास अभिनीत इस सीरीज का हिस्सा बनेंगे।

विपुल कहते हैं कि इस माहौल में फिलहाल इस सीरीज पर काम रुका हुआ है। हमें भी नहीं पता कि हालात क्या होंगे और काम कब शुरू हो पाएगा। कई और फिल्मों की घोषणा संभव कोरोना काल में परेशान हुए लोगों की कहानी से प्रेरित होकर अनुभव सिन्हा ने सुधीर मिश्रा, केतन मेहता, हंसल मेहता, सुभाष कपूर के साथ मिलकर पांच कहानियों वाली एंथोलॉजी फिल्म बनाने की घोषणा की थी। फिलहाल उस फिल्म को लेकर बात आगे नहीं बढ़ी है। लेकिन अगर ट्रेड एनालिसिस्ट कुमार मोहन की मानें तो इस विषय पर आधारित कई कहानियों की घोषणा संभव है। वह कहते हैं कि समसामयिक मुद्दों और घटनाओं पर फिल्में बनना कोई नई चीज नहीं है। लार्जर दैन लाइफ वाली कमर्शियल फिल्मों की अपनी जगह है, लेकिन सुनामी या बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा या फिर युद्ध या आंतकी हमले जैसी घटनाओं पर फिल्मकारों की दिलचस्पी हमेशा से रही है। फिलहाल परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं तो ज्यादा फिल्मों की घोषणा नहीं हुई है। फिल्म बनाना एक क्रिएटिव काम है, निर्देशक और निर्माता ऐसे विषयों पर आराम से काम करना पसंद करते हैं। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर चल रही है, इसमें भी कई दिलचस्प और मार्मिक कहानियां सामने आ रही हैं, लिहाजा फिल्मकारों की नजर भी इन कहानियों पर भी होगी।’

डिजिटल बनाम थिएटर

पिछले एक साल से सिनेमाघर बंद होने के कारण कोरोना संक्रमण या लॉकडाउन पर जितनी भी फिल्में बनीं उन्हें डिजिटल पर देखा गया। 'स्कैम 1992- द हर्षद मेहता स्टोरी’ वेब सीरीज की अभिनेत्री श्रेया धनवंतरी ने पिछले साल 'ए वायरल वेडिंग’ नाम की मिनीसीरीज का लेखन और निर्देशन किया, जिसमें एक युगल की शादी की योजनाओं पर कोरोना का साया पड़ जाता है। श्रेया कहती हैं कि जब मैंने यह सीरीज बनाई थी, तब मेकर्स और दर्शक उसी सिचुएशन में थे। अब भी हैं, लेकिन पता नहीं अब लोग ऐसी कहानियां देखना चाहेंगे या नहीं। पिछले साल कोरोना काल में घर पर रहकर बनाई गई साइकोलॉजिकल थ्रिलर वेब सीरीज 'द गॉन गेम’ की अभिनेत्री श्वेता त्रिपाठी कहती हैं कि डिजिटल पर ये कंटेंट ज्यादा आए क्योंकि थिएटर्स बंद थे। इन विषयों पर थिएटर के लिए भी फिल्में बन सकती हैं। सब कुछ कहानी पर निर्भर करता है। यह एक तरीके का डॉक्यूमेंटेशन है कि साल 2020 या 2021 में क्या हुआ था। हम सब अपने-अपने बबल में रहते हैं। जब एक ऐसा कंटेंट बनता है, जिससे हर किसी की जिंदगी प्रभावित हुई हो तो लोग उससे जुड़ पाते हैं।

एंथोलॉजी फिल्मों में ज्यादा स्कोप

नेटफ्लिक्स की एंथोलॉजी फिल्म 'होम स्टोरीज’ के सह लेखक और इसकी चार में से एक कहानी का निर्देशन करने वाले निर्देशक-लेखक साहिर सेठी कहते हैं कि पिछले साल मई में जब इस फिल्म को बनाने का मौका आया था, तब लॉकडाउन, कोरोना सब कुछ नया था। दिलचस्प कहानी थी कि जो इंसान अपने घर से निकलने से डरता है। एक दिन जब वह निकलता है और लॉकडाउन हो जाता है तो क्या स्थिति होती है। हमारे पास कहानी का बेस रेडी था, उसमें काल्पनिक किरदार को डालना था। एक फिल्म को चार या पांच अलग कहानियों में डालकर एंथोलॉजी बनाना इस मुद्दे पर ज्यादा सही होता है, क्योंकि कोरोना काल में हर किसी की अपनी कहानी रही है। एंथोलॉजी फॉर्म में यह फिल्में थिएटर और डिजिटल दोनों पर पसंद की जाएंगी।

एंथोलॉजी फिल्म 'अनपॉज्ड’ की एक कहानी का निर्देशन करने वाली निर्देशक तनिष्ठा चटर्जी कहती हैं कि थिएटर में रिलीज करने के लिए बड़ी फिल्में बनानी पड़ती हैं। ऐसे में वह कहानियां जो हमारे आपके बीच की हैं, वे कहीं खो जाती हैं। डिजिटल पर एंथोलॉजी वाली फिल्मों में शॉर्ट कहानियों के फॉर्मेट में अलग कहानियों को एक्सप्लोर किया जा सकता है। किरदारों का ग्राफ लंबा नहीं होता है, लेकिन एक स्लाइस ऑफ लाइफ वाली कहानियां बन जाती हैं।

अपने अनुभवों को फिल्म में रखा इंडिया लॉकडाउन फिल्म की अभिनेत्री आहना कुमरा कहती हैं कि फिल्म में मैं एक पायलट के किरदार में हूं, जो आसमान से निकलकर सीधे एक घर में कैद हो जाती है। मेरे किरदार और उसके पड़ोसी के बीच बुनी गई यह एक मैच्योर कहानी होगी। लॉकडाउन में हमने जो महसूस किया या जिन परिस्थितियों में रहे, उसे निभाना आसान था, क्योंकि हमने इसे करीब से देखा है। फिल्म में प्रवासी मजदूरों की कहानियां भी हैं। सब एक ही परिस्थिति में अटके हुए थे। ऐसी कहानियों को लोग जब देखेंगे तो उसमें खुद को पाएंगे, क्योंकि जो भावनाएं हमने दिखाई हैं, वे सच्ची हैं।


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