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    फिल्मों में आने से पहले दवाइयां बेचता था ये अभिनेता, 200 मूवीज कर जमाई धाक, इस सुपरस्टार के हैं पिता?

    Updated: Fri, 15 Mar 2024 07:32 PM (IST)

    सिनेमा जगत में कई ऐसे फिल्मी सितारे हैं जो कड़े संघर्ष के बाद सुपरस्टार के मुकाम पर पहुंचे हैं। उन फिल्मी कलाकारों की जर्नी हर किसी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनती है। आज इस लेख में हम एक ऐसे ही अभिनेता के बारे में जिक्र करने जा रहे हैं जो एक्टर बनने से पहले मेडिकल की दुकान पर दवाइयां बेचता था।

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    संघर्ष में गुजरा इस एक्टर का जीवन (Photo Credit-jagran)

     एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। फिल्मों का नायक अपनी दमदार पर्सनैलिटी, बुलंद आवाज और गुड लॉकिंग के तौर पर जाना जाता है। लेकिन उसके स्ट्रगल के दिनों की कहानी भी काफी रोचक रहती है। हिंदी सिनेमा में कई ऐसे कलाकार हैं, जिनकी संघर्ष की जर्नी काफी प्रेरणादायक साबित होती है।

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    उनमें से एक हैं दिग्गज अभिनेता Suresh Oberoi हैं, जोकि सुपरस्टार विवेक ओबरॉय के पिता हैं। सुरेश अपने दमदार अभिनय के लिए काफी जाने जाते हैं। फिल्मों में आने से पहले उन्होंने काफी मेहनत की है और सिनेमा जगत में अपनी धाक जमाई। एक्टर बनने के लिए सुरेश का सफर कभी भी आसान नहीं रहा।  ऐसे में आइए जानते हैं कि फिल्मों में आने से पहले सुरेश ओबरॉय ने क्या काम करते थे।

    एक्टर बनने से पहले किया ये काम

    सुरेश ओबरॉय हिंदी सिनेमा के उन चुनिंदा अभिनेताओं में से एक हैं, जिन्होंने अमिताभ बच्चन, जितेंद्र और धर्मेंद्र के गोल्डन एरा के समय में भी फिल्म इंडस्ट्री में अपना लोह मनवाया। अभिनय का हुनर सुरेश में शुरुआत से ही कूट-कूट कर भरा था, लेकिन संघर्ष के दिनों में ये हुनर पेट पालने के लिए काफी नहीं था। 

    तबस्सुम टाकीज को दिए इंटरव्यू में सुरेश ने काफी समय से पहले अपने शुरुआती जीवन को लेकर खुलकर बात की थी। अभिनेता ने बताया था- मेरे पिता की एक मेडिकल का स्टोर था, जोकि हैदराबाद में मौजूद था। मैंने दुकान पर काफी समय तक काम किया दवाइयां बेचीं। हालांकि व्यक्तिगत तौर पर मैं ये काम बिल्कुल भी नहीं करना चाहता था। लेकिन उस वक्त मेरे पास कोई और चारा भी नहीं था। 

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    मुंबई में खाए दर-दर धक्के

    अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए सुरेश ने कहा- मैंने पुणे के फिल्म इंस्टीट्यूट से दो साल की की पढ़ाई की और फिर वापिस मुंबई आया। मेरे पास मायानगरी में आकर करने को कोई काम नहीं था। इसके बाद कई सालों तक मैंने रेडियो में भी काम किया है, जहां से मैंने कैमरा फेस करना सीखा। साथ ही कई एड फिल्म्स भी कीं।

    कॉलेज के दिनों मैंने इंस्टीट्यूट में मेरे पास एक फिल्म थी, जो एड फिल्म के साथ ज्वाइन कर के मैं हर निर्माता को दिखाता था। ऐसा मैंने कई प्रोड्यूसर के सामने किया। मैं लगातार उन्हें कॉल करता था, जा-जाकर मिलता था और थिएटर में शो भी रखवाता था।

    47 साल में करीब 200 फिल्में में किया काम

    साल 1977 में सुरेश ओबरॉय ने फिल्म जीवन मुक्त से हिंदी सिनेमा में कदम रखा था। इसके बाद सुरेश ने काला पत्थर, एक बार फिर, लावारिस, नमक हलाल, कुली और राजा हिंदुस्तानी जैसी कई फिल्मों में काम किया है। इनमें से एक बार वो फिल्म थी, जिसमें पहली बार सुरेश लीड रोल में दिखे। 

    1987 में आई फिल्म मिर्च मसाला के बाद से सुरेश का करियर एक दम चमक गया और इस मूवी में सपोर्टिंग रोल के लिए अभिनेता को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला। मालूम हो कि सुरेश ओबरॉय ने अपने 47 साल के फिल्मी करियर में करीब 200 फिल्में की हैं। आखिरी बार उन्हें बीते साल आई रणबीर कपूर की मेगा ब्लॉकबस्टर फिल्म में देखा गया। 

    आवाज ने दिलाई पहचान 

    सुरेश ओबरॉय की पर्सनलिटी ही नहीं बल्कि दमदार आवाज भी उन्हें फिल्म का नायक बनाने के लिए कारगर साबित हुई। बेहतरीन आवाज के दम पर ही रेडियों में काफी साल काम करने के बाद फिल्मों में डायलॉग्स डिलिवरी के दौरान भी सुरेश फैंस का दिल बखूबी जीता।

    एक्टर की तरह से उनके बेटे विवेक ओबरॉय ने भी हिंदी सिनेमा में खूब नाम कमाया है। हाल ही में विवेक को डायरेक्टर रोहित शेट्टी की वेब सीरीज इंडियन पुलिस फोर्स में देखा गया है। सिर्फ इतना ही नहीं आने वाले वक्त में विवेक ओबरॉय अपनी सुपरहिट फिल्म फ्रेंचाइजी मस्ती के चौथे पार्ट में भी दिखेंगे। 

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