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    2 देश...2 धर्म...5 शादियां, चंदे के पैसों से अंतिम संस्कार, दिल छलनी कर देगी 'लारा लप्पा गर्ल' की दास्तां

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 12:00 PM (IST)

    बंटवारे के बाद एक ऐसी हीरोइन आई जिसने शौहरत भी पाई तो फिर आर्थिक तंगी का दर्द भी झेला। आज हम आपको एक ऐसी अभिनेत्री की कहानी बताएंगे, जिसने बंटवारे से पहले सिनेमा में काम करना शुरू किया, लेकिन पाकिस्तान में पली-बढ़ी वो हीरोइन पाकिस्तान में ही रह गई और हिंदी सिनेमा में उन्होंने कई फिल्मों में काम किया। 5 शादियों के बाद अंतिम समय में इस एक्ट्रेस का अंतिम संस्कार भी चंदे के पैसों से किया गया। आइए बताते हैं आपको उसी एक्ट्रेस की दर्दभरी कहानी...

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    पाकिस्तान के लिए छोड़ दिया था हिंदू पति

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली. नाम, पैसा, शौहरत, घर, परिवार, प्यार...ये सब यहीं रह जाता है। सिनेमा में कई ऐसे सितारे रहे, जिन्होंने सबकुछ हासिल किया लेकिन अफसोस वो अंत में अकेले ही पड़ गए। कुछ यही हुआ उस एक हीरोइन के साथ, जिसने 5 बार शादी की लेकिन फिर भी वो अकेली रही। कई बड़ी फिल्मों में काम किया, लेकिन जिंदगी के अंतिम पड़ाव में वो पाई-पाई को मोहताज हुई। आर्थिक तंगी का दर्द भी ऐसा कि मानो सारी शौहरत धरी की धरी रह गई। आज हम आपको एक ऐसी अभिनेत्री की कहानी बताएंगे, जिसने बंटवारे से पहले सिनेमा में काम करना शुरू किया, लेकिन पाकिस्तान में पली-बढ़ी वो हीरोइन पाकिस्तान में ही रह गई और हिंदी सिनेमा में उन्होंने कई फिल्मों में काम किया। आइए बताते हैं आपको उसी एक्ट्रेस की दर्दभरी कहानी...

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    पाकिस्तान में हुआ था मीना का जन्म
    रिश्तों का अंत दर्दनाक होता है, ये हमने सिर्फ देखा और पढ़ा है, लेकिन मीना शौरी के साथ हुआ भी यही था। मीना के मोहब्बत में दर-दर ठोकर खाने वाली कहानी हम आपको आगे बताएंगे लेकिन पहले जानते हैं कि आखिर मीना का बचपन कैसा बीता। मीना शौरी का जन्म पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब में हुआ था। हालांकि तब दोनों देशों का बंटवारा नहीं हुआ था। मीना का असली नाम खुर्शीद बेगम था। लाहौर में मीना पली-बढ़ीं थीं। बचपन में ही गरीबी की चादर ओढ़कर मीना शौरी को सोना पड़ता था।

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    चार भाई बहनों में मीना दूसरे नंबर की थीं। पिता पहले जमीदार थे, लेकिन संपत्ति जाने के बाद सब लुट गया और तंगहाली में परिवार का जीवन गुजरने लगा। आर्थिक तंगी ऐसी थी कि पिता मीना की मां के साथ और बहनों के साथ मारपीट करते थे। अब परिवार में एक बड़ी बहन थी, तो उसकी शादी मुंबई हो गई। बड़ी बहन का रिश्ता अच्छे घर में हुआ। बस यही चाहत मीना शौरी को मुंबई ले आई। अब मीना शौरी मुंबई आईं तो यहीं से उन्होंने अपने सपनों को उड़ान देने की कोशिश की।

    सोहराब मोदी ने मीना को बनाया हीरोइन
    मीना के मुंबई आने की कहानी भी दिलचस्प रही। दरअसल मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखने वाली मीना के पिता नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी हीरोइन बने, लेकिन हालातों के आगे उन्हें भी घुटने टेकने पड़े। मीना के पिता ने उन्हें प्ले में जाने की इजाजत दे दी। दरअसल मीना उस वक्त नाटकों में हिस्सा लेती थी। इसी बीच जब मीना मुंबई आईं तो उनके जीजा उन्हें एक फिल्म के मुहूर्त सेट पर ले गए। यहां सोहराब मोदी की नजर मीना पर पड़ी। साल 1941 में आई ये फिल्म सिकंदर थी और इसी फिल्म में सोहराब मोदी ने मीना की खूबसूरती देखकर उन्हें एक रोल ऑफर कर दिया। फिर क्या था, सोहराब मोदी ने खुर्शीद बेगम को बना दिया मीना।

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    कॉन्ट्रैक्ट के चलते गंवाई बड़ी फिल्में
    सिकंदर फिल्म हिट हुई तो मीना को कई और फिल्मों के ऑफर मिलने लगे। रूप के शौरी ने मीना को शालीमार और महबूब खान ने हुमायूं में काम करने का ऑफर दिया। इसके अलावा और भी कई फिल्मों के ऑफर उन्हें मिलने लगे। अब फिल्मो में मीना की पहचान बनने लगी थी और आर्थिक स्थित भी ठीक होने लगी थी। हालांकि इस बीच उनकी सोहराब मोदी के साथ अनबन भी हुई, क्योंकि उन्होंने फिल्म का कॉन्ट्रैक्ट भी तोड़ दिया था। बदले में मीना को 3 लाख रुपए चुकाने को कहा गया। हालांकि बाद में सोहराब मोदी की पत्नी ने ये रकम कम कराई और 30 हजार में बात बन गई। हालांकि इस कॉन्ट्रैक्ट के चलते मीना को कई फिल्मों से हाथ धोना पड़ा था।

    पहली फिल्म के को-स्टार से कर ली शादी
    इधर फिल्मों में मीना का नाम चल पड़ा तो उधर पर्सनल लाइफ में भी मीना की जिंदगी में कुछ और हो रहा था। दरअसल सिकंदर फिल्म की शूटिंग करते हुए मीना को एक्टर-प्रोड्यूसर जगूर राजा से प्यार हो गया। प्यार हुआ तो बात शादी तक पहुंच गई। मीना इस वक्त महज 19 साल की ही थी और फिर दोनों ने इसी साल 1941 में शादी कर ली। शादी 6 महीने भी नहीं चली। दोनों ने तलाक भी 6 महीने में ही ले लिया।

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    बंटवारे के बाद बनीं 'लारा लप्पा गर्ल'
    कहा जाता है कि, एक तरफ मीना के कॉन्ट्रैक्ट का फायदा सोहराब मोदी ने उठाया था तो दूसरी तरफ सफलता अभी मीना का इंतजार कर कर रही थी। भारत-पाक विभाजन के कारण लाहौर में रूप के शौरी का धंधा ठप पड़ गया। उनका स्टूडियो जला दिया गया था और इससे उन्हें काफी नुकसान हुआ था। इसके बाद वो अपनी अधूरी पंजाबी फिल्म चमन लेकर मुंबई आ गए। यहां मीना के पैसों से चमन पूरी की। ये भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद की पहली पंजाबी सुपरहिट फिल्म रही।

    इसके अलावा उन्होंने एक नई फिल्म एक थी लड़की (1949) का ऐलान भी किया। इस फिल्म में मोतीलाल और मीना की जोड़ी थी। फिल्म का गाना लारा लप्पा लारा लप्पा...खूब हिट हुआ। इस गाने को लता मंगेशकर ने आवाज दी थी और गाने की धमक दोनों देशों में गूंजी। भारत के साथ -साथ इस गाने को पाकिस्तान में भी खूब पसंद किया जाता था। इसके बाद मीना ने भारत में तेरी निशानी, अनमोल रतन, ढोलक, एक दो तीन समेत कई फिल्मों में काम किया।

    मीना की पांच शादियां रहीं नाकाम
    जगूर राजा से पहली शादी टूटने के बाद साल 1945 में मीना ने एक्टर अल नासिर के साथ निकाह कर लिया। शादी के कुछ दिन तो बहुत अच्छे से गुजरे थे, लेकिन शादी के कुछ दिन बाद मीना और अल नासिर का भी तलाक हो गया और इसका खुलासा 1947 में हुआ, जब अल नासिर ने दूसरी शादी की। दो शादियां टूटने के बाद मीना की तीसरी शादी किसी और से नहीं बल्कि फिल्ममेकर और एक्टर रूप के. शौरी के साथ ही हुई थी। रूप के. शौरी से शादी के बाद मीना ने अपना सरनेम भी बदल लिया और ये शादी कई सालों तक चली। इसी के चलते मीना ने कई हिट फिल्मों में काम किया था और वो एक सफल हीरोइन के तौर पर जानी गईं।

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    हिंदू धर्म अपनाकर पति का सरनेम शौरी भी उन्होंने अपने नाम के साथ इसी शादी से जोड़ा। इसके बाद साल 1956 में रूप के. शौरी और मीना को पाकिस्तानी फिल्म प्रोड्यूसर जे.सी. आनंद ने साल मिस 56 नाम की एक फिल्म के लिए पाकिस्तान बुलाया। इस फिल्म के लिए दोनों पाकिस्तान गए, रूप.के शौरी तो भारत वापस आ गए लेकिन मीना वहीं रह गईं। इसी बात पर दोनों की शादी भी टूट गई, क्योंकि पाकिस्तान में अपना रुतबा देख मीना काफी चौंधिया गईं। इसी बीच उन्हें लक्स का विज्ञापन भी मिला और मीना पाकिस्तान की पहली लक्स गर्ल बन गईं। पाकिस्तान में बसते ही मीना ने दोबारा इस्लाम कबूल कर लिया और फिर पाकिस्तानी फिल्मों में काम करते हुए मीना ने प्रोड्यूसर रजा मीर से चौथी शादी की लेकिन ये शादी भी टूट गई। इसके बाद 1963 मीना ने अपनी फिल्म के को-स्टार असद बुखारी से पांचवीं शादी की, लेकिन ये शादी भी टूट गई।

    तंगहाली में बीता अंतिम समय
    मीना को फिल्में कम मिलने लगीं। साल 1958 के बाद मीना फ्लॉप फिल्में देने लगीं। हीरोइन के बाद मीना को छोटे-मोटे रोल मिलने लगे और वो ये भी करने लगीं। उधर कहा जाता है कि मीना का पांचवा पति उनके साथ खूब मारपीट करता था। साल 1960 में मीना ने भारत आने की कोशिश भी की और एक फिल्म भी मिली, लेकिन ऐसा हो ना सका। धीरे-धीरे मीना की जिंदगी पाकिस्तान में तंगहाली में बीतने लगी। जमा पूंजी भी खत्म हो रही थी और पैसे भी खत्म हो चुके थे।

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    इस बीच मीना के तीसरे पति रूप के.शौरी को मीना की हालत के बारे में पता चला तो वो छुपकर मीना की आर्थिक मदद करते थे, क्योंकि वो मीना से अब भी प्यार करते थे। मीना आलीशान घर छोड़ किराए के घर में आ गईं और दो कमरों के घर में रहने लगीं। 1973 में रूप के. शौरी का निधन हो गया और फिर मीना को पैसे मिलने भी बंद हो गए। साल 1979 में आई फिल्म तराना मीना की आखिरी फिल्म थी। 3 सितंबर 1989 को मीना ने दम तोड़ दिया। ना परिवार का कोई मीना के पास और ना उनका कोई पति। मुश्किल ऐसी आई कि पड़ोसियों ने चंदा इकट्ठा करके मीना को सुपुर्द-ए-खाक किया गया।

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