Valentine Day 2024: इस प्रेम-कहानी पर बनी दर्जनभर से ज्यादा फिल्में, बड़े पर्दे पर ये सेलेब्स बने 'हीर-रांझा'
Valentine Day and Heer Ranjha रोचक प्रेम कहानियों पर सिनेमा जगत में यूं तो कई फिल्में बनी हैं। लेकिन हीरा-रांझा की लव स्टोरी हमेशा से फिल्ममेकर्स की पहली पसंद रही है। जिसके चलते इस लोक प्रेम-कथा पर एक ही टाइटल की दर्जन भर से ज्यादा फिल्में बनीं। वैलेंटाइन वीक स्पेशल के तौर पर आज प्यार इश्क और मोहब्बत में हीर-रांझा की चर्चा की जाएगी।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Heer Ranjha And Valentine Day 2024: प्यार वो खूबसूरत एहसास होता है, जिसके बिना जीवन अधूरा रहता है। कई ऐसी प्रेम कहानी रही हैं, जो रियल लाइफ में हर किसी को प्रेरणा देती हैं और लव की नई परिभाषा बताती हैं। ऐसे में वैलेंटाइन वीक में प्यार, इश्क और मोहब्बत की बाते काफी की जाती हैं। प्रेम के इस सप्ताह में हम कई सच्ची और लोकप्रिय लव स्टोरी के बारे में विस्तार से बात करेगें।
आज हीर-रांझा की अमर लोक प्रेम कथा के बारे में जिक्र करते हैं और बताएंगे कि किस तरह से ये प्रेम कहानी फिल्ममेकर्स की पहली पसंद बनी। साथ ही साथ के वो कौन से कलाकार रहे, जिन्होंने बड़े पर्दे पर हीर-रांझा का किरदार निभाया।
हीर-रांझा की प्रेम-कहानी पर बनी कई मूवीज
पॉपुलर लव स्टोरी में हीर-रांझा का नाम हमेशा शीर्ष पर काबिज रहता है। इस अमर लोक कथा पर फिल्ममेकर्स ने काफी दांव खेला। साल 1928 से लेकर 2011 तक हीर-रांझा को लेकर एक नहीं बल्कि 12 से लेकर करीब 20 फिल्में बनीं। इस दौरान कई मूवीज के टाइटल हीर-रांझा ही थे और कई हीर-सियास जैसे अलग-अलग नाम से भी जानें गए।
इस दौरान इस प्रेम कहानी को बॉलीवुड, पाकिस्तान और पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में हिंदी, उर्दू और पंजाबी जैसी अन्य भाषाओं के जरिए सिल्वर स्क्रीन पर पेश किया गया। लेकिन जब-जब हीर-रांझा की कहानी सिनेमाघरों में दिखाई गई, तब-तब वह कारगर साबित हुई।
हीर-रांझा पर बनी पहली फिल्म
आजादी से पहले के भारत में हीरा-रांझा की लव स्टोरी पर पहली फिल्म साल 1928 में बनी। इस फिल्म में हीर-रांझा की कहानी को बखूबी दर्शाया गया।
जुबैदा बेगम हिंदी सिनेमा की पहली एक्ट्रेस थीं, जिन्होंने फिल्मों में हीर की भूमिका को निभाया। जुबैदा की मां और तत्तकालीन दिग्गज फिल्म निर्देशक रहीं फातिमा बेगम ने इस फिल्म का निर्माण किया। जबकि जानी बाबू ने इस मूवी में रांझा का किरदार अदा किया।
राज कुमार ने रांझा बन जीता सबका दिल
हीर-रांझा की कहानी पर अगर कोई मूवी सबसे अधिक प्रसिद्ध हुई तो वह साल 1970 में आई राज कुमार स्टारर हीर-रांझा रही। निर्देशक चेतन आनंद के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म ने हर किसी के दिल को जीता। खासतौर पर इस रोमांटिक-म्यूजिकल मूवी में रांझा के किरदार में राज कुमार ने अपनी अनूठी छाप छोड़ी।
जबकि हीर के रोल में प्रिया राजवंश ने अपनी खास पहचान बनाई। इस फिल्म के यूं तो सभी गाने बेहतरीन थे, लेकिन मोहम्मद रफी साहब की जादुई आवाज में 'ये दुनिया ये महफिल' अपने आप में बेहद उम्दा गीत है।
अनिल कपूर और श्री देवी की हीर-रांझा
सिर्फ राज कुमार जैसे दिग्गज अभिनेता ही बड़े पर्दे पर रांझा नहीं बने थे। इस कड़ी में अनिल कपूर का नाम भी शामिल है। हीर-रांझा प्रेम कहानी को डायरेक्टर हर्मेश मल्होत्रा ने साल 1992 में सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया। इस बार हीर-रांझा की जोड़ी में उस समय के सबसे बड़े सुपरस्टार्स अनिल कपूर और श्री देवी दिखे।
इस जोड़ी ने शानदार एक्टिंग का प्रदर्शन कर दर्शकों को बदलते दौर में हीर-रांझा की महत्वता बताई। इस मूवी को 32 साल का वक्त बीत गया है, लेकिन जिस तरह से इसमें हीर-रांझा की लव स्टोरी को दर्शाया गया है, वह देखना एक शानदार अनुभव है।
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पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री ने बनाई हीर-रांझा
बॉलीवुड और पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री के अलावा पंजाबी सिनेमा जगत ने भी हीर-रांझा की कहानी को मूवी को रूप दिया। चूकिं इस कहानी को पंजाब की अमर प्रेम लोक-कथा माना जाता है, उसके आधार पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री को इस लव स्टोरी पर फिल्म बनाना तो बनता है।
गुजरे दौर के बाद आधुनिक युग में एक बार फिर पंजाबी फिल्म जगत में हीर-रांझा को लेकर फिल्म बनी। साल 2009 में इसे रिलीज किया गया, जिसमें दिग्गज पंजाबी एक्टर हरभजन मान ने रांझा और एक्ट्रेस नीरू बाजवा ने हीर का रोल प्ले किया।
रणबीर कपूर की रॉकस्टार का नाम भी शामिल
साल 2011 में फिल्ममेकर इमित्याज अली के निर्देशन में एक फिल्म बनी, जिसका नाम रॉकस्टार रहा। इस मूवी में सुपरस्टार रणबीर कपूर और एक्ट्रेस नरगिस फाखरी ने अहम भूमिकाओं को अदा किया। रॉकस्टार की कहानी को कहीं न कहीं हीर-रांझा की लव स्टोरी से प्रेरित माना गया।
आलम ये रहा कि रॉकस्टार सफलता का स्वाद चखा और एक बार फिर से ये साबित किया, चाहें दौर बदलें, साल बदले और बदलें अरसे, लेकिन हीर-रांझा की प्रेम कहानी हमेशा अमर है।
क्या हीर-रांझा की कहानी
बताया जाता है कि साल 1766 में पंजाबी कवि वारिस शाह ने महाकाव्य हीर-रांझा की कहानी को लिखा था। जिसमें रांझा अपनी हीर का साथ आखिरी सांस तक साथ देता है और अंत वह प्रेमिका के संग ही इस दुनिया को अलविदा कहता है।
इन दोनों की ये प्रेम कहानी काफी दिलचस्प है, जिसका लुत्फ आप ऊपर दी गई मूवीज के जरिए आसानी से उठा सकते हैं।
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