'बहुत ज्यादा नेगेटिविटी...' Tusshar Kapoor ने खोल दी इंडस्ट्री की पोल, कहा- हर समय लोग आपको जज करते हैं
तुषार कपूर हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं। एक्टर जाने माने अभिनेता जितेन्द्र के बेटे और टेलीविजन हस्ती एकता कपूर के भाई हैं। एक्टर इन दिनों अपनी फिल्म कपकपी को लेकर चर्चा में हैं। इस फिल्म में उनके साथ श्रेयस तलपड़े और सिद्धि इदनानी भी नजर आए। हाल ही में एक इंटरव्यू में एकटर ने नेपोटिज्म पर बात की।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। तुषार कपूर ने साल 2001 में करीना कपूर खान के साथ मुझे कुछ कहना है से बॉलीवुड डेब्यू किया था। इसके बाद एक्टर से क्या कूल हैं हम 3, गोलमाल अगेन, गोलमाल रिटर्न्स, गोलमाल फन अनलिमिटेड जैसी फिल्मों में काम किया। एक्टर कॉमेडी फिल्मों के टॉप एक्टर्स में से एक हैं।
जीतेंद्र के बेटे तुषार कपूर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में नेपोटिज्म को लेकर चर्चा की। उन्होंने बताया कि भले ही आज यह और भी ज्यादा प्रचलित है, लेकिन दो दशक पहले भी यह मौजूद था।
तुषार कपूर ने बताया इंडस्ट्री का हाल
तुषार ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, "यह मेरे समय में भी था। खासकर अगर आप फिल्मी बैकग्राउंड से हैं, तो मीडिया के एक खास वर्ग के लिए गिलास हमेशा आधा खाली रहता है। आपको बहुत मोटी चमड़ी वाला होना पड़ता है। बहुत नीचा गिराने की कोशिश, बहुत ज्यादा नेगेटिविटी थी।"
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हर चीज पर आपको टोका जाता है
तुषार ने बताया कि मीडिया के एक खास वर्ग ने उनके करियर को पटरी से उतारने और उन्हें नीचे गिराने की कोशिश की। एक्टर ने कहा, "अगर आप बिना मेकअप और बालों के स्वाभाविक रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस में आते हैं, तो आपकी आलोचना की जाती है कि आप हीरो दिखने के लायक नहीं हैं। अगर आप मेकअप और बाल बनाकर आते हैं, तो आपको कहा जाता है कि आप बहुत फिल्मी हैं। हर कोई आपको नीचे गिराने की कोशिश कर रहा था।"
मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं - तुषार
तुषार ने कहा कि मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मेरे पास इसे सहन करने और सिर्फ अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने की इच्छाशक्ति है। यही काम की नैतिकता मुझे आगे ले गई। फिल्म (मुझे कुछ कहना है) रिलीज हुई और इसने वाकई अच्छा प्रदर्शन किया। अन्यथा, मैं इस दबाव में कुचला जा सकता था। मैं इस इंडस्ट्री में यह सोचकर नहीं आया था कि मुझे किसी की उम्मीदों पर खरा उतरना है। लेकिन लगातार मुझे आंकने और मेरे रास्ते को पटरी से उतारने की कोशिश की गई। लेकिन दर्शक बहुत सच्चे हैं। वे स्क्रीन पर जो देखते हैं, उसके आधार पर आपको आंकते हैं।"
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