Taapsee Pannu ने 'गांधारी' के लिए सीखा इमोशनल एक्शन, Pushpa 2 की सफलता पर दी खास राय!
तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) उन चुनिंदा एक्ट्रेस में से एक हैं जो हिंदी के साथ साउथ सिनेमा में भी काम करती हैं। एक्ट्रेस की अपकमिंग फिल्म एक्शन से भरपूर है और इसके लिए उन्होंने अलग तरीके से एक्शन करना सीखा है। एक्ट्रेस ने पुष्पा 2 के सफल होने की वजह को लेकर बात की। इसके अलावा उन्होंने हॉलीवुड में काम करने से जुड़े सवाल का भी जवाब दिया है।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) हिंदी के साथ साउथ फिल्मों में भी काम कर रही हैं। इन दिनों वह अपनी एक्शन-थ्रिलर फिल्म ‘गांधारी’ (Gandhari Movie) की शूटिंग में व्यस्त हैं। अभिनय के साथ फिल्म निर्माण में उतर चुकीं तापसी हर जिम्मेदारी को बखूबी ढंग से निभाने की कोशिश करती हैं। अपकमिंग फिल्म को लेकर उन्होंने खुलकर बात की। इस दौरान एक्ट्रेस ने साउथ फिल्मों में काम करने के अनुभव से लेकर हॉलीवुड जाने के ख्याल पर कुछ रोचक जानकारी दी है।
आपने पहले भी फिल्मों में एक्शन किया है, ‘गांधारी’ उन फिल्मों से कैसे अलग है?
यह एक्शन थ्रिलर फिल्म है। मेरा मन था कि एक्शन करूं तो ‘नाम शबाना’ और ‘बेबी’ से कुछ अलग हो। मैंने मिशन के साथ एक्शन कर लिया था, लेकिन इमोशन के साथ एक्शन नहीं किया था। इस बार का एक्शन बहुत अलग है, इमोशनल है। यह मां के दिल से अपनी बच्ची के लिए निकला हुआ गुस्सा है, जो अपनी बेटी के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। इसमें अलग एक्शन होगा।
इस एक्शन के लिए कुछ खास तैयारी भी की?
पहली बार ऐसा हुआ कि मुझसे कहा गया कि एक्शन बिल्कुल मत सीखिए। आप वो वाला एक्शन नहीं कर रही हैं, जिसमें प्रशिक्षित नजर आना है। बस आपको अपनी बॉडी को इतना मजबूत रखना है कि आप सीन कर पाओ। यह बड़ा दिलचस्प और नया तरीका था। मुझे स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, एरियल योग आदि करने के लिए कहा गया। अभी एक ही एक्शन सीक्वेंस खत्म किया है, बहुत सारे होने बाकी हैं। मुझे भी पता चलेगा कि क्या-क्या नया सीखा जाता है।
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आप साल में एक दक्षिण भारतीय फिल्म जरूर करती हैं। उसकी क्या वजह है?
मैं जब हिंदी सिनेमा में आई थी, तब भी वहां पर मेरा अच्छा-खासा काम चल रहा था, तो मुझे कोई कारण नजर नहीं आया कि वहां काम करना छोडूं। अब तो मुझे वहां की भाषा भी समझ आती है। वहां के दर्शक भी मुझे जानते हैं। हां, मेरी फिल्मों की पसंद बदल गई है। मैंने हिंदी सिनेमा में जैसी फिल्में चुनीं, मुझे वैसी ही फिल्में दक्षिण भारतीय सिनेमा में भी करनी थी। बाकी वहां से करियर शुरू किया था, तो एक आभार व्यक्त करने वाली भावना भी रहती है कि अपनी जड़ों को कैसे भूल जाऊं।
हालीवुड में जाने का नहीं सोचा?
मैंने अभी कोशिश नहीं की है। ग्लोबल सिनेमा की बातें होने लगी हैं। ओटीटी प्लेटफार्म की वजह से वहां के लोग यहां की थोड़ी-बहुत फिल्में देखने लग गए हैं। अपने आप कई बार आफर आ जाते हैं। वहां सिर्फ इसलिए काम नहीं करना है कि उन्हें केवल एक भारतीय चेहरा चाहिए, ताकि उनकी फिल्म जब वर्ल्डवाइड प्रदर्शित हो तो कोई एशियाई चेहरा भी दिखे। जब लगेगा कि किसी फिल्म में मेरे समय की कीमत होगी, तो जरूर करूंगी।
‘पुष्पा 2: द रूल’ हिंदी डब में हिट रही है। यह स्थिति यहां के कलाकारों और निर्माताओं पर किस तरह का दबाव बढ़ा रही है?
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को इसका अनुमान नहीं लगता कि साउथ में भी फिल्में फ्लॉप हो रही हैं। मैं दोनों में काम करती हूं, वहां के लोगों के भी संपर्क में हूं। मुझे पता है कि वहां पर भी दिक्कतें हैं। वहां भी लोग थिएटर के लिए फिल्में नहीं बना पा रहे हैं। वहां भी सोच-समझकर ही बड़े हीरो की फिल्मों पर ही निवेश किया जा रहा है। सारी फिल्मों को रिटर्न भी नहीं मिल रहा है। यहां बैठकर वहां की एक हिट फिल्म देखकर लगता है कि वहां तो सारी फिल्में हिट हो रही हैं। वहां पर भी बड़े हीरो की फिल्में फ्लाप हो रही हैं। ‘दूसरे तरफ की घास ज्यादा हरी है’ वाला हिसाब-किताब है। दोनों ही फिल्म इंडस्ट्री को बिजनेस मॉडल की समीक्षा करने की आवश्यकता है। हर इंडस्ट्री में अच्छा या बुरा कंटेंट बन रहा है। फिल्में हिट और फ्लॉप नहीं होतीं, बिजनेस मॉडल हिट और फ्लॉप होता है।
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सितारों की फीस और उनकी टीम के खर्चे क्या फिल्म का बजट बढ़ाते हैं?
यह निर्माता तय करते हैं कि वे किस चीज में पैसा लगाना चाहेंगे। मैं खुद भी निर्माता हूं, तो मुझे लगता है कि पैसा वहां लगाना चाहिए, जो स्क्रीन पर दिखे। पैसा अगर ऐसी जगह जाए, जहां रिटर्न नहीं मिल रहा है, तो वहां पैसा लगाने से पहले दो बार सोचूंगी। समय के अनुसार कलाकारों और निर्माताओं दोनों को काम करने का तरीका बदलना पड़ेगा। अगर दोबारा अच्छा समय देखना है तो सबको मिलकर कुछ न कुछ बदलाव लाने पड़ेंगे।
हाल ही में विक्रांत मेस्सी ने अभिनय से ब्रेक लेने की बात कही थी। आपको लगता है कि कलाकारों को ब्रेक की जरूरत होती है?
मैंने उनसे बात नहीं की है तो पता नहीं उनके दिमाग में क्या चल रहा होगा। मुझे लगता है कि हर कलाकार अलग होता है। काम के प्रति सबका अपना रवैया होता है। मैंने शुरू से निजी और पेशेवर जिंदगी को एक-दूसरे को ओवरटेक करने नहीं दिया। इस वजह से ब्रेक लेने की जरूरत महसूस नहीं हुई।
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