Sunil Dutt Birth Anniversary: 59 साल पहले सुनील दत्त रचा था ऐसा इतिहास, गिनीज बुक में शामिल हो गई उनकी 'यादें'
Sunil Dutt Birth Anniversary सुनील दत्त का भारतीय सिनेमा में बहुत कॉन्ट्रिब्यूशन रहा है। उन्होंने एक्टिंग करने के साथ ही करियर में डायरेक्टर का काम भी किया। उन्होंने अपने जमाने में एक ऐसी फिल्म बनाई थी जिसके जैसी आजतक कोई और फिल्म नहीं बनी।
नई दिल्ली, जेएनएन। Sunil Dutt Birth Anniversary Yaadein: भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम इतिहास में बहुत से ऐसे कलाकार रहे हैं, जिन्होंने शानदार अभिनय और फिल्मों के जरिये अपना योगदान दिया है। फिल्मी जगत मेंं आज भले ही यह सितारे जिंदा न हों, लेकिन अच्छे कलाकार के तौर पर उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी। ऐसे ही एक अभिनेता थे सुनील दत्त, जिनकी आज ही के दिन जन्म हुआ था।
आरजे बनकर की थी शुरुआत
06 जून, 1929 को ब्रिटिश भारत में पंजाब राज्य के झेलम जिला स्थित खुर्दी नामक गांव (अब पाकिस्तान में) में सुनील दत्त का जन्म हुआ था। उन्होंने करियर की शुरुआत रेडियो जॉकी बनकर की थी, मगर किस्मत को उनका फिल्म लाइन में आना मंजूर था। 1955 में उन्होंने 'रेलवे प्लेटफॉर्म' से अभिनय की पारी शुरू की, और देखते ही देखते वह फिल्म इंडस्ट्री के चहेते सितारों में से एक बन गए।
सुनील दत्त ने फिल्म इंडस्ट्री में बहुत योगदान दिया है। उन्हें 'मदर इंडिया' से पहचान मिली थी। इसके बाद वह अनगिनत फिल्मों में नजर आए, जिनमें से अधिकतर में उन्होंने नेगेटिव किरदार ही निभाए।
कूट-कूट कर भरा था एक्टिंग का हुनर
यह सच बात है कि उनकी एक्टिंग करने की शैली, और फिल्मों को भुलाया नहीं जा सकता। उनके जैसा कोई कलाकार न पहले कभी था, न फिर कभी कोई होगा। क्या आप जानते हैं की दमदार अदाकारी का होना रखने वाले सुनील दत्त ने एक ऐसी फिल्म बनाई थी, जिसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है।
60 के दशक में किया कमाल का प्रयोग
सुनील दत्त ने कई फिल्में कीं, लेकिन साल 1964 में उनकी मूवी आई थी 'यादें', जिसे आजतक इंडियन सिनेमा की बेहतरीन फिल्मों में से एक माना जाता है। यह ब्लैक एंड व्हाइट मूवी थी, जिसे सुनील दत्त ने डायरेक्ट किया था, प्रोड्यूस भी किया था और सिर्फ उन्होंने ही एक्टिंग की थी।
आज के जमाने जब मल्टीस्टारर फिल्मों का दौर चल रहा है, तब 60 के दशक में सुनील दत्त ने 'यादें' के जरिये इतना शानदार एक्सपेरिमेंट किया, जिसे आजतक याद किया जाता है। यह अपने समय से आगे की फिल्म थी। इस मूवी को न सिर्फ राष्ट्रीय मंच पर सम्मान मिला था, बल्कि इसने एक रिकॉर्ड भी अपने नाम किया।
एक कलाकार, आवाज और परछाई से पूरी हुई थी फिल्म
'यादें' सुनील दत्त की पहली डायरेक्ट की गई मूवी बताई जाती है। कहा जाता है कि यह वह फिल्म है, जिसमें एक्सप्रेशन silhouette से दर्शकों को रूबरू कराया गया था। सुनील दत्त की 'यादें' वन एक्टर फिल्म थी, जिसमें दूसरे कलाकार की सिर्फ आवाज सुनाई दी, और शैडो के जरिए उनकी अपीरियंस दिखाई गई थी।
लता मंगेशकर ने गाए थे गाने
बॉलीवुड के इतिहास में बनने वाली यह पहले ऐसी फिल्म थी, जिसमें सिर्फ एक एक्टर था, और बाकियों की आवाज सुनाई और शैडो दिखाई गई थी। फिल्म को लेकर एक दिलचस्प बात यह भी है कि, इसमें सिर्फ दो ही गाने थे, जिसे लता मंगेशकर ने गया था।
क्या है फिल्म की कहानी?
'यादें' की शुरुआत होती है तेज बारिश, आंधी और तूफान से। घर में फोन की घंटी बजती है, लेकिन उसे रिसीव करने वाला कोई नहीं होता। तभी एंट्री होती है अनिल (सुनील दत्त) की। वह देखता है कि घर में सन्नाटा पसरा हुआ है। वह पूरा घर छान मारता है, लेकिन उसे अपनी पत्नी या कोई भी आवाज नहीं देता। वह सभी का नाम लेकर पुकारता है, मगर उसे जवाब देने वाला कोई नहीं होता।
कहानी जब थोड़ी सी आगे बढ़ती है, तो पता चलता है कि अनिल का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर है। इसी वजह से मियां बीवी में आए दिन झगड़े होते रहते हैं। बेबस और मायूस अनिल उन पलों को याद करता है, जो उसने अपने बीवी और बच्चों के साथ बिताए होते हैं।
इसके साथ ही याद आता है उसे वो झगड़ा, जब उसके एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की वजह से घर कलेश होता था। वह अपने बीवी और बच्चों को याद कर रहा है। इन पलों को याद कर मर रहा है। पूरी फिल्म में सिर्फ सुनील दत्त का ही चेहरा, और उनके काल्पनिक विचारों को क्या बढ़िया तरीके से दिखाया गया है।
फिल्म में क्या है सबसे खास?
फिल्म में जो सबसे ज्यादा अच्छा है, वो है सुनील दत्त के एक्सप्रेशन्स। कभी हंसते-हंसते अचानक गुस्सा हो जाना, तो कभी चाभी से चलने वाले खिलौने को देख डर जाना। सुनील दत्त के चेहरे पर हर भाव काफी खिलकर आए। काल्पनिक भाव के साथ पिक्चर की कहानी को दिखाना, यह अपने आप में अनूठा प्रयास था।
फिल्म में एकमात्र अन्य अभिनेता दत्त की पत्नी नरगिस दत्त हैं, जिनकी इमेज आखिरी सीन में सिल्हूट तकनीक के सहारे दिखाई गई है। यह वह टेक्नीक होती है, जिसमें किसी व्यक्ति या दृश्य को एक ही रंग के ठोस आकार में दिखाया जाता है। इसमें विशिष्ट व्यक्ति को चित्रित करके उसे ब्लैक शैडो के जरिये दिखाया जाता है।
फिल्म को मिले थे ये पुरस्कार
'यादें' को 1964 में हिंदी में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 1966 में फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था।