'कोरोना के बाद वायरल होने वाली चीज मैं ही हूं...', लोगों से मिलने वाले प्यार पर बोलीं Tamannaah Bhatia
तमन्ना भाटिया जिन्होंने स्त्री 2 के गाने आज की रात से तहलका मचा दिया था इन दिनों सातवें आसमान पर हैं। इस फिल्म के बाद से उन्हें काफी ज्यादा पॉपुलैरिटा मिली। एक्ट्रेस ने दर्शकों से मिल रहे इस बेशुमार प्यार पर खुशी जताई और किस तरह से वो अपनी फिल्मों का सलेक्शन करती हैं इन सभी मुद्दों को लेकर बात की।

जागरण न्यूज नेटवर्क,मुंबई। बीते बरस फिल्म ‘जेलर’ के गाने कावालिया और इस साल फिल्म ‘स्त्री 2’ के गाने आज की रात से अभिनेत्री तमन्ना भाटिया युवाओं और इंटरनेट मीडिया के बीच सनसनी बन चुकी हैं। दक्षिण भारतीय फिल्मों के साथ हिंदी फिल्मों में भी काम कर रही तमन्ना भाटिया नेटफ्लिक्स पर हालिया प्रदर्शित फिल्म ‘सिकंदर का मुकद्दर’ में नजर आईं। बचपन के दिनों को अपने दिल के सबसे करीब मानने वाली तमन्ना के अनुसार, भाग्य ने उन्हें उनके सोच से कहीं ज्यादा दिया है।
मिल रहा है प्यार
कावालिया...और आज की रात... गाने हिट होने के साथ, इन गानों पर युवाओं ने खूब रील्स और शार्ट्स भी बनाए। इस पर तमन्ना कहती हैं, ‘कोरोना के बाद वायरल होने वाली चीज मैं ही हूं (सिर नीचे करके जोर से हंसती हैं)। इतना प्यार पाना बहुत ही खूबसूरत अहसास है। रील्स या शार्ट्स ऐसी चीजें हैं जिन्हें लोग अपने दोस्तों या परिवार के साथ मजाक-मस्ती में देखते और बनाते हैं। यह साथ मिलकर करने वाली एक एक्टिविटी की तरह है। हम इंसान हैं, जब इस तरह एक साथ इतना प्यार मिलता है तो बहुत खुशी मिलती है।’
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दर्शकों की प्रतिक्रियाएं जरूरी
अपने प्रोजेक्ट के लिए लोगों से मिलने वाली प्रतिक्रियाओं पर ध्यान देने की बात पर तमन्ना कहती हैं,‘मैं कभी किसी से यह नहीं पूछती हूं कि फिल्म कैसी चल रही है। अगर किसी को यह बात पूछनी पड़ रही है तो ये अच्छा नहीं है। ऐसे व्यक्ति ,जो हमारे काम के दायरे में न हों , जो हमारी इंडस्ट्री से न हों ,ऐसे लोग अगर मेरे प्रोजेक्ट्स को अच्छा बोलते हैं तो उसे अच्छा मानती हूं और बुरा बोले तो बुरा मानती हूं। मेरे लिए उन दर्शकों के सुझाव सुनना जरूरी है।’
दिलचस्प होनी चाहिए कहानी
क्या हिंदी फिल्मों में प्रोजेक्ट्स के चुनाव को लेकर दक्षिण भारतीय फिल्मों से कोई अलग रणनीति है? इसके जवाब में तमन्ना कहती हैं, ‘बिल्कुल नहीं। हिंदी हो या दक्षिण भारतीय सिनेमा,मैं अपने सामने आने वाली कहानियों में से उनको चुनती हूं, जो मुझे सबसे बेहतर लगती हैं, जिनमें मुझे अपनी तरफ से कुछ नया जोड़ने का मौका दिखता है। जिसमें मुझे लगता है कि मैं उस भूमिका को सही तरीके से पर्दे पर उतार पाऊंगी। जो कहानियां मुझे उत्साहित करती हैं, वैसी कहानियों का हिस्सा बनती हूं। अगर कहानी में मेरी ही दिलचस्पी नहीं हो रही है,तो मैं उसमें किसी और की दिलचस्पी कैसे जागृत कर सकती हूं?
डिजिटल पर अधिक प्रतिस्पर्धा
टिकट खिड़की पर कमाई के आंकड़ों के दबाव से मुक्त डिजिटल प्लेटफार्म की प्रति स्पर्धा को लेकर तमन्ना कहती हैं,‘ऐसा नहीं कि डिजिटल प्लेटफार्म पर प्रतिस्पर्धा नहीं है, मुझे तो लगता है कि यहां ज्यादा प्रतिस्पर्धा है। यहां आपकी प्रति स्पर्धा सिर्फ वर्तमान की फिल्मों के साथ नहीं होती है,दस बीस या पचास साल पुरानी फिल्मों से भी हो ती है,दर्शकों के सामने वो भी विकल्प होते हैं। इसके साथ कंटेंट का स्तर भी विश्वस्तरीय होना चाहिए, क्योंकि वहां दुनियाभर के कंटेंट उपलब्ध हैं।
आपका कंटेंट भी विदेश में जाता है। डिजिटल प्लेटफार्म पर भले ही कमाई के आंकड़े न आते हों ,लेकिन उनके भी कई आंतरिक आंकड़े होते हैं। उन आंकड़ों को मद्देनजर रखकर ही वो अपने प्रोजेक्ट्स का निर्माण करते हैं। वो आंकड़े भले ही दर्शकों के सामने नहीं आते हैं, लेकिन निर्माताओं को पता चल जाता है!
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