Bollywood: स्पेशल ऑप्स वाले के के मेनन ने एक्टिंग से जुड़े खोले राज, किरदारों को अपने ऊपर नहीं थोपता, लेकिन….
Bollywood हर कलाकार का एक तरीका होता है जिसके अनुसार वह भूमिकाओं को समझकर निभाता है। कोई अपने अनुभवों को किरदारों में डालता है तो कोई कहानी के दायरों में रहते हुए उसे निभाता है। बात करें अगर अभिनेता के के मेनन की तो वह अपने किरदारों को अपने भीतर ढूंढते हैं। हर इंसान के भीतर इस दुनिया में जितने इंसान हैं उनकी तरह कुछ न कुछ बसा हुआ है।
मुंबई, जेएनएन। हर कलाकार का एक तरीका होता है, जिसके अनुसार वह भूमिकाओं को समझकर निभाता है। कोई अपने अनुभवों को किरदारों में डालता है, तो कोई कहानी के दायरों में रहते हुए उसे निभाता है। बात करें अगर अभिनेता के के मेनन की तो वह अपने किरदारों को अपने भीतर ढूंढते हैं।
दैनिक जागरण से बातचीत में के के मेनन कहते हैं कि आसपास वालों को देखकर उन अनुभवों से मैं भूमिकाएं नहीं बनाता हूं। मैं उसके बिल्कुल विपरीत करता हूं। उन किरदारों को मैं कहीं अपने भीतर ही ढूंढता हूं। हर इंसान के भीतर, इस दुनिया में जितने इंसान हैं, उनकी तरह कुछ न कुछ बसा हुआ है। हम सामाजिक तौर पर कुछ चीजों को बाहर लेकर आते हैं, कुछ चीजों को दबा ले जाते हैं।
अभिनेता के पास सुविधा है, कि वह ऐसी चीजें निकाले जो भले ही विकृत हो, फिर भी उस पर तालियां बजे। यह कलाकारों की सुविधा है। मैं प्रयास करता हूं कि किरदार को अपने भीतर से टटोलकर बाहर निकालूं। अपने अहंकर को उस पर न थोपू। अपने अंहकार को जीरो करके उस किरदार को अपनाना चाहिए, फिर वह जैसा भी किरदार हो। मेरा वही मेथड रहा है। सब अंदरूनी मामला है, जो अभ्यास करने से आता है।
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जब आप वह अभ्यास करते हैं, तो उसमें रम जाते हैं और कुछ कमाल के किरदार सामने आ जाते हैं। इसे मैं अच्छी वाली गलतियां कहूंगा, जिसे जादू कहते हैं। उस जादू के लिए दरवाजे खोलने पड़ते हैं। अपने आप को शून्य करके पात्र को सामने लेकर आता हूं। यह नहीं सोचता हूं कि मैं के के मेनन हूं और बड़ा महान कलाकार हूं। यह सब भूलकर पात्र को अंदर से निकालना चाहिए। ऐसा करेंगे, तो वह पात्र आपके लिए कुछ कर जाएगा।