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    Diwali 2024: 'पटाखों के लिए नहीं होते थे पैसे,' बुरे वक्त में Jackie Shroff कैसे मनाते थे दिवाली

    Updated: Fri, 25 Oct 2024 09:09 AM (IST)

    दिवाली (Diwali 2024) का खास त्योहार आने वाला है। हर किसी ने इस फेस्टिवल को मनाने की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। इस मामले में भला बॉलीवुड कैसे पीछे रह सकता है। जागरण से खास बातचीत में Singham Again फिल्म अभिनेता जैकी श्रॉफ (Jackie Shroff) ने दिवाली सेलिब्रेशन को लेकर खुलकर बात की है और बताया है करियर के शुरुआत दौर में उनकी फैमिली में दिवाली कैसे मनती थी।

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    जैकी श्रॉफ कैसे मनाते हैं दिवाली (Photo Credit-Intagram)

    एंटरटेनमेंट डेक्स, मुंबई। त्योहार में दूसरों के घरों को रोशन करने को अभिनेता जैकी श्रॉफ वास्तविक दीपावली मानते हैं। फिल्म सिंघम अगेन (Singham Again) में वह बेटे टाइगर श्रॉफ संग नजर आएंगे। फिल्म की कहानी व पात्र रामकथा के मूल भाव से प्रतीकात्मक रूप से जुड़ते हैं। जिसमें टाइगर का पात्र लक्ष्मण जी से प्रेरित है। जागरण में बातचीत में जैकी श्रॉफ (Jackie Shroff) ने साझा किया है कि इस बार बेटे टाइगर और परिवार संग किस तरह मनाएंगे दीपावली (Diwali 2024)।

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    कैसे मनेगी जैकी श्रॉफ की दिवाली

    जैकी श्रॉफ के लिए इस वर्ष दीपावली खास रहने वाली है। बेटे टाइगर संग उनकी फिल्म सिंघम अगेन दीपावली से ठीक पहले सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो रही है। दीप पर्व की तैयारियों पर वह कहते हैं-

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    अगर कोई बहुत जरूरी शूटिंग रही तो चला जाऊंगा, नहीं तो घर पर ही दीपावली मनेगी। अनाथ आश्रम और वृद्धा आश्रम जाकर वहां कुछ मिठाइयां बाटूंगा, इससे बड़ी दीपावली और क्या होगी। बाकी घर पर पूजापाठ होगी, बच्चे (टाइगर और कृष्णा श्रॉफ) अगर शूटिंग में व्यस्त नहीं रहे तो साथ बैठकर सुबह की चाय पिएंगे, खाना खाएंगे। वक्त बहुत तेजी से जाता है। कहते हैं न कि निकला था सुबह जवान काम करने, रात को पहुंचा घर बुढ़ापा। इसलिए परिवार के साथ जो खुशियां मनाने का मौका मिलता है, उसको जाने ना दें।

    बचपन की दीवाली पर बोली जैकी

    आसमान में देखा करते थे पटाखों की रोशनीः बचपन की दीपावली याद करते हुए जैकी कहते हैं-

    पटाखे जलाने के लिए मेरे पास पैसे कहां होते थे। मैं चौल में रहता था। जब दुनिया महंगे पटाखे जलाती थी तो मैं छत पर बैठकर आसमान की ओर पटाखों की रोशनी देखकर सोचता था कि ये सारे पटाखे मेरे लिए जलाए जा रहे हैं। उसके बाद देर रात जाकर जो पटाखे जले नहीं होते थे, उन्हें ढूंढ़कर लाता था और उनसे अगले दिन फिर हमारी दीपावली होती थी। महाराष्ट्र में घर-घर में दीपावली पर खूब पकवान बनते हैं, जैसे चकली, लड्डू, शक्कर पारा, गुझिया। चकली को उसके सांचे से गोल बना लेते थे तो लगता था कि कितने बड़े आर्टिस्ट बन गए हैं। घर पर आज भी वह सब कुछ बनता है। वही इस त्योहार की खूबसूरती है। यही संस्कृति है।

    मां के लिए लिया था खास तोहफा

    मां के लिए ली थी सोने की गिन्नीः दीपावली पर पहली बार जो सबसे खास चीज जैकी ने ली थी, वह थी सोने की गिन्नी। वह बताते हैं कि मैंने मां के लिए सोने की एक गिन्नी ली थी। सामान लेने की नीयत और नजरिया बहुत मायने रखता है। पहले वह विचार आना चाहिए कि किसी को त्योहार पर कुछ देना है। कोई छोटा सा भी सामान लेकर किसी जरूरतमंद को देने का विचार सोना और चांदी लेने से बड़ा है। मां लक्ष्मी तो कर्म से प्रसन्न होती हैं, धन को बांटने की भी नीयत रखनी पड़ती है। स्वास्थ्य और धन दोनों का संतुलन बना रहना चाहिए।

    सिखाएं बांटने की अहमियतः घर के बड़े अक्सर दीपावली पर बच्चों को पैसे या उपहार देते हैं। जैकी कहते हैं कि मैं अपने बच्चों को पैसे नहीं सीख और आशीर्वाद देता हूं। वैसे भी मुझे घर के किसी काम की जिम्मेदारी त्योहार पर नहीं दी जाती है। असली दीपावली उनके घरों को रोशन करना है, जो एक फुलझड़ी, दीया तक नहीं खरीद सकते हैं।

    मिठाई का डिब्बा खरीदने के लिए जिनके पास पैसे नहीं होते हैं। मैं उस दौर से गुजरा हूं, इसलिए अपने बच्चों से कहता हूं कि बाकियों को खिलाओ, सिग्नल पर जो बच्चे होते हैं, उन्हें मिठाइयां दो। उनके चेहरे की मुस्कान आपकी दीपावली रोशन कर देगी। जहां रोशनी न हो वहां दीप जलाना बड़ी बात है। वृद्धा आश्रम व अनाथ आश्रम में जाकर भी थोड़ा देख लें, जिनका कोई नहीं है जो सड़कों पर दीये और रंगोली बेचते हैं, उनसे सामान खरीदें, उनका सामान बिकेगा तो उनकी भी दीपावली मनेगी।

    टाइगर हैं हनुमान भक्त, जैकी श्रीराम भक्त

    फिल्म सिंघम अगेन में टाइगर लक्ष्मण की प्रतीकात्मक भूमिका में हैं। हालांकि असल जीवन में वह हनुमान जी के भक्त हैं। जैकी बताते हैं कि टाइगर रोज हनुमान चालीसा पढ़ते हैं। मैं तो श्रीराम का भक्त हूं। कई फिल्मों में इंस्पेक्टर बना हूं तो नाम भी राम सिन्हा, राम सिंह से मिलते-जुलते होते थे।

    दीपावली भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है। इस दिन राम जी का नाम ले लो बड़ी बात है। मैं तो रोज सुबह उठकर श्रीराम का नाम लेता हूं। मेरी जिंदगी की रोशनी मेरी मां थीं, अब धर्मपत्नी और बच्चे हैं। लगता है कि घर पर सब स्वस्थ हैं, तो समझिए दीपावली है।

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