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    50 Years Of Sholay: 'रांझणा' की तरह ही 'शोले' के साथ भी हुई थी छेड़खानी, 50 साल बाद हेमा मालिनी ने जाहिर की निराशा

    Updated: Fri, 08 Aug 2025 09:43 PM (IST)

    इस वक्त रांझणा के एआई द्वारा क्लाईमैक्स बदलने पर क्रिएटीव फ्रीडम पर बहस छिड़ी हुई है। इसी बीच हेमा मालिनी ने 50 साल पहले रिलीज हुई शोले के क्लाईमैक्स को याद किया कि किस तरह सेंसर बोर्ड ने फिल्म का क्लाईमैक्स बदलवा दिया था जिससे डायरेक्टर बिल्कुल खुश नहीं थे।

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    'शोले' का क्लाईमैक्स बदलने पर हेमा मालिनी ने जाहिर की निराशा

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। धनुष और सोनम की रांझणा यंगस्टर्स के बीच काफी पॉपुलर हुई थी। लेकिन हाल ही में तमिल वर्जन में हुई री-रिलीज में एआई द्वारा बदले गए क्लाइमैक्स पर बहस शुरू हो गई। हालांकि इस बीच हेमा मालिनी ने 50 साल पहले अपनी ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले के क्लाइमैक्स के बदलाव को याद किया।

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    15 अगस्त 2025 को फिल्म को रिलीज हुए 50 साल पहले पूरे होने जा रहे हैं। इसके पहले फिल्म की बसंती यानी हेमा मालिनी ने पर्दे के पीछे की कई बातें कीं। इसमें उन्होंने दिलचस्प बात की फिल्म के क्लाईमैक्स की। रिलीज के बाद शोले को बहुत अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला था। हिंदी सिनेमा की शानदार दुनिया में इस फिल्म को भले ही एक मील का पत्थर माना जाता हो, लेकिन 50 साल बाद भी हेमा मालिनी इस बात से निराश है कि इसका क्लाईमैक्स ओरिजिनल नहीं रखा गया था।

    यह भी पढ़ें- Sholay 50 Years: 'कितने आदमी थे...इतना सन्नाटा क्यों हैं,' शोले का एक-एक डायलॉग जिसने इसे बनाया आइकॉनिक फिल्म

    हेमा मालिनी को हुई निराशा

    2018 में, रमेश सिप्पी ने पुणे अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में 1975 में रिलीज़ हुई फिल्म शोले के क्लाइमेक्स में हुए बदलाव पर बात की थी।

    फिल्म निर्माता ने कहा था कि मूल अंत वह था जहां गब्बर (अमजद खान) को ठाकुर (संजीव कुमार) द्वारा मार दिया जाता है और बाद में खलनायक को अपने पैरों तले कुचल दिया जाता है। हालांकि, सेंसर बोर्ड इससे बहुत खुश नहीं था और उसने इसे बदलने की मांग की क्योंकि वे हिंसा को कम करना चाहते थे। रमेश सिप्पी खुश नहीं थे, लेकिन उन्हें इसके आगे झुकना पड़ा।

    फोटो क्रेडिट- आईएमडीबी

    लोगों को पहले पसंद नहीं आई थी शोले

    एक्ट्रेस ने एक इंटरव्यू में इस बारे में बात करते हुए कहा, 'यह हिट नहीं थी, लोग कहने लगे कि यह कितनी लंबी है और इसमें दो इंटरवल हैं। फिल्म देखने के बाद, दर्शक चुप हो गए और ज्यादा पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिला। निर्देशक रमेश सिप्पी ने कहा कि हमें कुछ सीन काटने होंगे और फिर यह एक बड़ी फिल्म बन गई'। उन्होंने आगे कहा, 'लोग 15-20 दिनों के अंदर ही फिल्म देखने वापस आने लगे। अचानक, लोगों को सारे डायलॉग याद आ गए और वे एक-दूसरे से बात करने लगे, अपने दोस्तों को बताने लगे'।

    फोटो क्रेडिट- आईएमडीबी

    क्यों बदलना पड़ा था शोले का क्लाइमैक्स

    2018 में रमेश सिप्पी ने पुणे अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में 1975 में रिलीज हुई फिल्म शोले के क्लाइमैक्स में हुए बदलाव पर बात की थी। फिल्म मेकर ने कहा था कि ओरिजिनल क्लाइमैक्स में गब्बर (अमजद खान) को ठाकुर (संजीव कुमार) द्वारा मार दिया जाता है और उसको अपने पैरों तले कुचल दिया जाता है। हालांकि सेंसर बोर्ड इससे बहुत खुश नहीं था और उसने इसे बदलने की मांग की। रमेश सिप्पी खुश नहीं थे, लेकिन उन्हें इसके आगे झुकना पड़ा।

    हेमा मालिनी ने जाहिर की निराशा

    इस बारे में हेमा मालिनी ने रिएक्शन देते हुए कहा, 'हां, इस पर काफी चर्चा हुई थी। फिल्म में आप जो देखते हैं, वह यह है कि ठाकुर गब्बर को नहीं मारता, बल्कि पुलिस उसे अपने कब्जे में ले लेती है। फिल्म रिलीज होने के बाद उन्होंने निर्देशक की मंजूरी के बिना ही ओरिजिनल क्लाइमैक्स को बदल दिया गया था। मैं इससे सहमत नहीं हूं। मेरा मानना है कि निर्देशक की भी राय होनी चाहिए, उन्होंने फिल्म बनाई है, निर्माता ने नहीं। हो सकता है कि निर्माता ने फिल्म के लिए पैसे दिए हों, लेकिन क्रिएटीविटी निर्देशक की होती है'।

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