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    'अब मेरी फिल्म नहीं...'OTT पर Bandit Queen का एडिट देखकर नाराज हुए शेखर कपूर, अन्य डायरेक्टर्स ने दिखाया समर्थन

    Updated: Sun, 23 Mar 2025 09:16 PM (IST)

    आज बैंडिट क्वीन (Bandit Queen) की गिनती बॉलीवुड की कल्ट फिल्मों में होती है। साल 1994 में जब फिल्म रिलीज हुई थी तब इसको लेकर काफी विरोध हुआ था जिसके बाद इसे बैन भी करना पड़ा था। वहीं कुछ एडिट के बाद फिल्म अब ओटीटी पर मौजूद है लेकिन निर्देशक इससे बिल्कुल खुश नहीं हैं। शेखर कपूर ने इस पर नाराजगी जताई है।

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    फिल्म के एडिट पर जताई नाराजगी (Photo: Instagram)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। साल 1994 में जब फिल्म बैंडिट क्वीन सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी तब इसको लेकर बहुत बवाल हुआ था। यह फिल्म हिंदी सिमेमा के इतिहास की सबसे विवादित फिल्मों में से है जिसे शेखर कपूर ने डायरेक्ट किया था। फिल्म में डाकू फूलन देवी की कहानी दिखाई गई है। कुछ समय चलने के बाद इसे सिनेमाघरों में बैन कर दिया गया था।

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    शेखर कपूर ने एडिट पर जताई नाराजगी

    हालांकि आज के समय में बैन होने के बाद भी ये फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर मौजूद है लेकिन शेखर कपूर ने फिल्म के एडिट को लेकर नाराजगी जताई थी। अपने ऑफिशियल एक्स अकाउंट पर रिएक्ट करते हुए उन्होंने लिखा- मुझे आश्चर्य है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म मुझे बैंडिट क्वीन उसी आधार पर बनाने देंगे, जिस तरह से सालों पहले मैंने ये फिल्म बनाई थी। क्योंकि अमजेन प्राइम वीडियो पर मुझे मेरी वाली बैंडिट क्वीन नजर नहीं है। इसमें मेरी बिना सहमति के सीन्स को एडिट किया गया है। मैं ये पूछना चाहता हूं क्या मेकर्स की बगैर इजाजत के ओटीटी पर किसी मूवी को एडिट किया जा सकता है। इसके अलावा क्या किसी में इतनी हिम्मत होगी की वह क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म को बिना उनसे पूछे एडिट कर सके।

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    अन्य डायरेक्टर्स ने किया हंसल का समर्थन

    शेखर कपूर ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपनी फिल्म "बैंडिट क्वीन" के साथ बिना उनकी सहमति के किए गए बदलावों पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि फिल्म को इतना एडिट कर दिया गया है कि वह अब उनकी फिल्म नहीं लगती। वहीं फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने भी शेखर कपूर का समर्थन किया और कहा कि हमें पश्चिम के गुलामों की तरह व्यवहार किए जाने की आदत हो गई है।

    हंसल मेहता ने कैसे किया रिएक्ट?

    उन्होंने लिखा- 'यह जानकर दुख होता है कि एक ऐसी फिल्म जो हमेशा भारत का गौरव होनी चाहिए, उसके साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है। लेकिन फिर नया क्या है? हम पश्चिम के गुलामों की तरह व्यवहार किए जाने के इतने आदी हो गए हैं। कोई विरोध नहीं। कोई प्रतिरोध नहीं। पूरी तरह से समर्पण। क्योंकि वे हम पर एहसान कर रहे हैं। कलाकार के रूप में हमारी ईमानदारी न तो हमारे द्वारा सुरक्षित है और न ही किसी गिल्ड द्वारा जो संभावित रूप से हमारी रक्षा कर सकती है। तथाकथित 'एसोसिएशन' एक राजनीतिक पार्टी की तरह व्यवहार करने या विभाजनकारी प्रचार करने में व्यस्त है। इस बीच निर्देशक शक्तिहीन हो गए हैं और किसी भी सहायता प्रणाली से वंचित हैं।'

    फिल्म तो पहले से ही एडल्ट के लिए बनाई थी

    एक्टर-डायरेक्टर तिग्मांशु धूलिया ने कहा कि क्या एडिट किया गया है ये पकड़ने के लिए मुझे पूरी फिल्म फिर से देखनी पड़ेगी। लेकिन मैंने नोटिस किया कि सर्टिफिकेशन UAE का है। इस सर्टिफिकेशन के लिए कट्स लगाना जरूरी होता है। सेटेलाइट और डिजिटल रिलीज के लिए गाली-गलौज वाली भाषा को हटाना होता है। लेकिन मुझे ये समझ नहीं आ रहा कि इसकी क्या जरूरत है या तो बेचे मत या एडिट को एसेप्ट करना सीखो। फिल्म पहले ही एडल्ट ऑडियंस के लिए बनाई गई थी।

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