Shashi Kapoor की बेटी एक्टिंग में अव्वल, मगर बॉलीवुड में नहीं चला सिक्का; दादा की विरासत को बढ़ा रहीं आगे
शशि कपूर ने हिंदी सिनेमा को कई बेहतरीन फिल्मों से नवाजा है। अभिनेता की तरह उनकी बेटी भी फिल्मी दुनिया में नाम कमाने आईं और कई फिल्मों में अपनी अदाकारी दिखाई। मगर एक रोज उन्होंने इंडस्ट्री से किनारा कर लिया। आज शशि की बेटी कहां और क्या कर रही हैं जानिए इस बारे में।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय सिनेमा के इतिहास में कपूर परिवार का योगदान अतुलनीय है। पृथ्वीराज कपूर से लेकर रणबीर कपूर तक, इस खानदान की कई पीढ़ियों ने दर्शकों को अपनी अदाकारी से मंत्रमुग्ध किया है। इसी परिवार के एक चमकते सितारे थे शशि कपूर जिनकी मुस्कान और रोमांटिक छवि ने लाखों दिलों पर राज किया।
शशि कपूर, पृथ्वीराज कपूर के बेटे थे। राज कपूर और शम्मी कपूर की तरह उन्होंने अभिनय की दुनिया में एक अलग छाप छोड़ी। दीवार, आग, कभी कभी, इंसानिया जैसी तमाम फिल्मों में शानदार परफॉर्मेंस दी। शशि के बाद उनकी बेटी ने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलकर अभिनय की राह चुनी और शानदार परफॉर्मेंस के दम पर हर किसी का दिल जीत लिया। मगर एक रोज उन्होंने अचानक इंडस्ट्री से तौबा कर लिया है।
पिता की फिल्मों में किया था काम
शशि कपूर की बेटी हैं संजना कपूर जिन्हें आपने सलाम बॉम्बे और हीरो हीरालाल जैसी फिल्मों में जरूर देखा होगा। शशि और जेनिफर केंडल की बेटी के रूप में जन्मीं संजना के रग-रग में अभिनय का कीड़ा था। उनका बचपन पृथ्वी थिएटर के माहौल में बीता, जहां कला और रंगमंच की गहरी समझ उनके भीतर विकसित हुई। उन्होंने अपने भाई कुणाल कपूर और करण कपूर के साथ मिलकर अपने पिता के प्रोडक्शन हाउस की फिल्मों में काम किया।
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Shashi Kapoor with daughter Sanjana Kapoor - Facebook
संजना ने 1981 में आई फिल्म '36 चौरंगी लेन' में बाल कलाकार के रूप में अपनी शुरुआत की जिसका निर्देशन अपर्णा सेन ने किया था। इसके बाद उन्होंने 1989 में मीरा नायर की फिल्म 'सलाम बॉम्बे' में भी एक छोटी भूमिका निभाई। उनकी सबसे यादगार भूमिका 'हीरो हीरालाल' (1988) में नसीरुद्दीन शाह के साथ थी, जहां उनके अभिनय को काफी सराहा गया।
क्या कर रही हैं संजना कपूर?
भले ही उन्होंने अभिनय में महारत हासिल की लेकिन बॉलीवुड की दुनिया उन्हें कुछ खास रास नहीं आई। वह सिनेमा से ज्यादा थिएटर को अपना घर मानती थीं। इसी वजह से 1993 में उन्होंने बॉलीवुड को छोड़ अपने दादा के पृथ्वी थिएटर की कमान संभाली। उन्होंने अगले 20 साल तक इस थिएटर को न सिर्फ चलाया, बल्कि इसे आधुनिकता के साथ भी जोड़ा।
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संजना ने थिएटर फेस्टिवल, वर्कशॉप और कला से जुड़ी कई गतिविधियों का आयोजन करके इसे कलाकारों और दर्शकों के लिए एक जीवंत केंद्र बना दिया। मगर साल 2012 में उन्होंने पृथ्वी थिएटर से किनारा कर लिया और अपनी खुद की संस्था जुनून थिएटर की शुरुआत की।
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