Shark Tank India के जज Anupam Mittal ने बेटी को लेकर लिया ये बड़ा फैसला, हर मां बाप को होगा फख्र
शार्क टैंक के फेमस जज Anupam Mittal करोड़ों के मालिक हैं। इस वक्त वह सुर्खियों में आ गए हैं। अपनी बेटी के लिए उन्होंने एक ऐसा कदम उठाया है जिसके बारे में जानकर आप भी उनकी सोच की तारीफ करेंगे। बिजनेसमैन ने कई साल पुरानी प्रथा को तोड़ते हुए एक नई पहल की है जिससे अन्य लोगों को सीख लेनी चाहिए। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें पूरी खबर।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Anupam Mittal Daughter: भारतीय समाज में बच्चों, खासकर बेटियों के नामकरण को लेकर एक पुरानी परंपरा चली आ रही है। कई परिवारों में यह प्रथा आम मानी जाती है कि बेटी के नाम के बीच में पिता का नाम रखा जाए और फिर विवाह के बाद वह अपने पति का उपनाम अपना लेती है। यह परंपरा इतनी गहराई तक जड़ें जमा चुकी है कि अक्सर इसे कोई प्रश्न भी नहीं करता।
लेकिन शादी.कॉम और पीपुल ग्रुप के संस्थापक और मशहूर उद्यमी अनुपम मित्तल ने इस प्रथा से हटकर अपनी बेटी के नाम में एक नया नजरिया आपनाया है जिसकी खूब सराहना हो रही है।
बेटी के नाम में दिखी सोच और संवेदनशीलता
लिंक्डइन पर शेयर किए गए एक भावुक पोस्ट में अनुपम मित्तल ने अपनी बेटी के नाम 'एलिसा अनंतारा' के पीछे की सोच का जिक्र किया। उन्होंने लिखा, "ऐसी दुनिया में जहां महिलाएं अक्सर किसी की बेटी, किसी की पत्नी या किसी की मां के रूप में जानी जाती हैं... हमने चाहा कि वह केवल 'खुद' के रूप में शुरुआत करे।"
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मित्तल ने बताया कि जब उनकी बेटी का जन्म हुआ, तो उन्होंने पारंपरिक सोच को पीछे छोड़ते हुए उसका मध्य नाम सोच-समझकर चुना। उन्होंने कहा, "अक्सर भारतीय परिवारों में पिता का नाम ही बच्चों के नाम के साथ जोड़ दिया जाता है। और बेटियों के मामले में, विवाह के बाद यह स्थान पति के नाम को दे दिया जाता है। यह एक शांत और सामान्य प्रक्रिया बन चुकी है, जिस पर शायद ही कोई ध्यान देता है। लेकिन हमने इस पर विचार किया और एक अलग राह चुनी।"
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नाम के पीछे छिपा खास मतलब
बेटी के नाम को विशेष और अर्थपूर्ण बनाने के लिए जोड़े ने 'अनंतारा' नाम चुना, जो 'अनंत' शब्द से निकला है। यह देवी सरस्वती का एक रूप माना जाता है और ज्ञान तथा शिक्षा का प्रतीक है। मित्तल ने बताया कि यह नाम न सिर्फ स्वतंत्रता का संकेत है, बल्कि उनकी बेटी के भविष्य में विश्वास और उसकी पहचान को सम्मान देने का तरीका भी है। उन्होंने ये भी कहा, "यह कोई विद्रोही कदम नहीं था।
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यह हमारे लिए एक सशक्त शुरुआत थी – समानता, स्वतंत्रता और उसकी पहचान के लिए हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक। और हमारे लिए, यही सबसे महत्वपूर्ण था।" सोशल मीडिया पर कई लोग मित्तल की इस सोच की सराहना कर रहे हैं।
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