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    Salo: विवादित फिल्म जिसे बोल्ड सीन्स की वजह से 100 देशों में किया गया बैन, डायरेक्टर का हो गया था मर्डर

    Updated: Sat, 26 Apr 2025 08:06 PM (IST)

    आज आपको एक इटैलियन फिल्म के बारे में बताएंगे जिसे अब तक की सबसे विवादित फिल्मों में से एक माना जाता है। इस फिल्म का नाम सालो या सोडोम के 120 दिन (Salò or the 120 Days of Sodom) था। ये एक पॉलिटिकल आर्ट हॉरर फिल्म है जिसका निर्देशन पियर पाओलो पासोलिनी ने किया था। फिल्म के सीन्स को लेकर बहुत विवाद हुआ।

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    फिल्म सालो को कई देशों में किया था बैन (Photo: Instagram)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। 1970 के दशक में यूरोप में एक्सपेरिमेंटल सिनेमा का उदय हुआ। इस दौरान मुख्यधारा की फिल्में अधिकाधिक सीमा को लांघने लगीं। इतालवी और फ्रांसीसी सिनेमा, जो पहले से ही धारदार फिल्में बना रहे थे अन्य क्षेत्रों में उतर गए। इस मोड़ पर एक ऐसी फ़िल्म आई जो इतनी अलग थी कि अधिकांश देशों ने इसे रिलीज या प्रमाणित करने से भी इनकार कर दिया।

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    फिल्म ने कर दिए थे रोंगटे खड़े

    इस फिल्म ने स्क्रीन पर ग्राफिक टार्चर को दर्शाने की सभी पिछली सीमाओं को तोड़ दिया। इसे अब तक की सबसे विवादास्पद फ़िल्म कहा गया। हम बात कर रहे हैं सालो (Salò) या सोडोम के 120 दिन (120 Days of Sodom) की जो 1975 की एक इतालवी फिल्म है। यह फिल्म एक पॉलिटिकल आर्ट हॉरर फिल्म थी जिसका निर्देशन और सह-लेखन पियर पाओलो पासोलिनी ने किया था। यह इटालियन फिल्म सत्ता, क्रूरता और यौन हिंसा के ऐसे पक्ष को उजागर करती है जिसे देखकर अच्छे-अच्छों के रोंगटे खड़े हो जाएं।

    फिल्म की कहानी चार भ्रष्ट और ताकतवर नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती है, जो फासीवादी शासन के दौरान कुछ युवाओं को अगवा करते हैं और फिर उनके साथ अमानवीय अत्याचार करते हैं। इसमें दिखाए गए दृश्य इतने ग्राफिक और हिंसक हैं कि कई दर्शक इसे अधूरा छोड़कर उठ गए।

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    कई देशों में कर दिया गया था बैन

    फिल्म को पेरिस फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया,लेकिन इसके कुछ सीन्स में नग्नता,मानसिक और शारीरिक हिंसा और यौन शोषण को इतनी स्पष्टता के साथ दिखाया गया कि इसका विरोध शुरू हो गया। इटली, जहां फिल्म बनी थी वहीं पर जनवरी 1976 में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया। इसके अलावा भारत, ऑस्ट्रेलिया, यूके और न्यूज़ीलैंड समेत करीब 100 देशों ने इस फिल्म को बैन कर दिया।

    डायरेक्टर की कर दी गई थी हत्या

    फिल्म के विवादास्पद स्वरूप को इसके निर्देशक पियर पाओलो पासोलिनी की क्रूर हत्या से भी मदद नहीं मिली। निर्देशक की हत्या 2 नवंबर, 1975 को फिल्म की रिलीज से कुछ हफ्ते पहले की गई थी। हालांकि उनकी मौत का फिल्म से कोई संबंध नहीं था, लेकिन इसने फिल्म में साज़िश और विवाद की एक परत जोड़ दी। पासोलिनी को बुरी तरह पीटा गया था और उनके ऊपर कई बार गाड़ी चढ़ाई गई थी। भले ही आज भी कई देशों में यह फिल्म प्रतिबंधित है, लेकिन सिनेमा की दुनिया में इसे 'कल्ट क्लासिक' का दर्जा मिल चुका है। IMDb पर इसकी रेटिंग 5.8 है।

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