लंचबॉक्स, गली बॉय से सितारे जमीन पर तक, बॉलीवुड में मर्दानगी को परिभाषित करते पुरुष किरदार
बॉलीवुड में मर्दानगी की तस्वीर बदल रही है। पहले गुस्सैल और ताकतवर नायक दिखते थे लेकिन अब गली बॉय और कपूर एंड संस जैसे किरदार संवेदनशीलता और भावनात्मक कमजोरी को गले लगाते हैं। यह बदलाव समाज की नई सोच को दिखाता है। दर्शक अब ऐसे पुरुष नायकों को पसंद कर रहे हैं जो पुरानी रूढ़ियों को तोड़कर भावनाओं को खुलकर जाहिर करते हैं।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बॉलीवुड में पुरुष किरदारों की छवि बदल रही है। पहले जहां हीरो को सिर्फ एक्शन और ताकत से जोड़ा जाता था, अब सितारे ज़मीन पर, गली बॉय, और कपूर एंड संस जैसी फिल्मों में संवेदनशील और भावुक पुरुष नायक दर्शकों का दिल जीत रहे हैं। ये किरदार सुनते हैं, महसूस करते हैं, और अपनी भावनाओं को खुलकर दिखाते हैं। आइए, इस बदलाव की पूरी कहानी जानते हैं।
बॉलीवुड में मर्दानगी की नई परिभाषा
पहले बॉलीवुड में हीरो का मतलब था माचो मैन, जो गुस्से में विलेन को सबक सिखाता था। लेकिन अब फिल्में पुरुषों की भावनात्मक और संवेदनशील छवि को सामने ला रही हैं। ये नए नायक न सिर्फ ताकतवर हैं, बल्कि अपने दिल की बात कहने और दूसरों की सुनने में भी यकीन रखते हैं। सितारे ज़मीन पर में आमिर खान, गली बॉय में रणवीर सिंह, और कपूर एंड संस में फवाद खान जैसे किरदार इस बदलाव की मिसाल हैं। ये किरदार दर्शकों को दिखाते हैं कि मर्दानगी सिर्फ ताकत नहीं, बल्कि भावनाएं और संवेदनशीलता भी है।
सितारे जमीन पर: आमिर का संवेदनशील रोल
आमिर खान की सितारे जमीन पर में उनका किरदार एक ऐसे शख्स का है, जो खास बच्चों की मदद करता है। वह बच्चों की भावनाओं को समझता है, उनकी परेशानियों में साथ देता है। यह रोल दिखाता है कि एक पुरुष नायक न सिर्फ सॉल्यूशन दे सकता है, बल्कि दूसरों के दर्द को भी महसूस कर सकता है। आमिर का यह किरदार दर्शकों को भावुक करता है और मर्दानगी की नई तस्वीर पेश करता है।
गली बॉय: मुराद की भावनात्मक गहराई
रणवीर सिंह का गली बॉय में मुराद एक स्लम से निकला रैपर है, जो अपनी भावनाओं को रैप के जरिए बयां करता है। वह अपने परिवार, प्यार, और सपनों के बीच जूझता है। मुराद का किरदार दिखाता है कि एक पुरुष अपनी कमजोरियों को स्वीकार कर सकता है और फिर भी अपने लक्ष्य हासिल कर सकता है। रणवीर का यह रोल युवाओं के बीच खासा लोकप्रिय हुआ।
कपूर एंड संस: परिवार और प्यार का मिश्रण
कपूर एंड संस में फवाद खान का किरदार राहुल एक ऐसा बेटा है, जो अपने परिवार की जिम्मेदारियों को निभाता है और अपनी निजी जिंदगी में भी संवेदनशीलता दिखाता है। वह अपने परिवार के दुख-दर्द को समझता है और प्यार में अपनी भावनाओं को खुलकर जाहिर करता है। यह किरदार दिखाता है कि एक पुरुष न सिर्फ मजबूत, बल्कि भावुक भी हो सकता है।
बॉलीवुड का बदलता नजरिया
पहले बॉलीवुड में पुरुष किरदारों को गुस्सैल, एक्शन हीरो, या रोमांटिक प्रिंस के रूप में दिखाया जाता था। लेकिन अब डायरेक्टर्स और राइटर्स पुरुषों की जटिल भावनाओं को स्क्रीन पर ला रहे हैं। लंचबॉक्स में इरफान खान का साजन फर्नांडिस एक अकेला और भावुक शख्स है, जो छोटी-छोटी बातों में खुशी ढूंढता है। बरेली की बर्फी में आयुष्मान खुराना का चिराग एक ऐसा लड़का है, जो अपने प्यार और दोस्ती में संवेदनशीलता दिखाता है। ये किरदार बताते हैं कि मर्दानगी का मतलब अब सिर्फ ताकत या गुस्सा नहीं, बल्कि दूसरों की भावनाओं को समझना भी है।
यह बदलाव सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं है। सोशल मीडिया पर फैंस इन किरदारों की तारीफ कर रहे हैं। X पर एक यूजर ने लिखा, “गली बॉय का मुराद दिखाता है कि मर्द भी रो सकते हैं और सपने देख सकते हैं।” एक अन्य पोस्ट में कहा गया, “आमिर का सितारे जमीन पर वाला रोल देखकर लगा कि असली हीरो वही है, जो दूसरों का दर्द समझे।” यह बदलाव समाज में भी पुरुषों की भूमिका को लेकर नई सोच ला रहा है। अब पुरुषों से उम्मीद की जाती है कि वे अपनी भावनाओं को छुपाएं नहीं, बल्कि खुलकर जाहिर करें।
डायरेक्टर्स और राइटर्स की भूमिका
डायरेक्टर्स जैसे जोया अख्तर (गली बॉय), शकुन बत्रा (कपूर एंड संस), और आर.एस. प्रसन्ना (सितारे ज़मीन पर) ने इन किरदारों को गहराई दी है। राइटर्स अब पुरुष किरदारों को लिखते वक्त उनकी कमजोरियों, डर, और सपनों को शामिल करते हैं। यह नया नजरिया दर्शकों को ज्यादा रियल और कनेक्ट करने वाले किरदार दे रहा है। मशहूर लेखक जावेद अख्तर ने एक इंटरव्यू में कहा, “आज के हीरो समाज की बदलती सोच को दिखाते हैं। वे सिर्फ लड़ने वाले नहीं, बल्कि सुनने और समझने वाले भी हैं
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।