शोमैन Raj Kapoor के करियर की वो हिट बड़ी फिल्में, जिन्होंने उन्हें बनाया अद्भुत निर्देशक
भारतीय सिनेमा के द ग्रेटेस्ट शोमैन यानी राज कपूर को भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे महान और सबसे प्रभावशाली निर्देशक के तौर पर देखा जाता है। फिल्मों के इतिहासकार और सिनेमा के शौकीन लोग उन्हें हिंदी सिनेमा का चार्ली चैपलिन कहते थे। ये राज कपूर का जादू ही था कि लोग आज भी उन्हें सिनेमा के एक दिग्गज कलाकार के तौर पर देखते हैं।

जागरण न्यूज नेटवर्क, मुंबई। कभी आवारा बनकर तो कभी श्री 420 और कभी छलिया बनकर पर्दे पर दिखाई देने वाले अभिनेता,निर्माता और निर्देशक राज कपूर आज भी दर्शकों के दिलों पर राज करते हैं। आने वाले 14 नवंबर को उनकी बर्थ एनिवर्सरी है। जिस तरह से चार्ली चैप्लिन ने अपनी फिल्मों में एक तरफ हमको हंसाया ,वहीं समाज में व्याप्त विभिन्न विसंगतियों एवं सामा जिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों को भी जोरदार ढंग से उठाया।
कमोबेश यही सब बातें हिंदी सिनेमा के शोमैन राज कपूर पर भी लागू होती हैं, जिन्होंने स्वयं एक मसखरा, एक जोकर बनकर लोगों को हंसाया भी और संजीदा होकर उन विषयों पर सोचने के लिए मजबूर भी किया। राज कपूर के करियर के हर दशक की एक विशेष फिल्म पर एक नजर...
आग (1948)
यह फिल्मों के प्रति राज कपूर की गहरी समझ,प्रति बद्धता और जुनून था कि किस तरह उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘आग’ का निर्माण किया,जबकि स्वयं पिता पृथ्वीराज कपूर ने उन पर तंज कसा था कि वो कम संसाधनों में फिल्म निर्माण नहीं कर पाएंगे। हालांकि डिस्ट्रीब्यूटर्स ने राज कपूर के आत्मविश्वास को देखकर उनकी फिल्म को हाथों हाथ लिया और हिंदी सिनेमा को अद्भुत निर्देशक मिल गया।
यह भी पढ़ें: थिएटर्स में लौटेगा 'शोमैन' का जादू, महज 100 रुपये में देखें Raj Kapoor की 10 आइकॉनिक मूवीज
बरसात (1949)
‘आग’ बरस चुकी थी,अब बारी थी प्यार की बारिश की। तब आती है ‘बरसात'। यही वो फिल्म है,जिसकी सफलता ने राज कपूर को आर.के.स्टूडियोज की नींव रखने में मदद की। फिल्म का अंत भले ही दुखद रहा मगर इसके पोस्टर में नजर आए राज कपूर और नरगिस आज भी आर.के.स्टूडियोज के लोगो के तौर पर मौजूद हैं।
श्री 420 (1955)
यह वो दशक था जब राज कपूर का सिक्का चल रहा था। उनकी फिल्में व गीत न केवल भारतीय बल्कि विदेशी दर्शकों के दिलों में जगह बना रहे थे। तब प्रदर्शित होती है फिल्म ‘श्री 420’,जिसकी शुरुआत में चार्ली चैप्लिन के अंदाज में नजर आते हैं राज कपूर और यह बन जाती है उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म।
तीसरी कसम (1966)
राज कपूर और वहीदा रहमान की ‘तीसरी कसम’ इतिहास के पन्नों में दर्ज है। फणीश्वर नाथ रेणु की लघुकथा ‘मारे गए गुलफाम’पर आधारित बासु भट्टाचार्य निर्देशित ‘तीसरी कसम’को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया।
मेरा नाम जोकर (1970)
हिंदी सिनेमा की सबसे लंबी फिल्मों में से एक ‘मेरा नाम जोकर’ राज कपूर का ड्रीम प्रोजेक्ट थी। इसे बनने में छह साल लगे मगर फिल्म बॉक्स आफिस पर अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाई। इसके परिणाम स्वरूप राज कपूर पर आर्थिक संकट आ गया। मगर आज इस फिल्म को मास्टरपीस कहा जाता है।
बॉबी (1973)
‘मेरा नाम जोकर’नहीं चली तो क्या,राज कपूर के प्लान बी के रूप में आई बॉबी। इसने नए कलाकार डिंपल कपाड़ि या और ऋषि कपूर के करियर की गाड़ी को तो आगे बढ़ाया ही साथ ही इसने पिछले आर्थिक झटके पर भी मलहम लगा दिया।
राम तेरी गंगा मैली (1985)
अपने दशक की सबसे विवादित फिल्म रही थी ‘राम तेरी गंगा मैली ’। फिर भी इसने लागत से 18 गुना कमाई की। इस फिल्म का हर गीत हिट रहा। फिल्मों के प्रति राज कपूर के जुनून का पता इसी बात से चलता है कि सांस की तकलीफ के बावजूद वे ‘राम तेरी गंगा मैली ’ को फिल्माने गंगोत्री तक चले गए थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।