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    कमजोर है आपकी भी गणित? एक्टर R Madhavan की मान लें ये सलाह, होगा फायदा

    Updated: Sun, 19 Jan 2025 05:00 AM (IST)

    अभिनेता आर माधवन (R Madhavan) हर किरदार को बेहतरीन ढंग से अदा करने के लिए जाने जाते हैं। ओटीटी पर उनकी फिल्म हिसाब बराबर बहुत जल्द दस्तक देगी। इस बीच उन्होंने गणित से लेकर किरदारों को निभाने की मुश्किलों को लेकर खुलकर बात की है। इतना ही नहीं एक्टर ने गणित को मजबूत करने का बेहतरीन तरीका भी बता दिया है।

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    आर माधवन ने कमजोर गणित के बारे में बात की (Photo Credit- Instagram)

    स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। अभिनेता आर. माधवन (R Madhavan) लगातार वैरायटी किरदारों को प्राथमिकता दे रहे हैं। अब वह जी5 पर प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘हिसाब बराबर’ में रेलवे टीटीई की भूमिका में नजर आएंगे। एक्टर से उनकी फिल्मों से लेकर अपकमिंग प्रोजेक्ट को लेकर बात की गई है। आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है। 

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    कभी लगता है कि हिंदी सिनेमा ने आपको अच्छा काम नहीं दिया?

    नहीं। मुझे लगता है कि जिसका मैं हकदार हूं वो तो मैं लेकर ही रहूंगा। अभी तो मुझे पब्लिसिटी से ज्यादा लेना-देना नहीं है। लोगों को लगता है कि मेरी प्रतिभा को पूरा सम्मान नहीं मिला, लेकिन मुझे लगता है कि मैं जिस प्रकार का अभिनेता हूं और खुद को प्रैक्टिकली देख पाता हूं, जितनी मेरी क्षमता है, उससे कहीं ज्यादा पहचान, प्यार और सम्मान मिला है। मैं उससे खुश हूं। अगर आप कहें कि मैं सुपरस्टार नहीं बन पाया तो मुझे कहूंगा कि जरूर मेरी क्षमताओं में कमी रही होगी।

    पैपराजी कल्चर बढ़ रहा है। इसे आप कैसे देख रहे हैं?

    हम जैसे कलाकार, जो पहले निडर होकर घूमते थे, अपने सारे काम करते थे, अब हमको भी चार बार सोचना पड़ता है क्योंकि सब जगह कैमरा है। साथ ही हर चीज पर राय देने का कल्चर बढ़ा है। मुझे लगता है कि जल्द ही एआइ की वजह से सबको समझ आएगा कि किन चीजों को गंभीरता से लेना है और किसे नहीं। हॉलीवुड में ऐसा होने लगा है। मुझे लगता है कि हम भी उस स्टेज में हैं।

    Photo Credit- Instagram

    Ai तकनीक के नकारात्मक प्रभाव को आप कैसे देखते हैं?

    जब भी कुछ नया आता है तो उसके अच्छे और बुरे दोनों पहलू होते हैं। मुझे लगता है कि आप चाहें या न चाहें, एआइ और तकनीकी का उन्नतिकरण तो आने ही वाला है। यह हम इंसान तय करेंगे कि हमें तकनीक से कितना लेना-देना है। जहां तक एआइ की बात है तो लोगों को डराया जा रहा है कि आपके काम छिन जाएंगे, वो एक हद तक सही है कि काम करने का तरीका और क्षमता बदलती रहेगी। जो लोग बदलाव का हिस्सा नहीं बन पाएंगे वो पिछड़ जाएंगे। बाकी मुझे नहीं लगता कि डरने की जरूरत है।

    फिल्मों में ट्रेन से जुड़े कई सीन किए हैं?

    पता नहीं क्या संयोग है, लेकिन मेरी जितनी भी हिट फिल्में रही हैं, उसमें ट्रेन और बारिश जरूर रही है। मेरी पहली तमिल फिल्म ‘अलाई पायुथे’ से लेकर ‘हिसाब बराबर’ तक में बहुत बार ऐसे मौके आए। मुझे याद है कि ‘अलाई पायुथे’ में मैं नायिका से एक रोमांटिक संवाद कह रहा हूं। उस वक्त मुझे बहुत डर लगा रहा था क्योंकि कैमरा ट्रेन के अंदर था। मुझे ट्रेन के पास भागकर आना था, हीरोइन के हाथ से किताब निकालकर डायलॉग बोलकर फिर उसी एंगल में वापस भागकर जाना था। रोमांस से ज्यादा मेरा सारा ध्यान इसी बात पर था कि ट्रेन के साथ इतनी स्पीड में चलो कि डायलॉग खत्म होते ही वापस भागो। बाद में पता चला कि वो संवाद अमर हो गया।

    ‘हिसाब बराबर’ का सीन करना आसान रहा?

    बिल्कुल नहीं। गणित और मेरा संबंध कभी ठीक नहीं रहा। मैं बहुत टेक्नीकल माइंडेड हूं पर गणित किसी और से कराता हूं। इसमें गणित के जो दृश्य हैं, उन्हें मैं समझकर परफॉर्म कर रहा था। उसे संवाद की तरह रटा नहीं था। उसे उस तेजी से बोलना तब तक मुमकिन नहीं है, जब तक आप उसे समझते नहीं हैं। पर मुझे लगता है कि फिल्म आने के बाद लोगों में जागरूकता आएगी।

    Photo Credit- Instagram

    एफटीआईआई में पढ़ाई करने की इच्छा आपकी कभी हुई?

    बिल्कुल। मैंने किसी और के खर्चे पर यह सारा हुनर सीखा। मैं किसी क्लास या इंस्टीट्यूट नहीं गया। अब जब मैं एफटीआईआई जाता हूं तो लगता है कि काश यहां से पढ़ाई करके आता तो काफी बेहतर कलाकार होता। यह दुनिया का सर्वश्रेष्ठ फिल्म स्कूल है। मैं आशा करता हूं मुझसे जो अपेक्षाएं की गई हैं, उससे ज्यादा योगदान दे पाऊं।