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    अपनी ही धुन में रहते थे Premnath Malhotra, Rum पीते-पीते तय किया था बॉबी का किरदार, हर रोल से छोड़ी अलग छाप

    Updated: Thu, 21 Nov 2024 04:02 PM (IST)

    प्रेम नाथ मल्होत्रा हिंदी सिनेमा के वो अभिनेता हैं जिन्होंने बतौर हीरो कई सुपरहिट फिल्में दीं। हालांकि उन्हें असल पहचान खलनायक बनने के बाद मिली। प्रेमनाथ सिर्फ एक एक्टर ही नहीं बल्कि प्रोड्यूसर और राइटर भी थे। उन्होंने कई नॉवेल भी लिखीं। उन्होंने 4 फिल्में बनाईं लेकिन वो फ्लॉप रहीं। प्रेमनाथ का जन्म पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। जानिए उनकी जिंदगी से जुड़े अन्य किस्से।

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    प्रेमनाथ ने बॉबी में निभाया था अहम किरदार

    जागरण न्यूज नेटवर्क, मुंबई। प्रेमनाथ ने बॉलीवुड में नायक से लेकर खलनायक तक हर तरह के कैरेक्टर से दर्शकों के दिल में छाप छोड़ी। जब भी विलेन का उदाहरण दिया जाएगा उनका जिक्र जरूर आएगा। पर्दे पर वह जितने खौफनाक नजर आते थे,असल जीवन में उतने ही मस्तमौला थे।

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    आज उनकी जन्मतिथि (21 नवंबर) पर सुनाएंगे उनकी लाइफ से जुड़े कुछ अनसुने किस्से

    प्रेमनाथ ने जब अभिनय की दुनिया में कदम रखा था तो वह सिनेमा का शुरुआती दौर था। बतौर निर्देशक राज कपूर की शुरुआती फिल्मों ‘बरसात’ और ‘आग’ में उन्होंने मुख्य भूमिका निभाते हुए शोहरत पाई। महबूब खान साहब की फिल्म ‘आन’ में उनकी अदाकारी व अंदाज कमाल का था। वह उस दौर के सबसे आकर्षक अभिनेताओं में थे। यही वजह थी कि फिल्म ‘बादल’ में जब वह मधुबाला के साथ हीरो के तौर पर आए तो दर्शक भी देखते रह गए। फिल्म ब्लाकबस्टर रही। इसके बाद कई दशक तक शानदार अभिनय से वह सिनेप्रेमियों के दिलों पर छाए रहे।

    रम पीते-पीते से तय किया रोल

    राज कपूर साहब जब ‘बाबी’ बना रहे थे, उस फिल्म में प्रेमनाथ ने अभिनेत्री के पिता की चरित्र भूमिका निभाई थी। उस फिल्म में मैं राज कपूर साहब के साथ बतौर सहनिर्देशक जुड़ा था। प्रेमनाथ जी बड़े मस्तमौला मिजाज के थे। राइटर जब प्रेमनाथ को कहानी सुनाने गए तो एक बहुत ही मजेदार किस्सा हुआ। उन्होंने पूछा कि मेरा रोल क्या होगा। हमने भूमिका के विषय में बताया, तभी उन्होंने अपने सहायक को रम लेकर आने को कहा। इस सहायक का नाम प्रेमनाथ जी ने जेम्स बांड- एडीजी टु प्रेमनाथ रखा था। वह रम लेकर आया।

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    प्रेमनाथ जी ने बोतल हाथ में ली और हमें पीछे आने को कहा। वो इत्मिनान से अपने बंगले में एक बहते नल के नीचे जाकर बैठ गए और रम पीने लगे। फिर बोले फिल्म में मेरा पात्र रम पिएगा। फिल्म में जैक ब्रिगेंजा का उनका पात्र रम पीते नजर आता है।

    खुद अपने लिए बजाई तालियां

    प्रेमनाथ जी रिश्ते में राज साहब के साले थे। ‘बाबी’ की शूटिंग शुरू हुई। प्रेमनाथ ने शाट दिया। कट होते ही प्रेमनाथ खुशी से ताली बजाने लगे और बोले वाह कितना कमाल का शाट दिया मैंने। यूनिट के अन्य लोग भी उनके लिए ताली बजाने लगे, राज साहब ने भी ताली बजाई। मैं राज साहब के बिल्कुल पास जमीन पर बैठता था ताकि वो कोई बात कहें तो सुन सकूं। उन्होंने मुझे कहा कि कुछ बोलना नहीं, बस बोलने की एक्टिंग करना। मैंने वैसा ही किया, तभी राज साहब प्रेमनाथ जी से बोले राहुल को शाट पसंद नहीं आया इसलिए दोबारा करते हैं।

    अपने मन का काम निकलवा लेते थे राज कपूर

    प्रेमनाथ जी मुझ पर गुस्सा हुए लेकिन राज साहब ने समझाया कि राहुल को पसंद नहीं तो कोई बात नहीं, दोबारा कर लेते हैं। दूसरी बार में शाट ओके हो गया। ये राज साहब का तरीका था उनसे मन का काम निकलवाने का। ‘बाबी’ की डबिंग शुरू होनी थी। ठीक उससे पहले आर. के. स्टूडियो में ‘शोर’ की डबिंग हुई थी। उस दौरान सिकंदर भारती जी मनोज कुमार के असिस्टेंट थे। उन्हें प्रेमनाथ जी ने किसी बात पर थप्पड़ मार दिया था। इस बात से मैं डरा हुआ था कि कहीं मुझ पर भी वह बरसने ना लगें।

    कास्ट्यूम पहनकर की डबिंग

    बहरहाल प्रेमनाथ जी ‘बाबी’ की डबिंग के लिए आए। सबसे पहले उन्होंने अपना हारमोनियम निकाला और बजाने लगे। हारमोनियम की धुन के बीच ही उन्होंने मुझसे संवाद सुनाने को कहा। मुझे कुछ समझ नहीं आया कि ये हो क्या रहा है, तब प्रेमनाथ जी बोले मैं संवाद का सुर खोज रहा हूं। बहरहाल डबिंग शुरू हुई। प्रेमनाथ जी ने फिर एक मांग रखी कि मुझे अपने पात्र का पूरा कास्ट्यूम चाहिए। पूरा कास्ट्यूम पहनकर उन्होंने डबिंग की। फिल्म के दृश्य में उनका पात्र खड़ा है या चल रहा है तो वह डबिंग करते हुए भी खड़े हो जाते व चलने लगते थे।

    असिस्टेंट को माइक लेकर उनके साथ-साथ चलना पड़ता था। अब क्लाइमेक्स की बारी आई। ‘बाबी’ का क्लाइमेक्स पानी में शूट हुआ था, तो उन्होंने स्टूडियों में पानी भरने की मांग की। जब मैंने असमर्थता जताई तो उन्होंने कहा कि स्वीमिंग पूल पर जाकर डबिंग पूरी करते हैं। उन्हें समझाना पड़ा कि आवाज ठीक नहीं आएगी। इस तरह बड़ी मुश्किल से डबिंग पूरी हुई। ऐसा था प्रेमनाथ जी का मिजाज, वह अपने पात्र में पूरी तरह डूब जाते थे।

    हमेशा अपनी धुन में रहते थे प्रेमनाथ

    एक दौर ऐसा भी आया जब प्रेमनाथ जी की फिल्में उतना कमाल नहीं कर पा रही थीं। उसी बीच उनका झुकाव अध्यात्म की ओर हुआ। वह साधू के वेष में घूमने लगे। अध्यात्म की ऊर्जा ने उन्हें नए सिरे से स्वयं को स्थापित करने का हौसला दिया। ‘जानी मेरा नाम’ में खलनायक के किरदार से उन्होंने शानदार दूसरी पारी की शुरुआत की। खलनायक उनकी पहचान बन गई। हालांकि प्रेमनाथ ने यह साबित किया कि अच्छा अभिनेता किसी दायरे में सीमित नहीं होता। चरित्र भूमिकाओं में भी उनका शानदार अभिनय दर्शकों के दिलों में उतर गया। वह हमेशा अपनी ही धुन में रहते थे, लेकिन बड़ी बहन कृष्णा (राज कपूर की पत्नी) का बेहद सम्मान करते थे।

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