क्या शादी में बजाना चाहिए 'हेरी सखी मंगल गाओ री'? Kailash Kher ने पिता के निधन के बाद लिखा था ये गाना
Heri Sakhi Mangal Gaao Ri: हेरी सखी मंगल गाओ री... ये गाना अक्सर आपने शादियों में सुना होगा और खासकर आजकल दुल्हा-दुल्हन की एंट्री पर यह गाना बजाया जात ...और पढ़ें

हेरी संग मंगल गाओ री नहीं है वेडिंग सॉन्ग
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। कैलाश खेर के गानों के लाखों लोग दीवाने हैं, 'तेरी दीवानी' से लेकर 'बम लहरी' और 'सैंया' से लेकर बाहुबली के 'जय-जयकारा' तक उनके गानों की एक अलग रिदम है जिनसे फैंस की भावनाएं सीधे जुड़ती हैं। इस वक्त उनका एक गाना बहुत वायरल है जो ज्यादातर शादियों में बजाया जाता है। 'हे री सखी मंगल गाओ री' ये गाना अक्सर दुल्हा-दुल्हन की एंट्री पर बजाया जाता है। लेकिन कैलाश खैर के इस गाने का मतलब जानकर आपको होश उड़ जाएंगे क्योंकि सिंगर ने यह गाना किसी और ही वजह से बनाया था।
कैलाश खेर ने अपनी मां की याद में बनाया था ये गाना
कैलाश खेर ने यह गाना अपनी मां के लिए लिखा है, जिसमें वे अपने पिता का स्वर्ग में स्वागत कर रही हैं। जब कैलाश खेर ने यह गाना बनाया था उसके कुछ वक्त पहले उनके पिता गुजर गए थे और उनकी मां की मृत्यु कई साल पहले हो चुकी थी। तो ऐसे में कैलाश खेर ने अपने मां के नजरिए से ये गाना पेश किया था कि जब उनके पिता स्वर्ग में जाएंगे तो उनकी मां अपने पति का इंतजार कर रही होगी।
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कैलाश खेर ने 2009 में ये गाना लिखा जब उनके पिता ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। उनकी मां पहले ही गुजर गई थी। सिंगर ने इसे अपनी मां के नजरिए से गाया था जिसमें वे अपने पति के स्वर्ग में आने पर उनके स्वागत की तैयारियां कर रही हैं। कहा जाता है कि मृत्यु दूसरी शादी की तरह होती है और इस गाने के साथ कैलाश खैर ने उनके इस मिलन को सेलिब्रेट किया है।
क्या शादी में बजाना चाहिए ये गाना?
अब आप सोच रहे होंगे कि क्या इस गाने को शादी में नहीं बजाना चाहिए? तो ऐसा नहीं है ये अपने-अपने नजरिए पर निर्भर करता है। क्योंकि है तो ये दो प्यार करने वालों के मिलन का गाना ही। इसका एक आध्यात्मिक अर्थ भी है जो किसी भक्त का अपने भगवान से मिलने का सेलिब्रेशन मनाता है। तो इस गीत को नेगेटिव तरीके से नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह किसी भी तरह से अशुभ तो नहीं है।

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