'स्टेज पर डांटकर कहते हैं पिकनिक बंद करो...'Paresh Rawal की पत्नी ने बताया कैसे मिला अभिनेत्री बनने का मौका
फिल्म इंडस्ट्री को हेरा-फेरी और ओह माय गॉड जैसी बेहतरीन फिल्में देने वाले परेश रावल (Paresh Rawal) के बारे में तो हर कोई जानता है। लेकिन क्या आप ये जा ...और पढ़ें

प्रियंका सिंह, मुंबई। कभी अभिनय से दूर भागने वाली अभिनेत्री स्वरूप संपत रावल एक सफल अभिनेत्री हैं। हाल ही में उन्होंने बच्चों के लिए ‘क्रिएटिव कनेक्ट: आर्ट एक्रास द करिक्यूलम’ किताब भी लिखी है। स्वरूप बच्चों को मुफ्त में पढ़ाती हैं, यह सीख उन्हें पति व अभिनेता परेश रावल से मिली है। स्वरूप संपत रावल जब पीएचडी करके इंग्लैड से लौटी थीं, तो यह परेश रावल की सलाह थी कि किसी को पढ़ाने के लिए पैसे मत लेना क्योंकि उनके पास किसी चीज की कमी नहीं है। संपत रावल से पेश हैं बातचीत के कुछ अंश।
मैं किताबों से सीखाने वाली शिक्षिका नहीं हूं - संपत
अपने इस शौक के बारे में बात करते हुए संपत ने कहा,‘मुझे अभिनय से बहुत प्यार है, लेकिन पढ़ाने में अलग तरह की खुशी मिलती है। खुश हूं कि अपने देश और समाज के लिए कुछ कर पा रही हूं। मैं कर्म में विश्वास करती हूं। मुझे तो लगता है कि ईश्वर मुझे इसी के लिए तैयार कर रहे थे। मैं कभी अभिनेत्री या मिस इंडिया नहीं बनना चाहती थी जबकि मेरे पिता थिएटर से थे। अभिनेत्री सरिता जोशी ने मुझे 15-16 साल की उम्र में ही मेकअप-फैशन आदि करना सिखा दिया था। वहां से क्रिएटिविटी की समझ आई।
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'मैं ऐसी शिक्षिका नहीं हूं, जो केवल किताबों से सिखाती है। मैं ड्रामा-पेटिंग इन सबका प्रयोग करती हूं। जब पूछा जाता है कि मैम, आपको क्लास के लिए क्या चाहिए, तो मैं यही कहती हूं कि एक खाली क्लासरूम और बच्चे चाहिए। मुझे पढ़ाने के लिए इसके अलावा कोई उपकरण नहीं चाहिए।’
कैसे आया पीएचडी का ख्याल
अभिनय के बीच में पीएचडी का विचार कैसे आया? इस पर स्वरूप कहती हैं, ‘कोई इरादा नहीं था। मैंने केवल तीन महीने का कोर्स करने के बारे में सोचा था, लेकिन मैंने जो निबंध लिखा था, वह उन लोगों को इतना पसंद आया कि मुझे स्कालरशिप दे दी। मैंने लिखा था कि जब शेख्सपियर (लेखक विलियम शेख्सपियर) ने नाटक लिखे थे, तो वह क्लासरूम के टीचर के लिए नहीं, बल्कि मेरे लिए लिखे थे कि कोई अभिनेत्री उन्हें करेगी। उन्हें यह आइडिया इतना पसंद आया कि मुझे पीएचडी आफर कर दी।
मैं हमेशा से मध्यमवर्गीय मां की तरह सोचती रही हूं। मुझे लगा अपनी पढ़ाई पर पैसे लगाऊंगी, तो अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए कैसे पैसे जोडूंगी, लेकिन मुझे फुल स्कारलशिप दी गई, तो ना कहने का सवाल ही नहीं था।’
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कैमरा करता है मुझसे प्यार
स्वरूप को हमेशा से कैमरा से प्यार था, लेकिन अभिनय से नहीं, इसकी वजह बताते हुए वह कहती हैं, ‘मुझे तस्वीरें खिंचवाना बहुत पसंद था। ऋषि दा (ऋषिकेश मुखर्जी) कहते थे कि दुनिया में ऐसा कोई कैमरा नहीं होगा, जो स्वरूप से प्यार नहीं करेगा, क्योंकि ईश्वर ने मेरा चेहरा एकदम परफेक्ट बनाया है।'
मुझे गर्व होता है कि वह ऐसा कहते थे, लेकिन इसमें मेरे माता-पिता का योगदान है। यह सच है कि मुझे अभिनय नहीं करना था, जब तक कि मैं वहीदा रहमान से नहीं मिली थी। उनके साथ दो फिल्में की थीं, तब बहुत मजा आया था। वह पढ़ती भी थीं, मेरी तरह शर्मिली थीं और मुझे बहुत संभालती थीं। मुझे तो परेश और शफी (अभिनेता शफी इनामदार) ने अभिनेत्री बनाया था।
एक्टिंग में कैसे आईं स्वरूप
मैं मुंबई के केसी कालेज की सीढ़ियों पर बैठी थी। उन्हें एक रोल के लिए हीरोइन चाहिए थी तो शफी ने परेश से कहा कि तेरी गर्लफ्रेंड से एक्टिंग कराते हैं। मैंने नादानी में कर लिया।’
स्टेज पर कौन किस पर भारी पड़ता है?
इस पर स्वरूप हंसते हुए कहती हैं, ‘मुझे तो आज भी स्टेज पर उनसे बहुत डांट पड़ती है। वह हमेशा से बहुत गंभीर किस्म के रहे हैं और मैं मस्ती करती हूं। वह मुझे आज भी स्टेज पर डांट कर कहते हैं कि पिकनिक बंद करो।’

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