'पंचायत' फेम चंदन रॉय फिल्म में भी दिखाएंगे अपना टैलेंट, कहा- दिल से खुद किया है यह विकास
डिजिटल प्लेटफार्म पर कई कलाकारों ने अपनी अच्छी-खासी जगह बना ली है। इनमें पंचायत वेब सीरीज में विकास के किरदार से पहचान बना चुके चंदन रॉय भी शामिल हैं। अब वह फिल्मों में भी मुख्य भूमिकाएं कर रहे हैं। बनारस में फिल्म शूटिंग कर रहे चंदन से बातचीत के अंश
नई दिल्ली, जेएनएन। शिव की नगरी बनारस में अपनी नई फिल्म 'मजनू सैलोन' की शूटिंग को लेकर उत्साहित चंदन रॉय इसी विषय से अपनी बात शुरू करते हुए कहते हैं, 'मैं 10 फरवरी तक बनारस में ही शूट करने वाला हूं। फिल्म की कहानी बनारस के एक लड़के की है, जो मजनू प्रवृत्ति का है, उसे हर लड़की से प्यार हो जाता है। छोटे शहर में ऐसी कई कहानियां मिल जाती हैं। फिल्म के नाम में सैलोन इसलिए जोड़ा गया है, क्योंकि उसका अपना सैलोन है।
मैं फिल्म में मुख्य भूमिका में हूं। हम बनारस के वास्तविक लोकेशन पर शूट कर रहे हैं। यहां की ठंड में मैं बिना किसी जैकेट के शर्ट में शूट कर रहा हूं, जबकि क्रू चादर और कंबल ओढ़े रहते हैं। वैसे मुझे ठंड टेक से पहले और टेक के बाद महसूस होती है, शाट के बीच तो पूरा ध्यान अभिनय पर रहता है।' क्या चंदन ने इसके लिए सैलोन का काम भी सीखा है? इसके जवाब में वह हंसते हुए मना करते हुए कहते हैं,'नहीं, मैं एकाध सीन में किसी की दाढ़ी और बाल बनाते दिख जाऊंगा। सीन के लिए सिनेमा में थोड़ी बहुत लिबर्टी हम ले ही लेते हैं। फिर कैमरा की वजह से चीजें और खूबसूरत हो जाती हैं।'
अब दर्शक होंगे हैरान
साइड रोल से इतर अब मुख्य भूमिका निभाने को लेकर चंदन कहते हैं,'मेरा प्रयास यही रहता है कि ऐसे काम करूं, जिसमें सराहना मिले या मैं मुख्य भूमिका में रहूं, लेकिन कभी सफलता मिलती है तो कई जगह असफल भी हो जाता हूं। कई बार लोग पकड़ लेते हैं कि आपको ही किरदार करना पड़ेगा तो कभी पैसे बढ़िया मिल रहे होते हैं तो कर लेता हूं। इन सबके बीच खुशी इस बात से मिलती है कि फिल्मकार मुझमें यकीन दिखा रहे हैं। लोग मुझे 'पंचायत' वेब सीरीज के सचिव के असिस्टेंट के तौर पर जानते हैं। आगे जो प्रोजेक्ट्स आएंगे, उनमें दर्शकों को मुझे देखकर हैरानी होगी कि मैं इस तरह के रोल भी कर सकता हूं।'
खून में है देशभक्ति
चंदन की आगामी वेब सीरीज 'जाबांज हिंदुस्तान के' होगी। इसमें चंदन एक हैकर की भूमिका में होंगे, जो सरकार की तरफ से हैकिंग करता है। इस किरदार को लेकर चंदन कहते हैं,'मेरे दादाजी भारतीय सेना में थे और पिताजी बिहार पुलिस में हैं। देशभक्ति खून में है, इसीलिए मैंने यह शो किया। मैं इस शो में देश के लिए फ्रंट पर आकर नहीं लड़ रहा हूं, लेकिन जो लड़ रहे हैं, उनके लिए जानकारियां जमा करके फ्रंट पर लड़ने वालों के लिए रास्तों को आसान बना रहा हूं।'
वास्तविक जीवन में कौन सा जाबांजी वाला काम किया है, इस पर चंदन कहते हैं, 'मैं दिल्ली में दैनिक जागरण में ही नौकरी करता था। एक दिन लगा कि मुंबई जाना चाहिए। वह बहुत हिम्मत का काम था, क्योंकि घर-परिवार सब कुछ दिल्ली में सेट था। सबके साथ ही अपने प्यार को भी छोड़कर मैं मुंबई आ गया। अब लगता है कि वो हिम्मत कहां से आई थी, जो पीछे छूट गया, उसकी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता है। हर किसी का जीवन में अपना महत्व होता है। उससे अच्छे लोग जीवन में आ सकते हैं, लेकिन वैसा कोई नहीं आएगा। यह सच्चाई है। जीवन में चतुराई इसी में है कि खुद को समझाओ और आगे बढ़ो।'
शब्दों को जीवन देते हैं हम
'पंचायत 3' को लेकर चंदन कहते हैं, 'फिलहाल यह लेखन स्तर पर है। सब ठीक रहा तो साल के अंत तक दर्शकों के सामने होगा।' एक अंतराल के बाद 'पंचायत' के पात्र विकास की भूमिका में जाने में समय लगता है? इस पर चंदन कहते हैं, 'यह पात्र मेरे अंदर पांच साल से है। फिल्मों में दो-तीन महीने बाद कलाकार पात्र से बाहर निकल जाते हैं, लेकिन पांच साल तक एक पात्र को साथ लेकर चलना मुश्किल होता है। इस बीच कई शारीरिक बदलाव होते हैं, उन पर हमारा नियंत्रण नहीं होता है।
हम बस प्रयास कर सकते हैं कि पात्र की तरह लगें। बाकी जो पात्र का एक सुर होता है, उसे पकड़ना मुश्किल नहीं होता, क्योंकि 'पंचायत' का वह किरदार अंदर ही है। जैसे ही स्क्रिप्ट हाथों में आती है, मूड और सुर पकड़ में आ जाता है। स्क्रिप्ट में लिखे शब्दों को कलाकार ही जीवित करता है। इस पात्र का बीज मेरे भीतर है। मुझे पता है कि मैंने उसमें क्या चीजें रखी हैं। जैसे ही उस पात्र में मैं खाद और पानी डालूंगा, विकास फिर से लहलहा उठेगा।'
प्रियंका सिंह
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