इस एक्ट्रेस ने ठुकरा दी थी Amitabh Bachchan की 'सिलसिला' मूवी, एक कमिटमेंट के चक्कर में हाथ से गई फिल्म
फिल्मी दुनिया में ऐसे कई कलाकार हैं जिन्होंने कमिटमेंट के चक्कर में बड़ी-बड़ी फिल्में छोड़ दी हैं। आज हम उन्हीं कलाकारों के बारे में बात करेंगे जिन्होंने अपनी ईमानदारी दिखाते हुए कई फिल्में छोड़ीं। एक एक्ट्रेस ने तो अमिताभ बच्चन की सिलसिला भी ठुकरा दी थी। जानिए इस बारे में।

एक एक्ट्रेस ने अमिताभ बच्चन की सिलसिला को ठुकराया था। फोटो क्रेडिट- एक्स
दीपेश पांडेय, मुंबई। भगवान श्रीराम ने अपने पिता दशरथ को दिए वचनों को निभाते हुए तमाम मुश्किलों और प्रस्तावों के बावजूद 14 वर्ष वनवास काटा। यानी वचन सर्वोपरि, ‘रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई’।
ऐसे ही सिनेमा जगत के कलाकारों की जिंदगी में अक्सर होता है, जब वह कोई प्रोजेक्ट कर रहे होते हैं और उन्हें कोई दूसरा लुभावना ऑफर मिलता है, लेकिन सच्चा कलाकार तो वही है, जिसके लिए वचन सर्वोपरि हो। ऐसी ही परिस्थितियों को लेकर हिंदी सिनेमा के कुछ कलाकारों से दैनिक जागरण ने बातचीत की।
मानसिक शांति देती है प्रतिबद्धता
‘सैयारा’ और ‘वार 2’ फिल्मों के अभिनेता वरुण बडोला इस मामले में बताते हैं, ‘मेरे साथ ऐसा एक नहीं, बल्कि कई बार हुआ है। जहां मुझे अपने पहले की प्रतिबद्धताओं के कारण बड़े मौके या ऑफर छोड़ने पड़े। हालांकि, मैं इन चीजों को अपने सीने पर टांगकर सबको बताता नहीं फिरता। बतौर कलाकार यह आपका कर्तव्य है। हां, ऑफर आने पर यह खुशी होती है कि उस प्रोजेक्ट के लिए फिल्मकार ने आपके बारे में सोचा। इसका मतलब आप ठीक काम कर रहे हैं, तो भविष्य में ऐसे मौके और आएंगे।"
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उन्होंने आगे कहा, "अगर आप अपनी बातों पर खरे रहते हैं, तो उसका फल कहीं न कहीं जरूर मिलता है। यह मानसिक शांति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। अगर मैं एक काम के साथ दूसरा भी कर लूं, फिर दोनों के बीच संतुलन बनाने के लिए ही संघर्ष करता रहूंगा। मेरा यही मानना है कि ‘जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया, जो खो गया, उसको भुलाता चला गया।"
जिसका वचन पक्का वही सच्चा
वेब सीरीज ‘स्कैम 2003 : द तेलगी स्टोरी’ और फिल्म ‘सोनचिड़िया’ के अभिनेता गगन देव रियार बताते हैं, "सफलता और असफलता से परे अगर एक कलाकार अपने वचन का पक्का नहीं है, तो मेरे हिसाब से वो सच्चा कलाकार नहीं है। कई बार ऐसा हुआ है कि मैं कोई नाटक कर रहा होता हूं, जिसके लिए मुझे 2000 रुपये मिलने वाले होते हैं। उसी समय मेरे पास किसी फिल्म का भी ऑफर आ जाता है, जिसके लिए मुझे दो लाख रुपये मिल रहे होते हैं।
अपनी बात जारी रखते हुए एक्टर बोले, "चूंकि मैं वो डेट्स पहले ही नाटक को दे चुका होता हूं तो कई बार मन में यह सवाल भी आते हैं कि क्या यह सही रहेगा कि मैं दो लाख रुपये के लिए नाटक के निर्देशक को इनकार कर दूं। मन में यह भी आता है कि क्या यह मेरी नैतिकता के अनुसार सही होगा? तब मैं 2000 रुपये चुनता हूं, दो लाख नहीं, क्योंकि उस नाटक के साथ मेरी प्रतिबद्धताएं जुड़ी हैं।"
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वचन के लिए ही छोड़ीं कई बड़ी फिल्में
अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरी बताती हैं, "कलाकार के सिर्फ पेशेवर सफर में ही नहीं, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में भी अपने वचन के प्रति प्रतिबद्धताएं बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। अगर कलाकार अपने वचन पर खरा नहीं उतरता तो आगे उसे लोगों का भरोसा मिलने में समस्याएं होती हैं। उन्हें लगता है कि इस कलाकार का क्या भरोसा, ये तो आगे जाकर अपनी बातों से पलट जाएगा। मैं जब फिल्म ‘प्रेम रोग’ कर रही थी, तो मुझे ‘सिलसिला’ फिल्म का ऑफर आया था। हालांकि, उस समय मैंने अपनी डेट्स ‘प्रेम रोग’ को दे रखी थीं, तो ‘सिलसिला’ को समय नहीं दे सकी।"
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पद्मणि ने आगे कहा, "इसके अलावा ‘एक दूजे के लिए’ समेत कई बड़े प्रोडक्शन हाउस की फिल्में अपनी पहले की प्रतिबद्धताओं के कारण छोड़नी पड़ीं। उसका मुझे कोई पछतावा नहीं है, क्योंकि मैं अपने वचन पर अडिग रही। आपकी ऐसी आदतों से अगली पीढ़ी, आपके बच्चे भी सीखते हैं। वैसे भी आज की युवा पीढ़ी में एकाग्रता की बहुत कमी होती जा रही है। वो एक काम उठाते हैं और फिर उससे बड़ी जल्दी बोर भी हो जाते हैं।"
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