Oscars 2023: आसान नहीं होती ऑस्कर नॉमिनेशंस की रेस, 10 हजार लोगों को फिल्म दिखाने के लिए बेलने पड़ते हैं पापड़
Oscar Awards 2023 ऑस्कर अवॉर्ड्स के नॉमिनेशंस की घोषणा कुछ देर में होने वाली है। इससे पहले जान लीजिए कि नॉमिनेशंस तक पहुंचने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। ऑस्कर पुरस्कार हर साल एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर एंड साइंसेज की ओर से दिये जाते हैं।

नई दिल्ली, जेएनएन। कुछ देर बाद 95वें ऑस्कर अवॉर्ड्स के लिए नॉमिनेशंस का एलान होने वाला है। भारत के लिए यह नॉमिनेशंस बेहद खास हैं, क्योंकि 2 फीचर फिल्में और 2 डॉक्यूमेंट्री फिल्में नॉमिनेशंस की रेस में हैं। ये फिल्में हैं- आरआरआर, छेलो शो, ऑल दैट ब्रीद्स और द एलिफेंट व्हिसपरर्स।
आरआरआर जहां बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग कैटेगरी में शॉर्टलिस्ट हो चुकी है, वहीं छेलो शो बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी में भारत की ऑफिशियल एंट्री है। आरआरआर इस वक्त दुनियाभर में छायी हुई है। फिल्म के नाटू नाटू गाने को गोल्डन ग्लोब मिल चुका है, वहीं लॉस एंजेलिस क्रिटिक्स च्वाइस अवॉर्ड में बेस्ट फॉरेन फिल्म और बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग के पुरस्कार जीत चुकी है।
इनके अलावा अमेरिका के कुछ और अवॉर्ड्स समारोहों में फिल्म अपना दम दिखा चुकी है। न्यूयॉर्क क्रिटिक्स च्वाइस अवॉर्ड समारोह में एसएस राजामौली बेस्ट डायरेक्टर का पुरस्कार अपने नाम कर चुके हैं। आरआरआर, निरंतर सोशल मीडिया की चर्चाओं के केंद्र में भी है। ऑस्कर के नॉमिनेशंस तक पहुंचना आसान नहीं होता। इसके पीछे महीनों की मेहनत और कैम्पेंस होते हैं। बाहुबली फिल्मों के निर्माता शोबु यरलागड्डा ने ऑस्कर को मैराथन रेस की संज्ञा दी है। उन्होंने इस पूरे प्रोसेस की जानकारी भी दी।
मैराथन रेस की तरह हैं ऑस्कर के लिए अभियान
शोबु ने ट्विटर पर लिखा- ''ऑस्कर के लिए अभियान चलाना मैराथन रेस की तरह है। एकेडमी के दुनियाभर में 10 हजार सदस्य हैं। इनमें से ज्यादातर अमेरिका में है और लगभग 40 भारत में हैं। अपने क्राफ्ट्स (एडिटिंग, साउंड आदि) के आधार पर ये सदस्य एकेडमी की 17 शाखाओं से जुड़े हैं। कुल 16 क्राफ्ट्स हैं और 17वीं शाखा तकनीक के लिए है। हर साल, हर शाखा के सदस्य सबसे पहले रिमांडर लिस्ट की योग्य 300 फिल्मों के लिए वोटिंग करके 10 श्रेणियों में फिल्में चुनते हैं, जो शॉर्ट लिस्ट में शामिल की जाती हैं।''
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मिसाल के तौर पर, सबसे पहले वीएफएक्स शाखा के सदस्य 300 प्लस फिल्मों की रिमाइंडर लिस्ट में से शॉर्टलिस्ट होने वाली 10 फिल्मों के लिए वोटिंग करेंगे और फिर इन 10 फिल्मों से पांच फिल्मों को नॉमिनेशन लिस्ट में चुनने के लिए दोबारा वोटिंग करेंगे। जिस कैटेगरी में कोई शॉर्ट लिस्ट नहीं होती, सदस्य नॉमिनेशन के लिए सीधे अंतिम पांच फिल्मों का चुनाव वोटिंग के जरिए करते हैं। इसके बाद एकेडमी के सभी सदस्य नॉमिनेटेड फिल्मों में से विजेता चुनने के लिए वोटिंग करते हैं। जिसे सबसे अधिक वोट मिलते हैं, वो फिल्म जीतती है।
यह है ऑस्कर अवॉर्ड्स की असली चुनौती
असली चुनौती होती है, अमेरिका और दुनियाभर में फैले हुए इन 10 हजार सदस्यों को यह बताना कि हमारी फिल्म कंटेंशन लिस्ट में है और फिल्म उन्हें फिल्म देखने के लिए राजी करना और उम्मीद करना कि फिल्म इतनी अच्छी हो कि सदस्य उसे वोट देने के लिए तैयार हो जाएं। हॉलीवुड फिल्मों के लिए भी यह आसान काम नहीं होता।
शोबु कहते हैं- जो फिल्में अमेरिका में ब्लॉकबस्टर रह चुकी हैं, या जिन फिल्मों ने प्रतिष्ठित फिल्म और क्रिटिक्स पुरस्कार समारोहों में अवॉर्ड जीते हैं, वो नजर में आ जाती हैं और इस रेस में आगे निकलने की सम्भावना बढ़ जाती है। प्रेस में अच्छे रिव्यूज भी इसमें मदद करते हैं।
किसी नयी रिलीज की तरह किया जाता है प्रमोशन
इसके अतिरिक्त सुनियोजित प्रमोशनल अभियान बहुत अहम है। जैसे हम किसी फिल्म को दर्शकों तक पहुंचाने के लिए थिएटर रिलीज से पहले प्रमोशन करते हैं, उसी तरह एकेडमी सदस्यों तक फिल्म को पहुंचाने के लिए अभियान जरूरी है। इसके बाद ही आप उम्मीद कर सकते हैं कि उन्हें फिल्म अच्छी लगे, ताकि वो वोट दे सकें। इसके लिए ऑस्कर से लगभग छह महीने पहले अभियान शुरू करना होता है। इसके साथ अच्छी चर्चा और प्रशंसा होना भी जरूरी है, ताकि लोग आकर्षित हो सकें।
शोबु बताते हैं कि इसके लिए काफी संसाधनों के साथ वक्त की जरूरत होती है और यह सब करना आसान नहीं होता। हॉलीवुड स्टूडियोज को इसकी आदत होती है, क्योंकि वो सालों से ये सब करते आ रहे हैं, लेकिन भारतीय फिल्मों के लिए यह काफी थकाने वाला होता है और सफल अभियान के लिए काफी जानकारी होना जरूरी है।95वें एकेडमी अवॉर्ड्स के लिए नॉमिनेशंस की लिस्ट 24 जनवरी को जारी की जाएगी। अवॉर्ड समारोह लॉस एंजेलिस में 12 मार्च को आयोजित होंगे।
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