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    Perfect Family सीरीज के बाद थेरेपी लेने को मजबूर हुईं Neha Dhupia, बोलीं- 'कई बार जिंदगी में...'

    By priyanka singhEdited By: Rinki Tiwari
    Updated: Mon, 01 Dec 2025 01:41 PM (IST)

    हाल ही में यूट्यूब पर परफेक्ट फैमिली (Perfect Family) वेब सीरीज रिलीज हुई है जिसे दर्शकों और क्रिटिक्स की तरफ से खूब सराहा जा रहा है। इस सीरीज में थेरेपिस्ट की भूमिका निभाने वालीं नेहा धूपिया ने खुलासा किया है कि अब वह खुद भी थेरेपी ले रही हैं। 

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    थेरेपी ले रही हैं नेहा धूपिया। फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम

    प्रियंका सिंह, मुंबई। कुछ कहानियों का हिस्सा कलाकार इसलिए भी बनते हैं, ताकि उससे मनोरंजन करने के साथ ही कुछ सिखा भी पाएं। नेहा धूपिया (Neha Dhupia) और मनोज पाहवा (Manoj Pahwa) भी ऐसे ही एक प्रोजेक्ट का हिस्सा बने हैं यूट्यूब पर जारी सीरीज ‘परफेक्ट फैमिली: थेरेपी का सफर’ (Perfect Family: Therapy Ka Safar) के साथ। इसमें नेहा थेरेपिस्ट के रोल में हैं, वहीं मनोज ऐसे परिवार के मुखिया बनेहैं, जिसमें कई दिक्कतें हैं।

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    दैनिक जागरण के साथ बातचीत में दोनों कलाकारों नेहा धूपिया और मनोज पाहवा ने वेब सीरीज और पर्सनल एक्सपीरियंस के बारे में बात की है।

    अभिनय के पेशे में रहकर परफेक्ट फैमिली बनाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी क्या है?

    नेहा: टाइम मैनेजमेंट (समय प्रबंधन)। हमेशा से ऐसा मान लिया जाता है कि जो घर की महिला है, वही अपना समय मैनेज करेगी। जब तक मेरे बच्चे नहीं हुए थे, तो ऐसा होता था कि कहीं गए हैं, तो 15-20 मिनट ज्यादा बैठ लेते थे। अब ऐसा नहीं है। मेरे पति (अभिनेता अंगद बेदी) मेरा अक्सर मजाक उड़ाते हैं कि मेरी पत्नी हर किसी को डिनर के लिए बुलाती तो है, लेकिन मैसेज में टाइम लिख देती है कि डिनर आठ से 11 के बीच होगा।

    Neha Dhupia

    वह जाने का समय भी बता देती है कि 11 बजे के बाद आपको नहीं रुकना है। मुझे सोना होता है, लोगों को उस बात की इज्जत करनी चाहिए। आप बहुत सारे प्रयासों और सेल्फ लव के साथ टाइम मैनेजमेंट ही कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि मेहमान रात के दो बजे जा रहे हैं। मुझे बच्चों के स्कूल के लिए सुबह छह बजे उठना होता है। आने और जाने दोनों का टाइम पता होना चाहिए, काम की जगह पर भी।

    मनोज: मेरे लिए तो आसान है। मैं जहां भी जाता हूं, चाहे डिनर हो, पार्टी हो या शूटिंग, मुझे वहां पहुंचने से पहले निकलने की जल्दी होती है।

    बाकी जगहों से निकलना आसान होता होगा, लेकिन शूटिंग सेट से निकलना तो नहीं हो पाता होगा? वैसे ही आठ घंटे की शिफ्ट को लेकर पहले से ही काफी घमासान मचा हुआ है...

    मनोज: देखिए, शूटिंग पर आप पहले से ही अपना समय बता देते हैं कि मैं इस समय तक उपलब्ध हूं। समय पर पहुंचने की मेरी पुरानी आदत रही है। किसी ने अगर सात बजे बुलाया है, तो मैं पौने सात बजे पहुंचकर उसके सिर पर खड़ा हो जाता हूं कि आ गया हूं, शूटिंग शुरू करो। मेरा तो आठ घंटे वाला हिसाब-किताब चलता है। उस समय को लेकर फिर मैं अटल रहता हूं। एक ही चीज के दोनों पहलू हैं।

    अगर आपको टाइम पर निकलना है, तो समय पर आना तो पड़ेगा ही। हालांकि कई बार अगर सीन खत्म नहीं हुआ है, तो वह पूरा करना होता है। समय पर आने-जाने की बात करने में मेरा किसी और से स्वार्थ नहीं है। अगर मैं आठ घंटे नहीं सोऊंगा, तो अगले दिन मेरा ही काम खराब होगा। बेहतर है कि योजना इस तरह से बनाई जाए कि अगले दिन वह आदमी पूरी ऊर्जा से उठकर काम कर पाए।

    Manoj Pahwa

    नेहा: मेरा मानना है कि कलाकार के अपने जो नियम हैं, उसे उस पर टिके रहना चाहिए। आठ घंटे की शिफ्ट में इतना फ्लेक्सिबल तो होना पड़ता है कि शॉट अगर चल रहा है, तो उसे पूरा कर लें। कभी लाइट जा रही होती है, लोकेशन अलग होती है। हम फिल्म इंडस्ट्री के लोग इन चीजों को लेकर संवेदनशील होते हैं।

    यह हमारा ऑफिस है, जिसकी लोकेशन रोज बदलती है। ऐसा नहीं होता कि आप एक ही जगह पर आ रहे हैं। कई बार काम सात घंटे में भी खत्म हो जाता है। दोनों तरीकों से काम चलता है।

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    शो में थेरेपी देने और लेने के दौरान खुद के बारे में कौन सी बातें समझ आईं?

    नेहा: मुझे रोल करने से पहले इस पेशे को समझना था। बिना किसी पक्षपात के सामने वाले व्यक्ति को थेरेपी देनी होती है। मुझे केवल सुनना था और बताना था कि आपको यह चीजें करनी हैं। वह करते वक्त महसूस हुआ कि मुझे अगर कोई ऐसा व्यक्ति मिले, जो निष्पक्ष राय दे तो कई समस्याओं का समाधान मिल जाएगा।

    मैं जब भी किसी परेशानी में होती हूं, तो सबसे पहले मां को फोन करती हूं। वह कई बार कहती हैं कि सब छोड़ो और आराम करो। कई बार कहती हैं कि आगे बढ़ो, तुम कर सकती हो। अगर आपकी जिंदगी में कोई ऐसा है, जो सही दिशा दिखा रहा है, तो वह अच्छी बात है। मैंने खुद इस शो को करने के बाद थेरेपी लेनी शुरू कर दी है, इसलिए नहीं कि मुझे इसकी जरूरत थी, लेकिर कई बार जिंदगी में ऐसी चीजें होती हैं, जो पता भी नहीं होतीं कि वो आपके साथ हो रही हैं। मुझे नहीं लगा था कि एक रोल करने के बाद इतना असर पड़ जाएगा।

    मनोज: इस शो ने मुझे यह सोचने पर मजबूर किया कि क्या आप स्वयं से सच बोल सकते हैं। अगर ऐसा कर पाते हैं, तो आपकी जीत होगी। कई साल तक मैं आस-पास की समस्याओं को देखकर यही सोचता था कि कौन झंझट में पड़ेगा। इस शो को करने के बाद लगा कि अपनी बात, दिक्कतें सामने रखनी पड़ेंगी, तभी तो हल निकलेगा।

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