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    'मुस्लिमों से नफरत करना फैशन बन गया है इस देश में'- नसीरुद्दीन शाह को आया गुस्सा, बोले- जल्द बदलेंगे हालात

    By Ruchi VajpayeeEdited By: Ruchi Vajpayee
    Updated: Mon, 29 May 2023 07:39 PM (IST)

    Naseeruddin Shah दिग्गज एक्टर नसीरुद्दीन शाह को एक बार फिर गुस्सा आया है। उन्होंने अपने बेबाक अंदाज में कहा कि हमारे देश में पढ़े लिखे लोगों के बीच भी मुसलमानों से नफरत करने का फैशन चल पड़ा है।

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    Naseeruddin Shah got angry says Hating Muslims has become a fashion in this country

    नई दिल्ली, जेएनएन। नसीरुद्दीन शाह ने हाल ही में कहा था कि मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत लोगों के दिमाग में चतुराई से भरा जा रही है। उन्होंने कहा कि यह 'फैशन' हो गया है और इसे चिंताजनक समय कहा है। इसके साथ ही उन्होंने मौजूदा सरकार को भी आड़े हाथों लिया है।

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    नसीरुद्दीन शाह का छलका दर्द

    नसीरुद्दीन शाह को आपने हाल ही में 'ताज: डिवाइडेड बाय ब्लड' में देखा है। इस वेब सीरीज में उन्हें मुगल बादशाह अकबर का किरदार अदा किया है। इनके अलावा सुपरस्टार धर्मेंद्र, आशिम गुलाटी, संध्या मृदुल और अदिति राव हैदरी भी हैं। जी5 पर हाल ही में इसका दूसरा सीजन भी स्ट्रीम किया गया है।

    लोगों को बताया इस्लामोफोबिक

    इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, नसीरुद्दीन शाह ने हाल ही में कहा कि चल रही फिल्मों में वही दिखाया जा रहा है जो आजकल समाज में हो रहा है और ये सब  इस्लामोफोबिया। उन्होंने कहा, ''बेशक, यह चिंताजनक समय है। इस समय एक धर्म विशेष के खिलाफ देश में प्रोपेगेंडा फैलाया जा रहा है। फिल्म में वही दिख रहा है जो हमारे आसपास हो रहा है।

    सता पक्ष पर लगाया आरोप

    एक्टर ने आगे कहा, "पढ़े-लिखे लोगों में भी मुसलमानों से नफरत करना आजकल फैशन बन गया है। सत्ताधारी दल ने बहुत चतुराई से ये नैरेटिव सेट किया है। हम धर्मनिरपेक्ष इस, लोकतंत्र की बात करते हैं, तो आप हर चीज में धर्म का परिचय क्यों दे रहे हैं? उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग उन नेताओं के लिए मूक दर्शक बना हुआ है जो वोट पाने के लिए धर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका मानना है कि अगर कोई मुस्लिम नेता "अल्लाहु अकबर" कहकर वोट मांगता तो 'पूरी तबाही' होती।

    बोले- "जल्द बदलेंगे हालात" 

    इस दिग्गज अभिनेता को उम्मीद है कि बांटने की राजनीति करने वाली मानसिकता का अंत जल्दी ही होगा। “मेरा मतलब है कि हमारा चुनाव आयोग कितना रीढ़विहीन है? जो एक शब्द भी बोलने की हिम्मत नहीं करता। मुझे उम्मीद है कि यह खत्म हो जाएगा। लेकिन यह निश्चित रूप से इस समय अपने चरम पर है। यह इस सरकार द्वारा खेला गया एक बहुत ही चतुर कार्ड है और इसने काम किया है। देखते हैं कि यह कब तक काम करना जारी रखता है।"