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18 साल की उम्र में मां बनने के बाद शुरू किया फ़िल्मी कैरियर, जानिये मौसमी चटर्जी का सफ़र

मौसमी की कुछ अन्य उल्लेखनीय फ़िल्मों में कच्चे धागे, जहरीला इंसान, स्वर्ग नरक, फूल खिले है गुलशन गुलशन, मांग भरो सजना, ज्योति बने ज्वाला, दासी, अंगूर,घर एक मंदिर, घायल, संतान...

By Hirendra JEdited By: Published: Thu, 26 Apr 2018 09:17 AM (IST)Updated: Fri, 27 Apr 2018 06:31 AM (IST)
18 साल की उम्र में मां बनने के बाद शुरू किया फ़िल्मी कैरियर, जानिये मौसमी चटर्जी का सफ़र
18 साल की उम्र में मां बनने के बाद शुरू किया फ़िल्मी कैरियर, जानिये मौसमी चटर्जी का सफ़र

मुंबई। 26 अप्रैल को अपने दौर की संजीदा अभिनेत्री मौसमी चटर्जी का बर्थडे होता है। इस साल मौसमी 65 साल की हो रही हैं! बॉलीवुड में मौसमी चटर्जी को एक ऐसी अभिनेत्री के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने सत्तर और अस्सी के दौर में अपनी रूमानी अदाओं से दर्शकों को अपना दीवाना बनाकर रखा।

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26 अप्रैल 1953 को कलकत्ता में जन्मीं मौसमी ने अपने अभिनय कैरियर की शुरूआत साल 1967 में प्रदर्शित बंगला फ़िल्म ‘बालिका वधू’ से की थी। फ़िल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट रही। बहरहाल, आइये जानते हैं मौसमी चटर्जी के जीवन से जुड़ी और भी कुछ दिलचस्प बातें!

18 साल की उम्र में बनी मां

फ़िल्म इंडस्ट्री के अपने शुरु के दिनों को याद करते हुए मौसमी चटर्जी बताती हैं कि-  ‘‘खुशकिस्मत हूं कि अच्छा पति और बेटियां मिलीं। ससुर हेमंत कुमार ने मुझे मुंबई में कभी यह फील नहीं होने दिया कि माता-पिता मेरे पास नहीं है। मैंने अपने पैसे से मर्सिडीज कार भी खरीदी थी। 18 साल की उम्र में एक बेटी की मां बन गई थी। मुझे याद है कि डॉक्टर मुझसे कह रहे थे कि मेरे नर्सिंग होम में पहली बार एक बेबी ने बेबी को जन्म दिया। सभी ने उस समय मुझे मां न बनने की नसीहत दी थी। सबको लगता था कि मैं अपने कैरियर को लेकर गंभीर नहीं हूं। मैंने भी कई निर्माताओं को पैसा लौटा दिया था। मुझे भी लगा कि यही सेटेल होने का समय है। फिर एक के बाद एक फ़िल्में आती गईं और मैंने वापसी की।’’

वापसी

बंगाली फ़िल्म बालिका बधू के बाद बॉलीवुड में मौसमी ने अपने कैरियर की शुरूआत वर्ष 1972 में प्रदर्शित फ़िल्म अनुराग से की। इस फ़िल्म में मौसमी के साथ विनोद मेहरा थे। शक्ति सामंत के निर्देशन में बनी अनुराग में मौसमी ने एक नेत्रहीन लड़की का किरदार निभाया था। कैरियर की शुरूआत में इस तरह का किरदार किसी भी नई अभिनेत्री के लिए जोखिम भरा हो सकता था लेकिन, मौसमी ने अपने संजीदा अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस फ़िल्म के लिए मौसमी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फ़िल्मफेयर अवार्ड से नॉमिनेट किया गया।

कामयाबी

वर्ष 1974 में मौसमी ने रोटी कपड़ा और मकान और बेनाम जैसी सुपरहिट फ़िल्मों में काम किया। रोटी कपड़ा और मकान के लिए मौसमी को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के फ़िल्मफेयर पुरस्कार का नामांकन मिला। वर्ष 1976 में मौसमी की एक और सुपरहिट फ़िल्म ’सबसे बड़ा रूपया’ प्रदर्शित हुई। मौसमी के कैरियर में उनकी जोड़ी सबसे अधिक विनोद मेहरा के साथ पसंद की गई। इसके अलावा मौसमी ने संजीव कुमार, जीतेंद्र, राजेश खन्ना, शशि कपूर और अमिताभ बच्चन जैसे सुपर स्टार्स के साथ भी काम किया। मौसमी ने हिंदी फ़िल्मों के अलावा कई बंगला फ़िल्मों में भी अपने अभिनय का कमाल दिखाया है।

फ़िल्में

मौसमी की कुछ अन्य उल्लेखनीय फ़िल्मों की बात करें तो- कच्चे धागे, जहरीला इंसान, स्वर्ग नरक, फूल खिले है गुलशन गुलशन, मांग भरो सजना, ज्योति बने ज्वाला, दासी, अंगूर,घर एक मंदिर, घायल, संतान, जल्लाद, करीब, ज़िंदगी रॉक्स और हाल में आई पीकू भी शामिल है।

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सकारात्मकता

मौसमी चटर्जी पैसे और शोहरत को अस्थायी मानती हैं। वह कहती हैं, ‘मैं सकारात्मक सोच रखती हूं और ऐसा नहीं सोचती कि कोई भी चीज बिना किसी वजह के होती है। ज़िंदगी ने मुझे बहुत तजुर्बे दिए हैं। मेरा मानना है कि पैसा और शोहरत अस्थायी हैं। आपका बर्ताव, प्रतिबद्धता और सोच ही हमेशा आपके साथ रहती हैं।’

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