शहीद भगत सिंह का किरदार निभाकर Manoj Kumar ने सेट किया था बेंचमार्क, 20 साल तक कोई नहीं बना पाया था वैसी फिल्म
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार ने 87 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। एक्टर काफी लंबे समय से बीमार चर रहे थे और मुंबई को कोकिलाबेन अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। एक्टर ने बॉलीवुड में देशभक्ति सिनेमा की एक अलग ही शैली तैयार की। यही वजह है शायद आज इंडस्ट्री में उनके जैसा अभिनेता और निर्देशक होना मुश्किल है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। अक्षय कुमार (Akshay Kumar ने हिंदी सिनेमा में शुरुआत एक एक्शन स्टार के तौर पर की थी। बाद में उन्होंने कॉमेडी फिल्मों में भी काम किया और हिट रहे। लेकिन देशभक्ति की फिल्म करने के बाद उन्हें एक अलग पहचान मिली और उनकी छवि पूरी तरह से बदल गई।
मनोज कुमार की बेहतरीन फिल्में
आज के जमाने में भले ही अक्षय कुमार को इस जॉनर का प्रमुख माना जाता हो लेकिन असल में इसकी शुरुआत किसी और ने की थी। उस दिग्गज कलाकार का नाम है मनोज कुमार (Manoj Kumar)। मनोज कुमार ने बॉलीवुड में देशभक्ति सिनेमा की एक नई शैली की शुरुआत की। 'पूरब और पश्चिम','रोटी, कपड़ा और मकान' और 'क्रांति' ऐसी ही कुछ फिल्में हैं जिन्होंने देशभक्ति फिल्मों की परिभाषा बदलकर रख दी।
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साल 1965 में भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ था और इसी पर उनकी फिल्म 'उपकार' बनी थी। देश में उस वक्त एक अलग ही माहौल था। सिनेमाघरों में इस फिल्म को देखने के लिए भीड़ लगने लगी थी। इस फिल्म को छह फिल्मफेयर पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। इस फिल्म के बाद से लोग उन्हें 'भारत कुमार' कहकर पुकारने लगे। एक डायरेक्टर के तौर पर ये उनकी डेब्यू फिल्म थी।
इस फिल्म में निभाया था भगतसिंह का किरदार
मनोज कुमार के करियर में अहम मोड़ आया जब साल 1964 में भगत सिंह पर बनी फिल्म 'शहीद' रिलीज हुई। एसएस शर्मा ने इसका निर्देशन किया था। फिल्म में मेगास्टार मनोज कुमार ने भगतसिंह का किरदार निभाया था। ये फिल्म आज भी सबसे बेहतरीन पेट्रियोटिक मानी जाती है। इस फिल्म में अपनी परफॉर्मेंस से कई अवॉर्ड्स जीते थे। मनोज कुमार ने बंटवारे का दर्द बहुत नजदीक से देखा था और शायद यही वजह रही कि उन्होंने देशभक्ति को उसी खूबसूरती से बड़े पर्दे पर उकेरा।
मनोज कुमार की बराबरी करना मुश्किल
आज भले ही पर्दे पर कई सारे अभिनेता ये रोल प्ले कर चुके हैं लेकिन मनोज कुमार जैसा औरा और जादू दूसरे एक्टर्स के लिए अभी भी दूर की कौड़ी है। आज के सिनेमा में भले ही अजय देवगन, बॉबी देओल समेत कई एक्टर इस किरदार को पर्दे पर निभा चुके हैं लेकिन मनोज कुमार जैसा मैजिक उनसे क्रिएट नहीं हो पाएगा। इस फिल्म के बाद से भगत सिंह का जिंदगी पर कहानी कहने में लोगों की दिलचस्पी जगी। फिल्म ने न केवल भगत सिंह की जिंदगी की कहानी बताई बल्कि दूसरे फिल्म मेकर्स को भी प्रेरित किया। भगत सिंह की शहादत और विचारधारा आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा है।
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सबसे पहले साल 1954 में आई थी पहली फिल्म
भगत सिंह के जीवन से प्रेरित हिंदी सिनेमा की पहली फिल्म शहीदे आजम भगत सिंह साल, 1954 में आई थी। इस फिल्म में प्रेम अदीब ने भगत सिंह का किरदार निभाया है। फिल्म में प्रेम अदीब जयराज और स्मृति बिस्वास ने लीड रोल्स निभाया था। शहीदे आजम भगत सिंह को जगदीश गौतम ने निर्देशित किया था। इसके बाद 1963 में केएन बंसल के निर्देशन में फिल्म शहीद भगत सिंह आई। इस फिल्म में शम्मी कपूर ने भगत सिंह की भूमिका निभाई थी। फिल्म में उनके साथ शकील, प्रेम नाथ, उल्लास और अचला सचदेव भी नजर आए थे।
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फिर एक लंबे गैप के बाद, लगभग 20 के दशक बाद एक बार फिर से भगत सिंह पर्दे पर लौटे। साल 2002 में 23rd March 1931: Shaheed को गुड्डू धनोआ लेकर आए जिसमें बॉबी देओल ने भगत सिंह का किरदार निभाया, जबकि इसी फिल्म में सनी देओल ने चंद्रशेखर आजाद की भूमिका निभाई है। इस साल एक और फिल्म रिलीज हुई थी द लेजेंड ऑफ भगत सिंह जिसमें अजय देवगन ने भगत सिंह का किरदार निभाया था। फिल्म का निर्देशन राजकुमार संतोषी ने किया था।
अन्य फिल्मों में इस्तेमाल किए गए गीत
इस फिल्म गाने भी जबरदस्त हिट थे। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि 15 अगस्त और 26 जनवरी को देशभक्ति के जो गाने आप सुनते हैं वो सबसे पहले मनोज कुमार की फिल्म के लिए गाए गए थे। ए वतन ए वतन हमको तेरी कसम, सरफरोशी की तमन्ना, जोगी हम तो लुट गए तेरे प्यार में, मेरा रंग दे बसंती चोला, पगड़ी संभाल जट्टा और वतन पे मरने वाले जिंदा रहेंगे तेरे नाम शहीद के गीत हैं।
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