फैमिली का फेवरेट बना मलयालम सिनेमा, पारिवारिक फिल्मों में फिसड्डी निकली भोजपुरी इंडस्ट्री
Movie Report सिनेमा जगत में हर जॉनर की फिल्में बनाई जाती हैं जो ऑडियंस का भरपूर मनोरंजन करती हैं। लेकिन फैमिली फ्रैंडली मूवीज हर किसी पहली पसंद रहती हैं। लेकिन आपको ये जानकार हैरानी होगी बॉलीवुड नहीं बल्कि मलयालम सिनेमा इस लीक की फिल्में बनाने के मामले में पिछले 8 साल में अव्वल निकला है।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। सिनेमा मनोरंजन का अहम साधन माना जाता है। सदियों से फिल्म इंडस्ट्री में अलग-अलग जॉनर की मूवीज बनती आ रही हैं। फैमिली ड्रामा एक ऐसा लीक है, जिसकी फिल्मों की डिमांड सबसे अधिक रहती है। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी सेंसर बोर्ड की तरफ से पारिवारिक मूवीज को यू/U रेटेड सर्टिफिकेट दिया जाता है, जो सभी उम्र के लिए उपयुक्त होता है।
लेकिन आपको ये जानकारी हैरानी होगी 2017 से लेकर 2025 के बीच में हिंदी सिनेमा में फैमिली ड्रामा फिल्मों की संख्या काफी घटी है। जबकि एक समय पर बॉलीवुड में हम आपके हैं कौन और हम साथ-साथ जैसी ब्लॉकबस्टर मूवीज का बोलबला था। इस मामले में मलयालम सिनेमा अव्वल निकला है। आइए फैमिली फिल्मों की मेकिंग के रिपोर्ट कार्ड को विस्तार से जानते हैं।
फैमिली ड्रामा में फेवरेट बना मलयालम सिनेमा
सीबीएफसी वॉच नामक इंस्टीट्यूशन के एक रिचर्स प्रोजेक्ट में हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं में फैमिली ड्रामा फिल्मों की मेकिंग को लेकर विशेष रिपोर्ट साझा की गई है। ये संस्था मूवीज की सेंसरशिप पर वारीकी से नजर रखती है। इनकी रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर पिछले 8 साल के दौरान किन-किन भाषाओं की तरफ से यू सर्टिफिकेट वालीं कितनी फिल्मों का सेंसर बोर्ड में पेश किया गया है। इस मामले में मलायलम सिनेमा सबसे आगे रहा है।
फोटो क्रेडिट- एक्स
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2017 से लेकर 2025 के बीच 18 हजार फिल्मों को सर्टिफिकेट देकर पास किया है। इनमें सबसे यू सर्टिफिकेट यानी फैमिली फिल्मों की पेशकश मलायलम सिनेमा की तरफ से की गई है। सबसे ज्यादा फैमिली फैंडली फिल्में मलयालम फिल्ममेकर्स के द्वारा बनाई गई हैं। इसके बाद तमिल सिनेमा का नाम शामिल होता है।
फोटो क्रेडिट- एक्स
इतना ही नहीं उड़िया और गुजराती भाषा की फिल्मों में भी पारिवारिक संदर्भ वाली फिल्मों की बोलबाला अधिक देखने को मिला है। उड़िया भाषा की मूवीज में 42 प्रतिशत फैमिली फ्रेंडली फिल्में शामिल हैं। इसके बाद छोटी भाषाओं में गुजराती का नाम इस मामले में शामिल होता है।
भोजपुरी सिनेमा में फैमिली फिल्में कम
पारिवारिक फिल्में बनाने के मामले में भोजपुरी सिनेमा फिसड्डी रही है। इस इंडस्ट्री की तरफ से पिछले 8 साल में सबसे कम यू रेटेड सर्टिफिकेट वाली फिल्में देखने को मिली हैं। इस आधार पर आप भोजपुरी फिल्मों को अपने फैमिली के साथ बैठकर नहीं देख सकते हैं।
सेंसर बोर्ड सर्टिफिकेट के मापदंड
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की तरफ से फिल्मों की सेंसरशिप के लिए तीन तरह के सर्टिफिकेट दिए जाते हैं। जिनकी डिटेल्स इस प्रकार है-
यू रेटेड सर्टिफिकेट (U Rated)
सेंसर बोर्ड की तरफ से U रेटेड सर्टिफिकेट की कैटेगरी में उन फिल्मों को शामिल रखा जाता है, जिसे सिनेमाघरों में हर उम्र का शख्स देख सकता है। इस तरह की मूवीज को ही पारिवारिक फिल्में कहा जाता है।
यू/ए रेटेड सर्टिफिकेट (U/A Rated)
वो फिल्में जिनको 12 साल से अधिक उम्र के बच्चे अपने माता-पिता के साथ मार्गदर्शन के साथ देख सकते हैं।
ए रेटेड (A Rated)
खून खराबे और मारधाड़ से भरपूर फिल्मों को सेंसर बोर्ड की तरफ से ए रेटेड सर्टिफिकेट दिया जाता है। जिसे 18 साल से अधिक उम्र के लोग ही देख सकते हैं।
ए सर्टिफिकेट का ट्रेंड
आज के दौर में फिल्मों में मारकाट और खून खराबे वाले सीन्स काफी दिखाए जाते हैं। ये ट्रेंड हर भाषा वर्ग के सिनेमा में जमकर चल रहा है। इस तरह की मूवीज को सेंसर बोर्ड की तरफ से ए सर्टिफिकेट मिलता है। जिसके आंकड़ों का गणित कुछ इस प्रकार है-
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तेलुगु ए रेटेड सर्टिफिकेट- 10 प्रतिशत मूवीज
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कन्नड़ ए रेटेड सर्टिफिकेट-10 प्रतिशत मूवीज
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मलायलम ए रेटेड सर्टिफिकेट- 7 प्रतिशत मूवीज
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तमिल ए रेटेड सर्टिफिकेट- 7 प्रतिशत मूवीज
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गुजराती ए रेटेड सर्टिफिकेट- 2. 3 प्रतिशत मूवीज
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उड़िया ए रेटेड सर्टिफिकेट- 1.2 प्रतिशत मूवीज
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