जब भाइयों की तिकड़ी ने गढ़ा भारतीय सिनेमा का नया इतिहास, फिल्मों को दिया नया आयाम
सोहेला कपूर ने आनंद ही आनंद कार्यक्रम में देवानंद के जीवन की अनसुनी कहानियाँ सुनाईं। उन्होंने बताया कि मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया गाना देव आनंद के जीवन का सार था। उनकी सादगी और सकारात्मक सोच उनकी फिल्मों में झलकती थी। उनके भाइयों चेतन आनंद और विजय आनंद ने भी सिनेमा को नई दिशा दी। देव आनंद के गानों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया यह सिर्फ एक गाना नहीं बल्कि देव आनंद के जीवन का सार था।
एक ऐसा फकीराना अंदाज, बेपरवाह मुस्कान और कभी न हार मानने वाला जज्बा जिसने उन्हें एक सदाबहार सितारा बना दिया।
उनकी चाल, उनका खास एक्सप्रेशन और संवाद अदायगी का निरालापन इन सबने मिलकर उन्हें भारतीय सिनेमा का एक ऐसा हीरो बनाया। जिसकी चमक आज भी बालीवुड में बरकरार है।
उनकी भांजी सोहेला कपूर ने त्रिवेणी कला संगम में अनुराधा धर द्वारा आयोजित ''आनंद ही आनंद'' कार्यक्रम में कुछ ऐसी अनसुनी कहानियों से पर्दा उठाया। जिन्होंने देव साहब के व्यक्तित्व की गहराई और उनके जिंदगी जीने के फलसफे के बारे में विस्तार से बताया।
सोहेला ने बताया कि देव साहब सिर्फ एक एक्टर नहीं बल्कि एक जिंदादिल इंसान थे। जो जीवन के हर रंग को पूरी शिद्दत से जीते थे। उनकी सादगी और जीवन के प्रति सकारात्मक सोच उनकी फिल्मों और गानों में साफ झलकती थी।
कार्यक्रम के दौरान जब उनके सदाबहार गानों की धुनें गूंजीं तो लगा जैसे देव साहब की जादूगरी एक बार फिर लौट आई हो।
"गाता रहे मेरा दिल, तू ही मेरी मंजिल और "अभी न जाओ छोड़ कर कि दिल अभी भरा नहीं" जैसे गानों ने माहौल को और भी रूमानी बना दिया। हर धुन के साथ दर्शक देव आनंद की दुनिया में खो गए।
सोहेला ने देव आनंद के साथ उनके भाइयों चेतन आनंद और विजय आनंद के रिश्ते पर भी रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि कैसे इन तीनों भाइयों ने मिलकर भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी।
चेतन आनंद का कलात्मक नजरिया, विजय आनंद की व्यावसायिक सूझबूझ और देव आनंद का ग्लैमरस अंदाज इन तीनों का साथ अद्भुत था। वह केवल फिल्में नहीं बना रहे थे बल्कि सिनेमा को एक नया आयाम भी दे रहे थे।
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