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    3 घंटे में किया घरवालों को राजी, फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं Kumud Mishra और Ayesha Raza की लव स्टोरी

    By Anu Singh Edited By: Anu Singh
    Updated: Sat, 07 Jun 2025 10:51 AM (IST)

    बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता कुमुद मिश्रा आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। अभिनेता को दर्शक उनके किरदारों से याद करते हैं। मगर आज हम उनकी फिल्मों की नहीं बल्कि पर्सनल लाइफ की बात करने वाले हैं। कैसे उन्होंने हिंदू ब्राह्मण होने के बाद आयशा रजा जो एक मुस्लिम परिवार से आती हैं उनसे 40 की उम्र में शादी रचाई थी।

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    मुद मिश्रा और आयशा रजा ने 40 की उम्र में रचाई थी शादी (Photo Credit- Instagram)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता कुमुद मिश्रा अपने शानदार अभिनय के लिए खूब पसंद किए जाते हैं। एक्टर ने इंडस्ट्री में एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया है। हालांकि उन्होंने अपना करियर थिएटर से शुरू किया था और बाद में वो फिल्मों में आए।

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    कुमुद मिश्रा ने अपने करियर की शुरुआत 'स्वाभिमान' से की थी। दूरदर्शन के इस चर्चित शो में उन्होंने एक ट्रेड यूनियन लीडर का रोल किया था। साल 1996 में इनकी श्याम बेनेगल डायरेक्टेड पिक्चर आई 'सरदारी बेगम' मगर पहचान इन्हें रणबीर कपूर की फिल्म रॉकस्टार से मिली।

    ऐसे हुई प्यार की शुरुआत

    बहुत कम लोग उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में जानते हैं। अभिनेता दिग्गज अभिनेत्री आयशा रजा से लव मैरिज की थी। आयशा रजा ने भी अपना करियर थिएटर से शुरू किया था और थिएटर के प्ले में ही दोनों की प्रेम कहानी ने जन्म लिया था। कपल की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है।

    Photo Credit- Instagram

    दोनों का अंतर-धार्मिक विवाह और इसकी स्वीकृति के लिए कुमुद द्वारा अपने माता-पिता को मनाने का मजेदार किस्सा आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय है। 

    कुमुद मिश्रा और आयशा रजा की मुलाकात एक थिएटर नाटक के दौरान हुई थी। कुमुद ने बताया कि वह मनव कौल के नाटक ‘शक्कर के पांच दाने’ में काम कर रहे थे, जब आयशा ने उनकी परफॉर्मेंस देखी थी। इसके बाद दोनों ने एक और नाटक में साथ काम किया, और यहीं से उनकी प्रेम कहानी शुरू हुई। कुमुद उस समय 30 साल की उम्र के आखिरी पड़ाव में थे और 40 की उम्र में उन्होंने आयशा को शादी के लिए प्रपोज किया।

    अंतर-धार्मिक विवाह का फैसला

    कुमुद एक हिंदू ब्राह्मण परिवार से हैं, जबकि आयशा रजा मुस्लिम परिवार से आती हैं। इस अंतर-धार्मिक विवाह को लेकर कुमुद के परिवार में शुरुआत में असमंजस था। आयशा ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनकी सास, जो एक परंपरागत गृहिणी थीं और पढ़ी-लिखी नहीं थीं, ने बेटे के प्यार को समझा और इस रिश्ते को स्वीकार किया। वहीं, आयशा का परिवार पहले से ही अंतर-धार्मिक विवाहों से परिचित था, इसलिए उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।

    Photo Credit- Instagram

    कुमुद का मजेदार तर्क

    कुमुद ने अपने माता-पिता को मनाने के लिए एक मजेदार तर्क दिया था, जिसने सबका दिल जीत लिया। उन्होंने अपनी मां से कहा, “मैं 40 साल का हो चुका हूं। अगर आप आयशा को स्वीकार नहीं करेंगे, तो मेरी शादी का सपना अधूरा रह जाएगा, क्योंकि इस उम्र में मुझे कोई और लड़की नहीं मिलेगी।” इस बात पर उनकी मां ने सिर्फ 2-3 घंटे में हामी भर दी। कुमुद ने यह भी बताया कि उनकी शादी हिंदू रीति-रिवाज से हुई, और आयशा ने सभी रस्मों को बखूबी निभाया, जिससे पंडित जी भी हैरान रह गए।

    Photo Credit- Instagram

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    प्यार में धर्म कोई बाधा नहीं

    कुमुद और आयशा की शादी 15 फरवरी 2008 को हुई थी। कुमुद ने एक इंटरव्यू में कहा, “प्यार अपने आप में एक जिहाद है। जब दो लोग एक-दूसरे से प्यार करते हैं, तो यह सिर्फ शुरुआत होती है। इसके बाद जिंदगी में कई समझौते करने पड़ते हैं।” उन्होंने यह भी साफ किया कि उनकी शादी में धर्म कभी आड़े नहीं आया। आयशा अपनी आस्था पर कायम हैं, और कुमुद अपनी। दोनों का मानना है कि इंसानियत ही उनका पहला और आखिरी धर्म है।

    कुमुद और आयशा ने अपने बेटे का नाम कबीर रखा, जो दोनों धर्मों में स्वीकार्य है। कुमुद ने बताया कि यह नाम उन्होंने और आयशा ने मिलकर चुना, हालांकि दोनों परिवारों में कुछ लोगों ने इसे अपने-अपने धर्म से जोड़ा। 

    कुमुद और आयशा का करियर

    कुमुद मिश्रा ने ‘रॉकस्टार’, ‘मुल्क’, ‘आर्टिकल 15’, और ‘थप्पड़’ जैसी फिल्मों में अपनी शानदार एक्टिंग से सबका दिल जीता है। वहीं, आयशा रजा ने ‘मदारी’, ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’, ‘गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल’, और ‘तू झूठी मैं मक्कार’ जैसी फिल्मों में मां के किरदार निभाकर खूब वाहवाही बटोरी है। दोनों ही थिएटर और सिनेमा में अपनी कला के लिए जाने जाते हैं।

    कुमुद ने एक इंटरव्यू में बताया था कि आयशा उनकी सबसे बड़ी समीक्षक हैं। वह कुमुद की फिल्में तभी देखती हैं, जब उन्हें लगता है कि वह अच्छी हैं। कुमुद को यह गुण बहुत पसंद है कि आयशा उनकी हर परफॉर्मेंस को तारीफ करने के बजाय निष्पक्ष रूप से देखती हैं। कुमुद और आयशा की यह प्रेम कहानी न केवल प्यार और समझौते की मिसाल है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सच्चा प्यार धर्म और उम्र की सीमाओं को तोड़ सकता है।

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