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    Star Theatre Kolkata: 142 साल पहले बना था भारत पहला पब्लिक थिएटर, इन हस्तियों ने रखी थी नींव

    Updated: Mon, 21 Jul 2025 02:37 PM (IST)

    Star Theatre Day 2025 रंगमंच की दुनिया और सिनेमा का नाता लंबे समय से बना रहा है। इस आधार पर आज हम आपको देश के पहले थिएटर यानी स्टार थिएटर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे 142 साल पहले बनाया गया था। आइए इसको विस्तार से जानते हैं।

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    देश के पहले थिएटर का इतिहास (फोटो क्रेडिट- जागरण)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। 21 जुलाई का का दिन भारतीय मनोरंजन जगत के इतिहास का सबसे अहम दिन माना जाता है। आज ही के दिन 142 साल पहले देश के पहले सार्वजनिक थिएटर की शुरुआत हुई थी। कोलकाता में स्थित इस ऐतिहासिक थिएटर का निर्माण कब और किसके द्वारा कराया गया था। 

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    आइए जानते हैं कि भारत के पहले रंगमंच के केंद्र का इतिहास क्या है और क्यों सिने जगत में इसका नाम इतना बड़ा माना जाता है। 

    कब बना था देश का पहला थिएटर

    दरअसल जहां जिस थिएटर के बारे में जिक्र किया जा रहा है, उसका नाम स्टार थिएटर है, जो कोलकाता में मौजूद है। हालांकि, बीते साल इसका नाम बदलकर बिनोदिनी थिएटर किया गया है। 21 जुलाई 1883 को इस थिएटर का आगाज हुआ था। देश के सार्वजनिक थिएटर में सबसे पहले दक्ष यज्ञ नाटक का मंचन हुआ था, जिसमें कोलकाता के दिग्गज थिएटर आर्टिस्ट गिरीश चंद्र घोष मे मुख्य भूमिका को अदा किया था। 

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    फोटो क्रेडिट- फेसबुक

    रंगमंच के इस पब्लिक प्लेटफॉर्म पर कई कलाकारों ने अपने टैलेंट का प्रमाण पेश किया और अभिनय-कला के क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल की। कुल मिलाकर कहा जाए तो स्टार थिएटर भारतीय आर्टिस्ट के लिए उस वक्त अपनी कला का प्रदर्शन करने का सबसे बड़ा जरिया बना था। 

    किसने रखी थी स्टार थिएटर की नींव

    कोलकाता के इस ऐतिहासिक थिएटर की नींव गिरीष चंद्र घोष, अमृतलाल बसु, रंगकर्मी बिनोदिनी दासी ने सहित कई प्रसिद्ध थिएटर्स आर्टिस्ट और कला प्रेमियों ने मिलकर रखी थी। बिनोदनी ने थिएटर के निर्माण के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था। आर्थिक और सामाजिक तौर पर उन्होंने इसके लिए कुर्बानी दी थी। 

    फोटो क्रेडिट- फेसबुक

    कोलकाता के एक मशहूर कारोबारी गुरमुख राय ने इस थिएटर के निर्माण के लिए आर्थिक सहायता के लिए 50 हजार रुपये के दान का एलान किया था, जिसमें एक शर्त थी की थिएटर आर्टिस्ट बिनोदिनी उसकी दासी बनकर रह। बिनोदनी ने भी इस प्रस्ताव को मानने से पहले ये शर्त रख दी कि वह ऐसा करेंगी, लेकिन इस कला केंद्र का नाम उनके नाम पर रखा जाए। 

    लेकिन जब ये बनकर तैयार हुआ तो समाजिक दवाब के चलते इसे स्टार थिएटर का नाम दिया गया। इससे आहत होकर बहुत कम उम्र में बिनोदिनी ने रंगमंच की दुनिया से नाता तोड़ लिया। हालांकि, पश्चिम बंगाल की सरकार ने बिनोदिनी को पूर्ण सम्मान दिलाते हुए स्टार थिएटर का नाम बदलकर बिनोदिनी थिएटर कर दिया है। 

    इन कलाकारों ने दी परफॉर्मेंस 

    बिनोदिनी थिएटर में सिने जगत के कई मशहूर कलाकारों ने प्रस्तुति दी थीं। बताया जाता है क 1883 से लेकर 1887 के बीच महज 4 साल के अंतर 20 ज्यादा नाटकों को इस रंगमंच के क्रेंद पर नाटकों का मंचन हुआ था। इसके अलावा जब भारत में फिल्मों को दौर शुरू हुआ तो निर्माता हीरालाल सेन द्वारा बनाई गई पहली फिल्म को इसी थिएटर में प्रदर्शित किया गया था। गीता डे, शशि कुमार भादुरी और सौमित्र चटर्जी जैसे रंगमंच की दुनिया के बड़े नामों ने स्टार थिएटर में परफॉर्मेंस दी थी।

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