Karan Oberoi Rape: प्रेस कॉन्फ्रेंस में उजागर की रेप पीड़िता की पहचान? Pooja Bedi समेत 8 के खिलाफ जांच जारी
टीवी के मशहूर एक्टर करण ओबरॉय (Karan Oberoi Case) के खिलाफ साल 2019 में एक महिला ने दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में पूजा बेदी सहित सात लोगों पर पीड़िता की पहचान सार्वजनिक करने का आरोप था। अब इस मामले पर मुंबई की कोर्ट ने कड़ा फैसला लिया है। आइए बताते हैं क्या है ये पूरा मामला।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई की एक सेशन कोर्ट ने एक्टर करण ओबेरॉय के केस से जुड़े एक बड़े मामले में पूजा बेदी और 7 अन्य लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही रोकने से इंकार कर दिया है। इन लोगों पर आरोप है कि उन्होंने 2019 में करण ओबेरॉय के खिलाफ रेप की शिकायत करने वाली महिला की पहचान उजागर की थी। यह खुलासा तब हुआ था जब करण की गिरफ्तारी के तुरंत बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई थी।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इन लोगों के अपराध में शामिल होने के प्रारंभिक प्रमाण मौजूद हैं, इसलिए इस शुरुआती स्टेज पर मामले को खारिज करने की कोई वजह नहीं है। यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 228A के उल्लंघन से जुड़ा है, जो रेप सर्वाइवर की पहचान उजागर करने पर रोक लगाती है।
अंधेरी कोर्ट में हुआ था मामला दर्ज
अंधेरी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में पूजा बेदी, एक्ट्रेस अन्वेषी जैन, चैतन्य भोसले, वरके पटानी, गुर्बानी ओबेरॉय, शेरिन वर्गीज, एक्टर सुधांशु पांडे और वकील दिनेश तिवारी के खिलाफ यह शिकायत दर्ज की गई थी।
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शिकायतकर्ता महिला का आरोप है कि करण ओबेरॉय के खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज होने के तुरंत बाद, इन सभी ने पूजा बेदी के घर पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने महिला की पहचान, नाम और कई निजी जानकारियां उजागर कीं। इसके चलते महिला ने जून 2019 में कोर्ट में औपचारिक शिकायत दर्ज की थी।
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पुलिस जांच में क्या सामने आया?
मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने इस शिकायत पर पुलिस को जांच के आदेश दिए थे। जांच में पता चला कि 5 मई 2019 को पूजा बेदी के घर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई थी। इस दौरान महिला की पहचान और अन्य निजी जानकारी सार्वजनिक की गई, जो कानून के तहत सुरक्षित होनी चाहिए थी। पुलिस ने यह भी बताया कि उस प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो कई डिजिटल प्लेटफॉर्म पर वायरल हुआ और आज भी ऑनलाइन उपलब्ध है।
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इन तथ्यों के आधार पर, मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 26 फरवरी 2021 को इन सभी लोगों के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया। यह केस धारा 228A के तहत दायर किया गया है, जो एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
आरोपियों ने कोर्ट के फैसले को दी चुनौती
अप्रैल 2022 में पूजा बेदी समेत सभी आरोपियों ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को सेशन कोर्ट में चुनौती दी। उनका कहना था कि उनके बीच कोई साझा इरादा (common intention) नहीं था, और सभी ने महिला की पहचान उजागर नहीं की थी। कुछ लोगों ने न तो नाम लिया और न ही कोई व्यक्तिगत जानकारी साझा की।
मगर सेशन कोर्ट ने यह तर्क मानने से इनकार कर दिया और साफ कहा कि इस स्टेज पर आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि प्रारंभिक जांच में उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत पाए गए हैं। अब यह मामला आगे की कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा रहेगा और संबंधित धाराओं के तहत जांच और सुनवाई जारी रहेगी।
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