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    JFF 2024: 'सुरक्षित नहीं लगती थी दिल्ली', पढ़ाई का बहाना बनाकर मुंबई भाग गई थीं रिद्धि डोगरा

    दिल्ली में आयोजित जागरण फिल्म फेस्टिवल में रिद्धि डोगरा (Ridhi Dogra) ने भी शिरकत की। उन्होंने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में अपनी पर्सनल लाइफ और करियर को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि वह क्यों दिल्ली छोड़कर चली गई थीं। रिद्धि का कहना है कि द साबरमती रिपोर्ट मूवी से उनका एक बड़ा सीन काट दिया गया था।

    By Rinki Tiwari Edited By: Rinki Tiwari Updated: Sat, 07 Dec 2024 12:50 PM (IST)
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    दिल्ली में नहीं रहना चाहती थी रिद्धि डोगरा।

    उदय जगताप, नई दिल्ली। जागरण फिल्म फेस्टिवल में पहुंचीं प्रसिद्ध अभिनेत्री रिद्धि डोगरा (Ridhi Dogra) ने कहा कि उन्हें दिल्ली सुरक्षित नहीं लगती थी, इसलिए मुंबई चली गईं। जब वह कमला नेहरू कालेज में पढ़ती थीं, उन्हें आते-जाते हुए असुरक्षित महसूस होता था। पोस्ट ग्रेजुएट करने के बहाने वह मुंबई चली गई थीं। वहां उन्हें करियर बनाने का सुनहरा मौका भी मिला। 

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    नयनदीप रक्षित से बातचीत करते हुए रिद्धि ने अपनी हालिया सुपरहिट फिल्म द साबरमती रिपोर्ट और अपनी जिंदगी के बारे में कई बातें साझा कीं। रिद्धि ने कहा, "द साबरमती रिपोर्ट को जिस तरह लोगों ने सराहा, इसकी उनको भी उम्मीद नहीं थी।" उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद फिल्म को लेकर एक्स पर लिखा। जब उन्होंने फिल्म देखी तो मैं वहीं मौजूद थी। मुझे स्टूडेंट जैसा लग रहा था। जैसे कोई मेरी परीक्षा की कॉपी जांच रहा हो।"

    पहनावे और भाषा पर बोलीं रिद्धि

    फिल्म के बारे में उन्होंने कहा, "साबरमती हादसे के बारे में उन्हें थोड़ी जानकारी थी। फिल्म के बाद उन्हें बहुत कुछ जानने को मिला। यह फिल्म वास्तव में राजनीति के बारे में नहीं है, बल्कि यह पत्रकारिता के बारे में है। किसी बात को चाहे जैसे प्रस्तुत किया जाए, सच लेकिन सच ही रहता है।"

    Ridhi Dogra movie

    PM Narendra Modi with The Sabarmati Report Cast- Instagram

    हिंदी भाषा को लेकर उन्होंने कहा, "अंग्रेजी ब्रिटिश राज की भाषा है। पहले लोगाें ने उनके पहनावे अपनाए और बाद में भाषा। अंग्रेजी को महत्व देना चाहिए, लेकिन अपनी भाषा और पहनावे को हमेशा उससे अधिक महत्व दिया जाना चाहिए।"

    मूवी में काट दिया गया था बड़ा सीन

    उन्होंने कहा, "मूवी में उनका एक सीन कट गया। उसमें उन्होंने बहुत बेहतर किया था। आपका किरदार मजबूत होना चाहिए,  उसके बाद अभिनय से उसमें जान डालते हैं। डायलॉग बोलना ही अभिनय नहीं कहा जा सकता। फिल्म में आपको 200 प्रतिशत देना ही होता है।" 

    ट्रोल्स को देती हैं करारा जवाब

    महिलावाद पर नयनदीप के एक सवाल पर उन्हाेंने कहा, "फेमिनिज्म पुरुषों के खिलाफ नहीं, असमानता के खिलाफ है। लोग इसे पुरुषों के खिलाफ मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। पुरुष महिला विरोधी नहीं होते, लेकिन समाज उन्हें बी ए मैन जैसे शब्द कह-कह कर वैसा बना देता है। पानी को दबा के रखो और एकदम छोड़ो तो उसका बहाव तेज हो जाता है। महिलाओं के विषय में वर्तमान में ऐसा ही हो रहा है। "दर्शक दीर्घा से पूछे गए ट्राेल के सवाल पर उन्होंने कहा, मैं दिल्ली की गुंडी हूं और जैसा ट्रोल आता है मैं जवाब देती हूं।"

    Ridhi Dogra

    Ridhi Dogra- Instagram

    देश में कला की कद्र पर बोलीं रिद्धी

    रिद्धी ने कहा, "मैं जागरण फिल्म फेस्टिवल में आकर बहुत खुश हूं। फिल्म फेस्टिवल में जो फिल्में आती हैं, मैं उन्हें फॉलो करती हूं। फिल्म फेस्टिवल का आयोजन जरूरी है, क्याेंकि विदेश में देखती हूं, वहां कला की बहुत कद्र होती है। हमारा देश कुछ ऐसा है ही कि जीने की जद्दोजहद पर ज्यादा जोर होता है। कला तक पहुंचने के लिए बहुत लंबा सफर है। सिनेमा लोगों तक पहुंचाया जाए, यह बहुत जरूरी है। लोग अलग-अलग कहानी और किरदारों को देखें यह बहुत जरूरी है। जब आप तुर्किये, वियतनाम, ईरान की कहानियां देखते हो, तो आप में एक स्वीकार्यता बढ़ती है। आप एक इंसान के तौर पर और मजबूत बनते हैं।"

    पिता ने किया सपोर्ट 

    बकौल एक्ट्रेस, "मेरे पिता ने मुझे कभी टोका नहीं, यही वजह है कि मैं आगे बढ़ सकी। जब मैं दिल्ली में थी तब डांस करने से आगे मैंने सोचा नहीं था। मैंने शामक डावर से सीखा था। वह पहले थे, जिन्हाेंने कहा था कि तुम्हें कैमरे पर आना चाहिए। तब मैं बहुत छोटी थी। डांसर बनना था, लेकिन जब मुंबई पहुंची तो डांस से मैं आगे नहीं बढ़ सकती थी, इसलिए मैंने कुछ अलग करनेे का फैसला लिया।" 

    Riddhi Dogra

    Ridhi Dogra

    रिद्धि ने कहा, "सिनेमा बहुत तेजी से बदलने वाला क्षेत्र है। इसमें बदलाव देखे गए हैं। इसमें पैसा अधिक लगता है तो रिस्क अधिक रहता है, इसलिए विषय चुनते वक्त अधिक सावधान रहते हैं। फिल्में क्रिएटिव काम करने के लिए काफी स्पेस देती हैं। इसकी पहुंच अधिक है, इसलिए समाज में बदलाव लाने में इसकी भूमिका अहम है। टीवी घर की चाय की तरह है, जो सुबह भी चाहिए और शाम को, लेकिन फिल्में काफी की तरह हैं। "

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