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    World AIDS Day: 'फिर मिलेंगे' से 'प्यार में कभी कभी' तक, इन फिल्मों में दिखाया गया 'एड्स' जैसा संवेदनशील मुद्दा

    World AIDS Day 2023 हर साल 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता है। आज बहुत से लोग इस बीमारी से जागरूक हैं लेकिन एक समय ऐसा था जब लोग इसके बारे में बात भी नहीं करना चाहते थे। ऐसे में लोगों को जागरूक करने के लिए कई अभियान चलाए गए। सिर्फ इतना ही नहीं एड्स जैसे संवेदनशील मुद्दे पर कई फिल्में भी बनी।

    By Jagran NewsEdited By: Rajshree VermaUpdated: Thu, 30 Nov 2023 08:08 PM (IST)
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    AIDS पर जागरूकता फैलाती हैं ये फिल्में (Jagran Graphics)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। World AIDS Day: हर साल 1 दिसंबर को 'वर्ल्ड एड्स डे' मनाया जाता है। एक वक्त था, जब लोग इस बीमारी के बारे में बात करने से भी कतराते थे, लेकिन फिर लोगों को जागरूक करने के लिए कई अभियान चलाए गए और इस विषय पर खुलकर बातें शुरू हुईं।

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    बॉलीवुड इंडस्ट्री ने भी एड्स जागरूकता में अपना बड़ा योगदान दिया। कई ऐसी फिल्में बनी, जो एड्स के संवेदनशील विषय के प्रति जागरूकता फैलाती हैं। तो चलिए जानते हैं कौन सी हैं ये फिल्में।

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    फिर मिलेंगे

    'एड्स जागरूकता' फिल्मों की बात जब भी आती है, तो इसमें पहला नाम 'फिर मिलेंगे' का आता है। शिल्पा शेट्टी, सलमान खान और अभिषेक बच्चन स्टारर इस फिल्म में एक ऐसी महिला की कहानी दिखाई गई है, जिसके HIV पॉजिटिव होते ही उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है। फिल्म में एड्स या HIV पॉजिटिव लोगों के प्रति समाज की मानसिकता को बखूबी दर्शकों के सामने रखा गया है।

    फिल्म के गाने भी काफी बेहतरीन थे। इस फिल्म की निर्देशक रेवती मेनन थीं और सभी स्टर्स ने काफी अच्छा काम किया था। ऐसा कहा जाता है कि इसमें शिल्पा शेट्टी के करियर की बेस्ट परफॉरमेंस रही। बता दें यह फिल्म हॉलीवुड मूवी 'फिलाडेल्फिया’ से इंस्पायर्ड थी।

    माय ब्रदर निखिल

    बॉलीवुड की बेहतरीन फिल्मों में से एक 'माय ब्रदर निखिल' संजय सूरी और जूही चावला की बेस्ट परफॉरमेंस में से एक रही है। फिल्म की कहानी स्विमिंग चैंपियन निखिल चोपड़ा (संजय सूरी) के आसपास घूमती है। सब कुछ सही चल रहा होता है कि तभी अचानक पता चलता है कि निखिल HIV पॉजिटिव है। उसके बाद उसकी पूरी दुनिया बदल जाती है। उसे स्विमिंग टीम से निकाल दिया जाता है और फिर उसके पेरेंट्स उसे घर से निकाल देते हैं। हद तो तब हो जाती है जब HIV पॉजिटिव को जुर्म बनाकर उसे जेल में डाल दिया जाता है।

    इन सब परेशानियों में जो निखिल के साथ खड़ा होता है, वो है निखिल की बहन अनामिका (जूही चावला), उसका बॉयफ्रेंड सैम (गौतम कपूर) और उसका दोस्त नाइजेल (पूरब कोहली)। इस फिल्म में एक एड्स पीड़ित की सभी मुश्किलों और संघर्षों को बखूबी पर्दे पर उतारा गया है। इस मूवी में होमोसेक्शुअल रिलेशनशिप के बारे में भी बताया गया है।

    68 पेजेस

    श्रीधर रंगायन द्वारा निर्देशित फिल्म '68 पेजेस' एक एचआईवी/एड्स काउंसलर और उसके क्लाइंट्स की कहानी है। फिल्म में अभिनेत्री मौली गांगुली काउंसलर के किरदार में नजर आती हैं। मौली अपने क्लाइंट्स से इमोशनल लगाव से दूर रहना चाहती है, लेकिन वो अपने भावनाओं को अपनी पर्सनल डायरी के '68 पेजेस' में व्यक्त करती हैं। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं कर पाई थी, लेकिन इसने कई अवार्ड और सराहना अपने नाम जरूर की थी।

    दस कहानियां

    फिल्म 'दस कहानियां' बेहतरीन डायरेक्टर्स की एक अच्छी पेशकश थी। कई शॉर्ट स्टोरीज की इस फिल्म में एक कहानी 'जहीर' भी थी। यह कहानी निर्देशक संजय गुप्ता ने डायरेक्ट की थी और इसमें दिया मिर्जा और मनोज बाजपेयी मुख्य भूमिका में थे। कहानी एक महिला सिया (दिया मिर्जा) और उसके पड़ोसी साहिल (मनोज बाजपेयी) की होती है। साहिल सिया को पसंद करने लगता है और अपने प्यार का इजहार करता है, हालांकि सिया उसे मना कर देती है।

    फिर एक दिन साहिल अपने दोस्तों के साथ एक बार में जाता है और सिया को वहां बार डांसर के रूप नाचते हुए देख हैरान और गुस्से में आ जाता है। बाद में पता चलता है कि सिया को एड्स होता है और फिर साहिल भी उससे इन्फेक्टेड हो जाता है। यह एक अच्छी कहानी थी और यह मूवी हर किसी को एक बार न एक बार जरूर देखनी चाहिए।

    निदान

    महेश मांजरेकर के निर्देशन में बनी फिल्म 'निदान', साल 2000 में रिलीज हुई थी। यह कहानी एक टीनेजर की होती है, जो ब्लड डोनेशन के वक्त गलती से एड्स का शिकार हो जाता है। फिर उसकी जिंदगी क्या मोड़ लेती है, यह तो आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगी। मूवी में रीमा लागो, शिवाजी सतमस और निशा बैंस लीड रोल में थे। ऑडियंस ने इस फिल्म को काफी पसंद किया था और इसकी लोकप्रियता व बेहतरीन कहानी की वजह से इसे कुछ वक्त बाद टैक्स फ्री भी कर दिया गया था।

    प्यार में कभी कभी

    रिंकी खन्ना, डिनो मोरिया और संजय सूरी स्टारर 'प्यार में कभी-कभी' का गाना 'मुसु-मुसु हासी' आज भी लोकप्रिय है। फिल्म की कहानी दोस्ती, यारी और प्यार की है। वहीं, प्लॉट में ट्विस्ट तब आता है, जब दोस्तों के ग्रुप में एक दोस्त को एड्स हो जाता है। इस फिल्म की कहानी के बारे में कुछ भी बोलना स्पॉइलर देना हो सकता है। इसलिए अगर अभी तक आपने यह फिल्म नहीं देखी, तो एक बार न एक बार आप इस फिल्म को जरूर देखें।

    ऐसा क्यों होता है?

    इस फिल्म के बारे में शायद ही हर किसी को पता होगा। रति अग्निहोत्री, आर्यन वैद स्टारर 'ऐसा क्यों होता है' कहानी एक सिंगल मदर की है, जिसका बेटा कॉलेज में न सिर्फ बेस्ट बास्केट बॉल प्लेयर होता है, बल्कि लड़कियों के दिलों की धड़कन भी होता है। अपने कैसानोवा इमेज की वजह से कई लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध रखता है, लेकिन इसी दौरान उसे पता चलता है कि वो HIV पॉजिटिव है और इसी कारण उसे वो लड़की भी रिजेक्ट कर देती है जिससे वो प्यार करता है। फिर आगे उसके जीवन में क्या संघर्ष आते हैं, वो तो आपको मूवी देखने के बाद ही पता चलेगी। इस फिल्म का निर्देशन महेश भट्ट ने किया था।

    एड्स जागो

    इस फिल्म को मीरा नायर, फरहान अख्तर और विशाल भारद्वाज ने डायरेक्ट किया था। इस मूवी में 4 शॉर्ट फिल्म्स के जरिए एचआईवी/एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने की कोशिश की गई है। माइग्रेशनो, ब्लड ब्रदर्स, पॉजिटिव और प्रारंभ ये चारों फिल्में देश के अलग-अलग हिस्सों से ताल्लुक रखती है और एड्स के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने की कोशिश करती है। फिल्म में शाइनी आहूजा, शबाना आजमी, बोमन ईरानी, अर्जन माथुर मुख्य भूमिका निभाते नजर आते हैं। इस फिल्म की कहानी ‘पॉजिटिव’, यह फिल्म फरहान अख्तर के निर्देशन में बनी थी। यह कहानी एक ऐसे इंसान की होती है, जिसे अपने पिता के एड्स होने का पता चलता है। अब उसके सामने यह उलझन है कि वो अपनी मां को धोखा देने वाले अपने पिता को माफ कर पाएगा या नहीं। इसकी अन्य तीन कहानियां भी काफी अच्छी हैं।

    आज भले ही एड्स के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ रही हो, लेकिन अभी भी समाज में कई लोग हैं, जो इस बीमारी को एक टब्बू के रूप में मानते हैं। तो वक्त आ गया है इस पर खुलकर बात और चर्चा करने की ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा इसके बारे में जानें। समाज में जो हो रहा है, उसे कई बार फिल्म मेकर्स बड़े पर्दे पर उतारते हैं। ऐसे में एड्स पीड़ित या HIV पॉजिटिव लोगों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार व हीन भावना को फिल्म मेकर्स ने बखूबी बड़े पर्दे पर उतारकर लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने की कोशिश की है।

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