10th Jagran Film Festival: Farah Khan ने कहा गानों के बोल पर ध्यान देना जरुरी
Farah khan का कहना था कि फिल्मों में जो बदलाव आया है वह दर्शकों की वजह से भी आया है। दर्शकों बड़े बजट की फिल्मों को सराहते हैं और ऐसे में उनकी फिल्में लोगों को पसंद आती हैं।
प्रियंका दुबे मेहता, नई दिल्लीl बदलते दौर में समानांतर और कम बजट के सिनेमा को भी पहचान मिल रही है। यह फिल्में पैसा भी कमा रही हैं और लोगों को पसंद भी आ रही हैं। यह बात कोरियोग्राफर और फिल्म निर्देशक फराह खान ने दसवें जागरण फिल्म फेस्टिवल के दौरान आयोजित परिचर्चा के दौरान कही। कार्यक्रम का संचालन फिल्मन समीक्षक राजीव मसंद ने किया।
अपने चिर-परिचित अंदाज में जब राजीव ने एक के बाद एक धारा प्रवाह प्रश्नों की बौछार की तो फराह भी हर सवाल पर नहले पर देहला साबित हुईं। उन्होंने हर प्रश्न का जवाब रोचक और मजाकिया अंदाज में देकर दर्शकों का मन मोह लिया। बात जब उनकी फिल्मों की आई तो बड़ी बेबाकी से उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ फिल्में इस कदर विफल हुई कि उन्हें आज वह याद नहीं करना चाहतीं।
उनका कहना था कि फिल्मों में जो बदलाव आया है वह दर्शकों की वजह से भी आया है। दर्शकों बड़े बजट की फिल्मों को सराहते हैं और ऐसे में उनकी फिल्में लोगों को पसंद आती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह आज भले ही सफल फिल्म निर्देशकों की फेहरिस्त में शामिल हों लेकिन कभी वह भी आम लोगों की तरह थीं। उनका कहना था कि उन्होंने अपनी शुरुआत दिनों को कभी नहीं भुलाया और शायद इसी वजह से आज भी जमीन से जुड़ी हुई हैं।
फराह ने कहा,‘अब पचीस वर्षों बाद मैं शाहरुख के अलावा किसी अन्य हीरो के बारे में सोच पा रही हूं। हालांकि शाहरुख अभी भी मेरे पसंदीदा हैं लेकिन अब मैं राजकुमार राव, वरुण धवन व रणबीर कपूर जैसे अभिनेताओं को अपनी फिल्मों में लेने के बारे में सोच रही हूं।’
फिल्मों में आइटम सांग्स के बढ़ते प्रचलन को लेकर फराह ने कहा कि उन्हें लगता है कि आज के दौर में जो भी आइटम सॉन्ग उन्होंने बनाए हैं उसमें कहीं औरत को वस्तु के तौर पर नहीं दिखाया गया है बल्कि पहले के बनिस्पत आज के आइटम सॉन्ग ज्यादा मनोरंजक और खूबसूरत हैं। पहले के आइटम सॉन्ग अगर आज सुने जाएं तो उनके बोल से लेकर कोरियोग्राफी तक में अश्लीलता का पुट नजर आता है। एक समय पर माधुरी दीक्षित पर फिल्माया गया बेहद लोकप्रिय हुआ गाना ‘चने के खेत में’ आज सुनें तो लगता है कि उसमें छेड़खानी के कृत्य को ग्लैमराइज किया गया है।
आज ऐसा नहीं है, गानों को लेकर इंडस्ट्री थोड़ी गंभीर हुई है। फराह द्वारा अमिताभ बच्चसन अभिनीत सत्ते पे सत्ते का रीमेक बनाने की खबरें हैं। हालांकि उसकी आधिकारिक घोषणा न होने के कारण उन्होंने नाम नहीं लिया। हालांकि रीमेक के चलन पर जरुर अपने विचार साझा किए। फराह ने कहा कि रीमेक से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। आज से पंद्रह साल पहले जब वे फिल्में बनाती थी तो रीमेक के बारे में नहीं सोच पाती थी लेकिन आज उन्हें लगता है कि जो क्लासिक फिल्में उन्होंने देखी उन्हें उनके बच्चे भी देख सकें। ऐसे में वे रीमेक की तरफ मुड़ी हैं।
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फिल्में हों या गाने, सभी को फिर से बनाने का दौर चल पड़ा है। वह चाहती हैं कि जो भी री-मेक फिल्में बनें उसकी पहली की खूबसूरती से छेड़छाड़ न हो। अगर कोई इतनी हिम्मत करता भी है तो उससे बेहतर बनाने का दबाव होता है। उनके मुताबिक संघर्ष केवल फिल्म इंडस्ट्री में नहीं है। यह हर जगह और हर किसी के जीवन में है।