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    Ground Zero: कौन है संसद हमले का गुनहगार गाजी बाबा? पर्दे पर खुलेंगे कई राज; इमरान हाशमी निभाएंगे मुख्य भूमिका

    Updated: Sun, 13 Apr 2025 09:23 PM (IST)

    रोमांटिक फिल्मों के लिए मशहूर अभिनेता इमरान हाशमी (Emraan Hashmi) अपनी अपकमिंग फिल्म को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। यह फिल्म बीएसएफ के एक अभियान पर आधारित है। इसमें इमरान फौजी के किरदार में नजर आएंगे। आइए जानते हैं कि संसद हमले का गुनहगार गाजी बाबा कौन है। जिसकी कहानी ग्राउंड जीरो फिल्म (Ground Zero Movie) में दिखाई जाएगी।

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    ग्राउंड जीरो में नजर आएंगे इमरान हाशमी (Photo Credit- IMDb)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। इमरान हाशमी बड़े पर्दे पर रोमांटिक किरदार निभाने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन आगामी फिल्म में अभिनेता एक फौजी के किरदार में नजर आएंगे। यह फिल्म बीएसएफ के एक मिशन पर आधारित है। दरअसल, साल 2003 में सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने आतंकवादी गाजी बाबा को मार गिराया था, जो संसद हमले का मास्टरमाइंड था। इस अभियान के लिए बीएसएफ को सरकार की ओर से दो सैन्य सम्मान और एक दर्जन वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अब इस कहानी को बड़े पर्दे पर इमरान हाशमी की ग्राउंड जीरो में दिखाया जाएगा।

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    सिनेमा लवर्स को इमरान हाशमी (Emraan Hashmi) की अपकमिंग फिल्म का बेसब्री से इंतजार है। हिंदी में बनी ग्राउंड जीरो उस समय के सबसे खतरनाक आतंकवादी को मार गिराने के बीएसएफ के कारनामों पर आधारित है। फिल्म में 46 वर्षीय अभिनेता इमरान हाशमी बीएसएफ के सेकंड-इन-कमांड रैंक के अधिकारी नरेन्द्र नाथ धर दुबे के महत्वपूर्ण रोल में नजर आएंगे। बता दें कि उन्होंने ही इस अभियान का नेतृत्व किया था। दिसंबर, 2001 में जैश-ए-मोहम्मद ने भारतीय संसद पर हमला करवाया था और इसके बाद से ही बीएसएफ के जवान राणा ताहिर नदीम उर्फ गाजी बाबा को तलाश रहे थे।

    बीएसएफ की किताब में दर्ज है यह अभियान

    सीमा सुरक्षा बल की आधिकारिक इतिहास की किताब में यह अभियान दर्ज किया गया है। 319 पन्नों की इस किताब को बीएसएफ ने 2015 में अपनी 50वीं वर्षगांठ पर जारी किया था। सेना की समझ रखने वाले लोग जानते हैं कि बीएसएफ का मुख्य कार्य देश के आंतरिक सुरक्षा क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के कर्तव्यों का निर्वहन करने के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ लगी भारतीय सीमा की सुरक्षा करना है। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बीएसएफ की किताब में इस अभियान के बारे में बताया गया है कि बीएसएफ को खुफिया और निगरानी प्रयासों की बदौलत 29 अगस्त, 2003 में इस आतंकवादी के बारे में जानकारी मिली।

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    गाजी बाबा बार-बार बदलता था ठिकाने

    इस किताब में बताया गया है कि किस तरीके से एक सूत्र के हवाले से सेना को जानकारी मिली कि खूंखार आतंकवादी और संसद हमले का मास्टरमाइंड गाजी बाबा श्रीनगर के नूरबाग इलाके के एक घर में छिपा है। इतना ही नहीं, किताब में इस आतंकवादी के बारे में बताया गया कि वह सुरक्षाकर्मियों को चकमा देने के लिए बार-बार अपने ठिकाने बदलता रहता था। इस वजह से बीएसएफ को उसी रात अपना यह जरूरी अभियान शुरू करना पड़ा, ताकि गाजी बाबा फिर से अपना ठिकाना ना बदल ले। इस अभियान की योजना दुबे ने बनाई थी, जो उस समय 61वीं बीएसएफ बटालियन के कार्यवाहक कमांडेंट थे और इसमें 193वीं बटालियन के जवानों ने उनकी सहायता की थी।

    बीएसएफ के अभियान से मारा गया था खूंखार आतंकवादी

    30 अगस्त, 2003 की सुबह का दिन था और बीएसएफ की एक टीम उस इमारत में दरवाजा तोड़कर पहुंची, लेकिन एंट्री लेने के बाद तुरंत किसी ने बिजली की सप्लाई काट दी। किताब के अनुसार, इमारत की तलाशी के दौरान वहां बीएसएफ को पांच लोग मिले जिनमें चार महिलाएं थीं। उनकी बातचीत से जवानों को शक हुआ और उन्हें यह लगा कि वहां आतंकवादी छिपे हुए हैं।

     Photo Credit- IMDb

    जब वे दूसरी मंजिल की तलाशी ले रहे थे तो एक कमरे में रखी अलमारी की स्थिति ने उनके शक को और गहरा कर दिया। जब जवानों ने इसे लात मारकर खोला तो स्वचालित हथियारों से भारी मात्रा में गोलीबारी की गई और यहां तक कि ग्रेनेड भी फेंके गए। दुबे को कुल सात गोलियां लगीं। कांस्टेबल ओमवीर के साथ बुरी तरह से लहूलुहान दुबे ने भाग रहे आतंकवादी का पीछा किया और गाजी बाबा मुठभेड़ में मारा गया।

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