Dhurandhar की तारीफ करने वाले पाकिस्तानियों पर भड़के Imran Abbas, कहा- 'उन्होंने तमाचा मारा और आप...'
आदित्य धर की फिल्म 'धुरंधर' (Dhurandhar) 5 दिसंबर को रिलीज हुई और इसने दुनियाभर में 600 करोड़ से अधिक की कमाई की है। हालांकि, पाकिस्तानी अभ ...और पढ़ें
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इमरान अब्बास ने की धुरंधर की आलोचना (फोटो-इंस्टाग्राम)
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। आदित्य धर (Aditya Dhar) की फिल्म धुरंधर (Dhurandhar) 5 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। इसी के बाद से मूवी को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा है। फिल्म बॉक्स ऑफिस के साथ-साथ दुनियाभर में कमाई के मामले में धमाल मचा रही है। यही वजह है कि धुरंधर ने वर्ल्डवाइड 600 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली है।
मल्टीस्टारर फिल्म है धुरंधर
फिल्म में रणवीर सिंह, अक्षय खन्ना, संजय दत्त, आर माधवन और अर्जुन रामपाल लीड रोल में हैं। उनके अलावा सारा अर्जुन ने रणवीर के लव कैरेक्टर का रोल प्ले किया है। हालांकि पाकिस्तान में फिल्म का काफी ज्यादा विरोध हो रहा है। अब पाकिस्तानी अभिनेता इमरान अब्बास ने बुधवार को इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी पोस्ट में लंबा-चौड़ा नोट लिखकर निर्माताओं की आलोचना की। उन्होंने कहा कि फिल्मों को नफरत, शत्रुता और विभाजन का साधन बनाया जा रहा है।
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हमारे देश के खिलाफ है फिल्म - अब्बास
एक्टर इमरान अब्बास ने कहा, ‘इंडिया में एक फिल्म रिलीज हुई है और वर्ल्डवाइड ओपनली ये फिल्म पाकिस्तान के, हमारे देश के, हमारे धर्म के और हमारी पहचान के खिलाफ नेरेटिव सेट कर रही है। सिर्फ फिल्म ही शर्मनाक नहीं है बल्कि फेक्ट ये है कि पाकिस्तान के लोग, हमारे समाज के लोग इसे ग्लोरीफाई कर रहे हैं। इस पर रील्स, AI इमेज, वीडियोज बना रहे हैं। कैरेक्टर्स और एक्टर्स की तारीफ कर रहे हैं और इसे गर्व से प्रमोट कर रहे हैं।’
फिल्म को बताया नफरत को बढ़ावा देने वाली
उन्होंने आगे कहा- 'हां, फिल्म अच्छी बनी हो सकती है। क्ववालिटी भी अच्छी हो सकती है। लेकिन ये सब बातें आत्मसम्मान की जगह कब से ले चुकी हैं? क्या हममें से किसी को अब भी नफरत से भरी फिल्मों को बढ़ावा देने की जरूरत है, ऐसी फिल्में जो किसी देश, राष्ट्र या धर्म के खिलाफ हों?

अगर ऐसी ही कोई फिल्म पाकिस्तान में भारत के खिलाफ बनी होती, तो पूरा भारतीय समाज बिना किसी हिचकिचाहट के उसे नकार देता, जो पूरी तरह से जायज और सही होता। फिर भी हम एक ऐसी फिल्म की सराहना करते हैं जो हमारे चेहरे पर तमाचा मारती है और उसे मनोरंजन कहती है। यह खुले विचारों वाला होना नहीं, बल्कि बेगैरती है, गरिमा और आत्मसम्मान का हनन है, और इस बार यह साबित हो गया कि इसका शिक्षा से भी कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि मैंने सचमुच तथाकथित पढ़े-लिखे लोगों को ऐसा करते देखा है, साथ ही जाहिल और अनपढ़ लोगों को भी।

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