Criminal Justice 4 के सेट पर इनसे झगड़ पड़ती थी वकील साहिबा उर्फ मीता वशिष्ठ, वैनिटी वैन में करती थीं ये काम
क्रिमिनल जस्टिस सीजन 4 में माधव मिश्रा उर्फ पंकज त्रिपाठी को कोर्ट में कड़ी टक्कर देने वाली एक्ट्रेस मीता मिश्रा ने हाल ही खास बातचीत करते हुए बताया कि उनका शूटिंग के दौरान कई बार लेखकों से झगड़ा हो जाता था। वकील साहिबा ने इस झगड़े की वजह भी बताई और साथ ही अपने आगामी प्रोजेक्ट्स पर भी बात की।

दीपेश पांडेय, मुंबई। अभिनेत्री मीता वशिष्ठ साढ़े तीन दशक से ज्यादा समय से फिल्मों और टीवी के साथ थिएटर में भी अभिनय कर रही हैं। उनकी वेब सीरीज ‘दिल्ली क्राइम’ का तीसरा सीजन कतार में है। उनके प्रोजेक्ट्स, अनुभव और पेशवर सफर पर बातचीत के अंश...
किनसे होता था मीता वशिष्ठ का झगड़ा?
वेब सीरीज ‘क्रिमिनल जस्टिस’ के पहले सीजन के बाद मीता अब चौथे सीजन में नजर आईं। वह कहती हैं, ‘इसके पहले सीजन के लिए मुझे अवॉर्ड भी मिला था। दूसरे और तीसरे सीजन में निर्माताओं ने पता नहीं क्यों इस भूमिका को आगे नहीं बढ़ाया। अब चौथे सीजन में वापस ले आए। अलग-अलग सीजन में लेखक बदल जाते हैं। इसलिए मुझे इस सीजन में कई बार लेखकों से झगड़ा भी करना पड़ा कि मेरा किरदार मंदिरा, किस मौके पर कैसे संवाद बोलेगी और कैसे प्रतिक्रिया देगी। कई बार तो बताना पड़ा कि ऐसा मंदिरा नहीं, माधव मिश्रा बोलते हैं। फिर एक समय ऐसा आ गया था कि मैं वैन में बैठकर अपने डायलाग स्वयं लिखती थी। हमारे निर्देशक भी मेरे सुझावों को स्वीकार करते थे।’
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यह भी है अहम हिस्सा
लेखन में दिलचस्पी होने के बाद पूरी फिल्म या शो लिखने पर मीता कहती हैं, ‘मैंने जीटीवी के धारावाहिक ‘सैटर्डे सस्पेंस’ का एक एपिसोड लिखा था। उस बीच कई फिल्मों में भी थोड़ा बहुत लिखा। गोविंद निहलानी की फिल्म ‘द्रोहकाल’ में अपने और ओम पुरी जी के बीच हुए एक सीन में मैंने बदलाव किए थे। लेखन हमेशा से मेरे जीवन का हिस्सा रहा है, लेकिन मैंने कभी उसे अलग पेशे के तौर पर नहीं देखा। कलाकार के लिए अपने संवाद, पात्र के स्वभाव, उसके लिए क्या सही है और क्या नहीं है, जैसी चीजों की अच्छी समझ जरूरी है। यह भी अभिनय का उतना ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, जितना आंगिक अभिनय।’
टीवी की राह पर बढ़ रहा ओटीटी
वर्तमान में डिजिटल प्लेटफार्म की परिस्थितियों पर मीता कहती हैं, ‘डिजिटल प्लेटफार्म भी अब टीवी की राह पर ही बढ़ रहा है। जब साल 2017-18 में डिजिटल प्लेटफार्म की शुरुआत हुई थी, तो इस पर सारे अच्छे कलाकार थे। कई नए चेहरे थे, जो ओटीटी प्लेटफार्म के कारण आज बहुत बड़े स्टार बन चुके हैं। तब तो सब कुछ अच्छा था, सभी फुर्सत से काम करते थे।
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अब टीवी की तरह यहां भी फार्मूला चल रहा है कि प्रोजेक्ट में कोई तो एक स्टार चेहरा होना चाहिए। ऐसे में बजट कटने लगे हैं, क्वालिटी गिरने लगी है। डिजिटल प्लेटफार्म के निर्माता भी खुद की बेवकूफियों के कारण अब नुकसान की स्थिति में आ गए हैं।’
जरूरी है रिहर्सल
21 वर्षों से ‘लल देद’ नाटक में अकेले परफार्म करती आ रही मीता वशिष्ठ परफार्म करने से पहले आज भी रिहर्सल आवश्यक मानती हैं। वह कहती हैं, ‘मेरा यह नाटक 14वीं शताब्दी की कश्मीर की महाकवयित्री लल देद (लल्लेश्वरी) के जीवन पर आधारित है। कश्मीर में आज भी लोग उनकी कविताएं, जिन्हें वाख कहा जाता है, पढ़ते हैं। इस नाटक की शुरुआत साल 2000 में हुई थी, फिर तीन साल रिसर्च और एक साल तैयारी हुई।
लॉकडाउन को छोड़कर 21 वर्षों में यह नाटक लगातार होता आ रहा है। रिहर्सल आज भी जरूरी है, क्योंकि 75 मिनट के इस नाटक में मैं नौ भूमिकाएं निभाती हूं और गाने भी गाती हूं। इनके लिए रियाज तो जरूरी है। वेब सीरीज ‘योर आनर’ में भी मैंने गाया था। अपने नाटक में गाती हूं। यह तो मेरे एक्टिंग के साथ-साथ चलता है। मैं वही काम करती हूं, जिसमें मुझे मजा आए।’
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