चंदा जोड़कर शुरू किया गया था Cannes Film Festival, इस इंडियन फिल्म ने पहली बार जीता था अवॉर्ड
Cannes Film Festival सिनेमा जगत के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में से एक कान्स फिल्म फेस्टिवल में हर साल कई सेलेब्रिटी रेड कार्पेट पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। आज ये फेस्टिवल दुनियाभर में मशहूर है लेकिन क्या आपको पता है इसकी शुरुआत कान्स शहर के लोगों से चंदा लेकर की गई थी। यहां पढ़ें कब और कैसे हुई इस फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। हर साल फ्रांस के कान्स शहर में आयोजित होने वाले फिल्म फेस्टिवल की धूम दुनियाभर में रहती है। भारत के साथ कई देशों के सेलेब्स इस प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं और रेड कार्पेट पर जलवा बिखेरते हैं। आज इस फिल्म फेस्टिवल का पूरी दुनिया में बोलबाला है लेकिन क्या आप जानते हैं इसकी शुरुआत पब्लिक से चंदा लेकर कई गई थी, ऐसा क्यों और कैसे हुआ आइए जानते हैं।
जनता से चंदा लेकर की गई शुरुआत
इस फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत पहले फ्रांस के कान्स नहीं बल्कि बियारिट्स शहर से होने वाली थी। लेकिन कान्स के लोग पीछे नहीं हटे और नगर प्रशासन ने इसके लिए ज्यादा फाइनेंस देने का वादा किया। इसके बाद कान्स को इस फिल्म फेस्टिवल के लिए ऑफिशियल शहर चुना गया। हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कान्स और फ्रांस फाइनेंशियल क्राइसिस से जुझ रहे थे ऐसे में सरकार के पास इतना पैसा नहीं था। ऐसी स्थिति में जनता से चंदा जुटाया गया और इस तरह कान्स फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत हुई।
फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया
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हिटलर की वजह से आया कान्स फिल्म फेस्टिवल का विचार
द्वितीय विश्व युद्ध से पहले वेनिस फिल्म फेस्टिवल सबसे बड़ा फिल्म फेस्टिवल माना जाता था। लेकिन 1938 में हिटलर और मुसोलिनी के दबाव के चलते इस फेस्टिवल में जीतने वाले विजेताओं के नाम बदलने पड़े इससे परेशान होकर फ्रांस सरकार ने सोचा कि हमार देश का एक अलग फेस्टिवल होना चाहिए और इसी के चलते 1939 में कान्स फेस्टिवल की नींव पड़ी।
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38 सालों तक नहीं था रेड कार्पेट
दिलचस्प बात ये है कि 3 दशकों तक कान्स फिल्म फेस्टिवल में रेड कार्पेट नहीं था। आखिरकार 1984 में जर्नलिस्ट यव मॉरुसी सेरेमनी की एंट्री नया डिजाइन करने का काम दिया गया और तब ऑस्कर से प्रेरित होकर उन्होंने रेड कार्पेट की शुरुआत की। इस पर चलकर सेलेब्स पैले देस फेस्टिवल तक पहुंचते हैं यही कान्स की परंपरा है। यह रेड कार्पेट 60 मीटर का होता है और 24 सीढ़िया कवर करता है। इसे दिन में एक बार बदला जाता है।
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पहली भारतीय फिल्म जिसने जीता ग्रांड प्रिक्स अवॉर्ड
कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रतिष्ठित ग्रांड प्रिक्स अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म नीचा नगर थी जो 1946 में आई थी। इसे चेतन आनंद ने निर्देशित किया था। हर साल इस फेस्टिवल में भारतीय सेलेब्रिटी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं और रेड कार्पेट पर जलवा बिखेरते हैं।
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