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    बॉक्स ऑफिस पर हिट और फ्लॉप का ये है पूरा गणित, यहां समझें नेट और ग्रॉस कलेक्शन का अंतर

    By Ruchi VajpayeeEdited By:
    Updated: Mon, 01 Aug 2022 03:41 PM (IST)

    बॉक्स ऑफिस पर कोई फिल्म कैसे हिट होती है और कैसे फ्लॉप इसको आसान तरीके से आप यहां समझ सकते हैं। साथ ही ये भी जानिए कि ग्रॉस और नेट बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के बीच का अंतर क्या है। 

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    bollywood film complete process of hits and flops at box office

    नई दिल्ली, जेएनएन। बॉलीवुड में एक के बाद एक फिल्मों के फ्लॉप होने का सिलसिला बदस्तूर चालू है। बात चाहे बच्चन पांडे की हो या पृथ्वीराज चौहान या रनवे 34 जैसी बड़े बजट के फिल्मों की, इस साल की शुरुआत से ही बॉक्स ऑफिस पर ये औंधे मुंह गिरी हैं। आप सोच रहे होंगे कि ये फिल्में कमाई तो करोड़ों में करती हैं, फिर फ्लॉप कैसे कहलाती हैं। जैसे सम्राट पृथ्वीराज ने अब तक 75 से 80 करोड़ के बीच की कमाई की है, इतना पैसा कमाने के बाद भी फिल्म फ्लॉप की लिस्ट में किस लिहाज से शामिल हुई? तो चलिए बॉक्स ऑफिस के इस गणित को समझने में हम आपकी मदद करते हैं...

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    सबसे पहले बात फिल्म पर कुल लागत की

    एक फिल्म की कुल लागत, उसकी मेकिंग कॉस्ट, प्रोडक्शन कॉस्ट और प्रमोशन, इन तीनों को जोड़कर निकाली जाती है। प्रॉफिट भी फिर इसी पर तय होता है। जैसे कोई फिल्म अगर 100 करोड़ की लागत से बनी है तो माना जाता है कि पहले दिन इसे अपनी लागत का 20 प्रतिशत कमाना होता है। अगर फिल्म किसी भी तरह इतना कमाने से पीछे रह जाती है तो आगे चलकर इसकी राहें मुश्किल ही नजर आती हैं।

    बॉक्स ऑफिस का गणित

    बॉक्स ऑफिस पर हिट और फ्लॉप का खेल समझने के लिए पहले आपको इसका पूरा प्रोसेस समझना होगा। दरअसल, फिल्म जब रिलीज के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है, तब देश में 14 सर्किट्स में डिस्ट्रीब्यूटर के पास पहुंचती है। डिस्ट्रीब्यूटर इसे प्रोड्यूसर के साथ पहले से तय सिनेमाघरों की संख्या के हिसाब से सिंगल स्क्रीन और मल्टीप्लेक्स में रिलीज के लिए भेजते हैं। फिर शुरू होती हैं कनेक्शन की कलाबाजी।

    ऐसे तय होता है हिट और फ्लॉप

    बॉक्स ऑफिस पर हिट और फ्लॉप तय करने के लिए किसी भी फिल्म को अपनी लागत के ऊपर 50 प्रतिशत और कमाना होता है। जैसे मान लेते हैं कि कोई फिल्म 100 करोड़ के बजट में बनी है। तो आंकड़ों के हिसाब से इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर 150 करोड़ कमाने होंगे। हालांकि इसमें भी एक पेंच है। जैसे आजकल रिलीज होने से पहले ही फिल्मों के डिजिटल और सेटेलाइट्स राइट्स बिक जाते हैं। तो कहना गलत नहीं होगा कि ऐसे कम ही चांस हैं कि प्रोड्यूसर को लॉस हो। वो सिनेमाघरों के अलावा ओटीटी और टीवी रिलीज से भी अपना प्रॉफिट निकाल लेते हैं। 

    यह है गॉस और नेट का अंतर

    फिल्मों के कलेक्शन में आपने अक्सर देखा होगा कि नेट और ग्रॉस का प्रयोग किया जाता है। तो मान लीजिए किसी सिनेमाघर ने 1000 टिकट बेचे हैं और हर टिकट का दाम 100 रुपए है। तो इस हिसाब से फिल्म का ग्रॉस कलेक्शन होता है 100,000 रुपए का। अब इसमें से टैक्स घटा दिया जाता है। जिसके बाद आता है शुद्ध लाभ। तो मान लीजिए कि 70 हजार रुपए नेट प्रॉफिट आया तो इसमें 35 से 40 प्रतिशत ही निर्माता के पास जाता है। तो 1 लाख में से प्रोड्यूसर के पास सिर्फ 35 से 40 हजार ही पहुंचेगा।