बॉक्स ऑफिस की रेस में नहीं हैं Irrfan Khan के बेटे बाबिल, इस एक चीज से करना चाहते Logout
इरफान खान के बेटे बाबिल खान (Babil Khan) आगामी फिल्म लॉग आउट (Logout) में नजर आने वाले हैं। यह फिल्म इंटरनेट पर आधारित है। हालांकि खुद बाबिल इंटरनेट से दूर रहते हैं। हाल ही में दैनिक जागरण के साथ बातचीत में बाबिल खान ने फिल्म से जुड़े दिलचस्प बातें बताई हैं साथ ही पर्सनल लाइफ से जुड़े खुलासे भी किए हैं।

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई डेस्क। इंटरनेट मीडिया पर इंफ्लुएंसर अपने वीडियो डालकर लोगों को लुभाते हैं। कोशिश फॉलोवर्स की संख्या बढ़ाने की होती है। अगर उनका मोबाइल फोन गलत हाथों में चला जाए तो क्या होगा? इस पर आधारित है दिवंगत अभिनेता इरफान के बेटे बाबिल खान (Babil Khan) की अगली फिल्म लॉग आउट 18 अप्रैल को जी5 पर रिलीज होने वाली इस फिल्म में बाबिल इंटरनेट मीडिया इंफ्लुएंसर की भूमिका में हैं। हालांकि असल जिंदगी में वह इंटरनेट मीडिया पर ज्यादा समय बिताना पसंद नहीं करते। उन्होंने इस बारे में बात की है।
फिल्म कला, फ्राइडे नाइट प्लान, वेब सीरीज द रेलवे मेन में आपके काम को सराहा गया। लगता है अपना टाइम आ गया ?
नहीं अभी तक नहीं। जिस दिन मुझे ऐसा लगेगा, मुझे लगता है कि मेरी ग्रोथ खत्म हो जाएगी। मुझे नहीं लगता कि किसी को भी सोचना चाहिए कि उसका टाइम आ गया।
बीते दिनों आई खो गए हम कहां और कंट्रोल जैसी फिल्में भी इंटरनेट मीडिया के विषयों से जुड़ी रही हैं।
मैंने बहुत सिनेमा नहीं देखा है उसे देखना है। मैं द ताओ ऑफ फिजिक्स किताब पढ़ रहा हूं। यह किताब साइंस और आध्यात्म के बारे में हैं। इसे पढ़ने में आनंद आ रहा है।
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आप इंटरनेट मीडिया से दूर रहते हैं। ऐसे में लाग आउट करने की क्या चुनौतियां रही ?
मैं प्रेशर लेकर सेट पर आता था। मुझे लेखक बिस्वपति सरकार और अमित सर ( फिल्म के निर्देशक अमित गोलानी) हंसाते थे क्योंकि बहुत सारे टेक थे जहां मुझे लगता था कि मैं नहीं कर पाऊंगा। मैं बस यही सुनिश्चित करना चाहता था कि काम ढंग से कर रहा हूं तो उसका प्रेशर लेकर आता था, पर मजा भी आया क्योंकि मैंने इतना क्राफ्ट कहीं सीखा नहीं था।
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आप जिंदगी में किन-किन चीजों से लाग आउट करके रहना चाहते हैं?
दूसरों की राय। हर किसी की राय अहम होती है, लेकिन आप उससे कितना प्रभावित हो रहे रहे हैं यह आपके नियंत्रण में है।
बॉक्स ऑफिस के लिए कितनी तैयारी है?
तैयारी है। पर बॉक्स ऑफिस के बारे में नहीं सोचता। मुझे लगता है कि अगर इनके बारे में सोचूंगा तो मेरा काम खराब होन लगेगा। बस अपने काम के बारे में सोचता हूं।
सेट के अलावा और कहां खुशी मिलती है?
सेट के अलावा मुझे सबसे ज्यादा खुशी स्कूबा डाइविंग में मिलती है। उसमें मुझे बहुत मजा आता है। पानी के अंदर बहुत अलग दुनिया है वो बाहरी दुनिया से एकदम अलग-थलग है। पानी के अंदर मछलियों को थोड़े पता है कि आप कौन हैं?
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आपके पिता भी पढ़ने के बहुत शौकीन थे। उनकी तो किताबों की लाइब्रेरी भी हैं।
हां लाइब्रेरी अभी भी है। पहले किताबें पढ़ने में मेरा ध्यान नहीं लगता था, फिर संयोग देखिए इंटरनेट मीडिया का विस्तार हुआ, लोगों का अटेंशन स्पैम कम हो रहा है लेकिन मेरा बढ़ रहा है। क्योंकि मैं मोबाइल से ज्यादा जुड़ा नहीं रहता हूं। किताबें पढ़ता हूं। आप जिस चीज में रुचि लेने लगते हैं, उसकी ओर ध्यान बढ़ना स्वाभाविक है।
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