'अब फिल्म में आर्ट नहीं नंबर...' Anupam Kher ने 'Tanvi the Great' को लेकर की बात, बताया क्यों लगे 23 साल
तन्वी द ग्रेट अनुपम खेर द्वारा निर्देशित एक अपकमिंग हिंदी ड्रामा फिल्म है। फिल्म अनुपम खेर स्टूडियो और एनएफडीसी द्वारा निर्मित है। फिल्म में अनुपम खेर और इयान ग्लेन ने काम किया है। यह 18 जुलाई 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। अनुपम खेर ने 23 साल पहले एक फिल्म ओम जय जगदीश डायरेक्ट की थी। अगली मूवी लाने में इतने साल क्यों लगे इस पर बात हुई।
एंटरटटेनमेंट डेस्क, मुंबई। फिल्म ‘ओम जय जगदीश’ के करीब 23 साल बाद अभिनेता अनुपम खेर (Anupam Kher) ने ‘तन्वी द ग्रेट’ (Tanvi the Great) का निर्देशन किया है। फिल्म में तन्वी की भूमिका में नवोदित कलाकार शुभांगी दत्त हैं। इस फिल्म को लेकर दोनों कलाकारों ने साझा किए अपने विचार...
फिल्म को लेकर कैसी भावनाएं हैं?
जब आप किसी नई चीज के साथ आते हैं आम तौर पर उसमें घबराहट और नर्वसनेस होती है। आश्चर्य है कि मुझे दोनों नहीं हो रहा है, क्योंकि ट्रेलर को दर्शकों का प्यार मिला है। अमेरिका, फ्रांस, लंदन में फिल्म दिखाई गई है। मैंने दर्शकों के साथ फिल्म देखी है, तो तंजानिया में हो या तमिलनाडु, भावनाएं तो एक समान होती हैं। फिल्म अच्छाई के बारे में हैं। आसपास हमें अच्छाई नजर ही नहीं आती है। वो अच्छाई से परिचय आटिज्म के साथ जी रही लड़की करवाती है।
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अब जो सिनेमा आ रहा है, उसमें भी अच्छाई की कमी दिख रही है?
अब फिल्म को आर्ट की तरह देखने के बजाए बाक्स आफिस नंबर ज्यादा अहम हो गए हैं। अब यह विशुद्ध बिजनेस बन गया है। कोई फिल्म के बारे में बात नहीं करता। शायद कार्पोरेट के आने से उनके लिए पैसे अहम हो गए थे। अगर आपसे पांच फिल्में पूछी जाएं, तो आप वो फिल्में नहीं बताएंगे, जिन्होंने अच्छा बिजनेस किया। आप उन पांच फिल्मों के बारे में बात करेंगे, जो आपको पसंद आईं, वो है आर्ट। उसमें मैं यकीन रखता हूं। लोग मुझसे पूछते हैं कि आपको 23 साल क्यों लग गए? मैं ऐसी कहानी बनाना चाह रहा था जो मेरे दिल को छुए।
तो 23 साल में कोई कहानी नहीं मिली?
नहीं, मैंने ढूंढी नहीं। यह कहानी मुझे अपने आप मिल गई। मेरी भांजी ने कहा कि मैं अपनी दुनिया को देख रही हूं। हालांकि उससे पहले मैंने एक-दो कहानियों पर काम किया था। मैं चाहता था कि कहानी मेरे अंदर से निकले। ‘तन्वी द ग्रेट’ बनाने का इतना जज्बा था कि जब निर्माता नहीं मिल रहे थे, तब भी मैंने सोच लिया था कि इसे तो जरूर बनाना है।
निर्माता न मिलने पर मनोबल टूटता है?
नहीं, क्योंकि तन्वी का मनोबल कभी टूटता नहीं है। मैं अपनी यूनिट से कहता था कि हम तन्वी जैसे हैं। शूटिंग के पहले दिन मैंने एक भाषण यूनिट को दिया था,जल्द उसे सबके सामने लाएंगे। उसमें मैंने कहा था कि इस फिल्म के दौरान हम सब लोग एक-दूसरे के साथ दया का भाव रखेंगे। कोई चिल्लाएगा नहीं। मुझे लगता है कि सेट पर हम जो 240 लोग थे, उनकी जिंदगी में कहीं न कहीं कोई बदलाव यह फिल्म जरूर लाई है।
प्रमोशन के दौरान आपने शुभांगी को हिंदी में बोलने को कहा था। कई कलाकार हिंदी में बात करने से कतराते हैं?
मैं हिंदी माध्यम से पढ़ा हूं। जब मैं मुंबई आया, तब (नकल उतारते हुए) कई लोग अंग्रेजी बोल रहे थे। मैं अंग्रेजी में बात नहीं कर पाता था तो मुझे भाव नहीं देते थे। मैं उस दौर से गुजरा हूं। बच्चन (अमिताभ बच्चन) साहब ने कमाल की बात कही थी कि आपकी किस्मत इतनी अच्छी है कि हिंदी फिल्मों में हिंदी ही काम आई है। बाकी लोगों की तो जिंदगी गुजर जाती है, अपनी हिंदी ठीक करने में। मैंने जब अमेरिका में काम किया तो अंग्रेजी सीखी थी।
शीशे के सामने करती थी प्रैक्टिस
अभिनय में आने को लेकर शुभांगी दत्ता कहती हैं, ‘बचपन में मैं शीशे के सामने अलग-अलग चीजें करती रहती थी। कभी डाक्टर का आला लगाती और शीशे के सामने उसकी एक्टिंग करती। फिल्में देखती तो मजा आता था। जब घरवालों ने पूछा कि तुम्हें करना क्या है? तो मैंने पाया कि कलाकारों को हर तरह का जीवन जीने का मौका मिलता है। फिर सोचा कि यही करना है। कालेज जाकर कई चीजें कीं, लेकिन दिल किसी में नहीं लगा। जब मैं परफार्म करती हूं, चाहे शीशे के सामने हो या स्क्रीन के सामने, तो अच्छा लगता है। जब इस फिल्म में चयन होने की खबर मिली, तो पहले यकीन ही नहीं हो रहा था। सोचा नहीं था सपने पूरे होंगे वो भी एकसाथ। वो भी हमारे एक्टिंग स्कूल के चेयरमैन अनुपम सर द्वारा निर्देशित किया जाना। ’
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