जेब में 1 रुपये लेकर बीयर और चिकन खाने पहुंचे Anupam kher, बिल देखकर घबरा गए एक्टर
अनुपम खेर ने अपनी लेटेस्ट फिल्म तन्वी द ग्रेट का खूब जमकर प्रमोशन किया। इस मूवी के बाद से वो फिर से निर्देशन में लौटे हैं। हालांकि मूवी को इतना अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला। सैयारा की आंधी में इसकी कहानी कहीं खो सी गई। अब हाल ही में एक्टर ने अपनी लाइफ का एक मजेदार किस्सा सुनाया है।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। पॉपुलर एक्टर अनुपम खेर इन दिनों अपनी फिल्म 'तन्वी द ग्रेट' को लेकर चर्चा में हैं। खेर ने इस फिल्म का निर्देशन भी किया है। ये उनकी लगभग 22 साल बाद निर्देशन में वापसी है। इससे पहले उन्होंने साल 2022 में ओम जय जगदीश डायरेक्ट की थी।
जेब में थे सिर्फ 1 रुपये
अब हाल ही में एक इंटरव्यू में एक्टर ने अपने करियर के शुरुआती दिनों के बारे में बात की और बताया कि जब वो इंडस्ट्री में नए-नए आए थे तब उनकी जेब में सिर्फ 1 रुपया था लेकिन सपने बहुत बड़े थे। मुंबई में अपने स्ट्रगल के दिनों के बारे में बात करते हुए एक्टर ने इसका एक मजेदार किस्सा भी शेयर किया।
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कौन था ढाबे का मालिक?
न्यूज 18 शोशा को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि एक बार वो ढाबे पर खाना खाने गए। तब उनका एक प्ले टेलीविजन पर आता था। तब वो मूवीज नहीं कर रहे थे।
अनुपम खेर ने कहा, 'मैंने वो प्ले किया था और टेलीकास्ट का इंतजार कर रहा था। मैं चाह रहा था कि लोग उसे देखें और कहे कि वाह ये बेहतरीन कलाकार है। मेरे पास 1 या शायद डेढ़ रुपये थे। मैं, मेरा भाई और एक दोस्त हम सारे हिराद नगर में एक ढाबे पर गए। हमने कुछ चपाती और दाल ऑर्डर की। इतने में उस ढाबे का मालिक आया और मेरी तारीफ करने लगा। उसने कहा कि उसने मेरे प्ले दूरदर्शन पर देखा है और मैं बड़ा एक्टर बनूंगा। ये सुनते ही मेरे अंदर कॉन्फिडेंस आ गया और मैंने बियर और चिकन भी ऑर्डर कर दिया। बिल आया 97 रुपये का और मेरे पास सिर्फ 1 रुपये था।'
उधार मांगने पड़े पैसे
इसके बाद जो हुआ वो हकीकत में एक सबक था। मैंने उससे कहा कि मैं कभी बड़ा आदमी बनूंगा। उसने जवाब दिया, 'बेटा, तारीफ अपनी जगह है, बिज़नेस अपनी जगह है। पैसे तो भरने पड़ेंगे।' तो मैं अपने भाई और दोस्त को रेस्टोरेंट में छोड़कर, 'हरे रामा हरे कृष्णा' के बगल में रहने वाले एक और दोस्त के पास गया, उससे 100 रुपये उधार लिए और वापस आ गया। मुझे वो पूरी बात साफ-साफ याद है क्योंकि मैं ऐसी चीज़ों के बारे में मज़ाकिया अंदाज़ में लिखा करता था।"
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