Cannes में दिखाई जाएगी अनुपम खेर की फिल्म 'तन्वी द ग्रेट', काम-पैसा और फेलियर के डर पर क्या बोले नए निर्देशक?
फिल्म तन्वी द ग्रेट को लेकर इन दिनों अभिनेता अनुपम खेर चर्चा में हैं।उन्होंने 23 साल बाद फिल्म तन्वी द ग्रेट से निर्देशन में वापसी की है जिसका प्रीमियर कान फिल्म फेस्टिवल में होगा। इससे पहले उन्होंने वर्ष 2002 में ओम जय जगदीश का निर्देशन किया था। अनुपम खेर ने इस अंतराल का कारण अपनी फिल्म और जीवन जीने के तरीके के बारे में दैनिक जागरण को बताया। यहां पढ़ें...
प्रियंका सिंह, मुंबई। अभिनेता अनुपम खेर निर्देशित फिल्म तन्वी द ग्रेट का वर्ल्ड प्रीमियर इस साल कान फिल्म फेस्टिवल में होगा। 23 वर्ष बाद अनुपम इस फिल्म से निर्देशन में उतरे हैं। अपनी फिल्म और जीवन जीने के तरीके को वह कर रहे हैं साझा...
अनुपम खेर बताते हैं कि फिल्म 'तन्वी द ग्रेट' को लेकर इन दिनों अनुपम खेर चर्चा में हैं। इससे पहले उन्होंने वर्ष 2002 में ओम जय जगदीश का निर्देशन किया था।
इस अंतराल का कारण वह बताते हैं कि निर्देशन कठिन काम है, इसलिए कर रहा हूं। आसान काम क्यों करना है।23 साल का समय लगा, क्योंकि उसके बीच में मुझे कोई कहानी मिली ही नहीं थी। ये तय किया था कि फिल्म तभी बनाऊंगा, जब ऐसी कहानी मिले, जिसे दुनिया के साथ साझा कर सकूं।
तन्वी द ग्रेट की कैसे की तैयारी?
फिल्म के बारे में बात करते हुए अनुपम खेर कहते हैं, ''तन्वी द ग्रेट वही फिल्म है। मुझे जापानी लड़की ही डीओपी (डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी) के लिए चाहिए थी तो जब तक उन्होंने हां नहीं कहा, मैं फोन करता रहा।''
वह कहते हैं कि मेरी फिल्म ऊंचाई की आर्ट डायरेक्टर का काम अच्छा था, उन्हें भी फिल्म से जोड़ा। मैं 60-70 दिन ऐसे लोगों के साथ काम नहीं कर सकता हूं, जिन्हें पसंद नहीं करता हूं। अगर वे प्रोजेक्ट से जुड़कर उत्सुक ही नहीं हैं तो मुझे उनके साथ काम करने में दिलचस्पी नहीं है।
सम्मान चाहिए ज्यादा
इन दिनों अनुपम काफी विचार के बाद ही पात्र का चयन करते हैं। वह कहते हैं कि निर्देशन का काफी काम रहता है। एक्टिंग स्कूल भी चलाता हूं। कठिन रोल चुनता हूं, ताकि मेरा काम और कठिन हो। मैं जीवन को लेकर जुनूनी हूं।
फेलियर का डर
पिताजी ने बहुत साल पहले ही निकाल दिया था। जिसको फेलियर का डर नहीं है, जो आशावादी है, वह दुनिया का सबसे धनी इंसान है। शिकायत करना मुझे समय की बर्बादी लगती है। मुझसे कोई पूछे सम्मान या पैसे में से आपको ज्यादा क्या चाहिए, तो मैं सम्मान चाहूंगा। पैसा उतना ही चाहिए, जिससे काम चल जाए।
काम मांगने में नहीं हिचक
अनुपम आगे कहते हैं कि मैं तो किराए के मकान में रहता हूं। 544 फिल्में करने के बाद भी काम मांगता हूं। एक्टर को लगता है कि मैं काम कैसे मांग सकता हूं। इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक जो सोचते हैं, दूसरा जो करके दिखाते हैं। मैं करके दिखाने वालों में से हूं। सोचना अच्छी बात है, लेकिन मुझे ज्यादा बुद्धिमान बनने का शौक नहीं है। मुझे काम करना है।
हिंदुस्तान के हर इलाके से मुंबई में कितने सारे लोग आते हैं, जिनमें से बहुत कम लोगों को काम मिलता है, मैं उनमें से एक हूं। 40 साल बाद भी काम कर रहा हूं। यह भूख नहीं है, बल्कि जीवन जीने का तरीका है।
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