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Animal के 'अबरार हक' को विलेन नहीं मानते बॉबी देओल, कहा- 'हीरो रणविजय से ज्यादा अत्याचार तो उसके साथ हुए'

फिल्म एनिमल में विलेन का किरदार निभाने के लिए बॉबी देओल (Bobby Deol) को दर्शकों का खूब प्यार मिला। वहीं अब एक्टर आगे अबरार हक से अलग तेवर के कैरेक्टर की खोज कर रहे हैं। एनिमल के बाद उनके हाथ साउथ की एक बड़ी लगी है। बॉबी देओल जल्द पैन इंडिया फिल्म कंगुआ में नजर आने वाले हैं। इसमें उनके साथ सूर्या लीड रोल में हैं।

By Jagran News Edited By: Vaishali Chandra Published: Fri, 01 Mar 2024 09:22 AM (IST)Updated: Fri, 01 Mar 2024 09:22 AM (IST)
'एनिमल' के 'अबरार हक' को विलेन नहीं मानते बॉबी देओल, (X Image)

दीपेश पांडेय, मुंबई। नई छवि गढ़ने में माहिर फिल्म बरसात (1995) से बतौर रोमांटिक हीरो शुरुआत करने के बाद आश्रम और लव होस्टल जैसी वेब सीरीज में निभाए विलेन के किरदारों ने बाबी देओल को दिया इमेज बदलने का अवसर। ओटीटी के बाद एनिमल फिल्म में सिर्फ 15 मिनट की भूमिका में उन्होंने ऐसी छाप छोड़ी कि होरी के सामने उनके ही चर्चे हुए। बाबी मानते हैं कि विलेन भी उतार- चढ़ाव से भरी अपनी कहानी का हीरो ही होता है।

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फिल्म एनिमल में विलेन के किरदार के लिए दर्शकों का प्यार पाकर उत्साहित बॉबी देओल अब उससे अलग तेवर के कैरेक्टर की खोज में हैं। 10 मार्च को आयोजित होने वाले जी सिने अवार्ड्स में वह परफॉर्म करते भी दिखाई देंगे। फेवरेट कैरेक्टर्स, आगामी फिल्मों और परिवार को लेकर बाबी देओल से दैनिक जागरण के दीपेश पांडेय ने खास बातचीत की...

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आपके लिए अवॉर्ड्स कितना महत्व रखते हैं ?

अवॉर्ड्स एक तरह से आपके काम की पहचान होते हैं। हालांकि, अवॉर्ड न भी मिले, पर लोगों का प्यार मिलता रहे, वही मेरे लिए सबसे बड़ी बात है । मैंने तो यही देखा है। पापा ने फिल्म इंडस्ट्री में जीवनभर काम किया, लेकिन अवॉर्ड नहीं मिलता था। उन्हें लोगों का प्यार खूब मिला। जब आपको पुरस्कार मिलता है। तो सबसे ज्यादा खुशी आपके प्रशंसकों को मिलती है। वो खुशी मेरे लिए अवॉर्ड को और खास बना देती है।

करीब तीन दशक के अभिनय सफर में कोई ऐसी भूमिका रही, जो आपके मुताबिक अवॉर्ड की हकदार थी, लेकिन नहीं मिला ?

जब मैंने दिल्लगी (1999) फिल्म की थी । उसे भैया सनी देओल ने निर्देशित किया था। उसमें निभाया किरदार मेरा पसंदीदा है। भैया ने मुझसे बहुत अच्छा काम निकलवाया था। सोचता हूं कि काश उसके लिए किसी पुरस्कार में नॉमिनेट किया गया होता।

एनिमल से पहले आश्रम और लव हास्टल में भी आपके विलेन के किरदार के खूब चर्चित रहे, क्या अब विलेन के रोल ज्यादा पसंद आ रहे हैं ?

अगर आप विश्लेषण करेंगे तो ऐसा ही लग रहा है। (हंसते हुए) विलेन का किरदार निभाने के बाद से मुझे लोगों का प्यार ज्यादा मिल रहा है। जहां भी जाता हूं, लोग आश्रम के पात्र को याद करते हैं। जब लव हास्टल फिल्म आई तो लोग चाह रहे थे कि उसमें मेरी डागर की भूमिका को लेकर स्पिन आफ फिल्म बने। इससे खुशी मिलती है कि विलेन बनने के लिए भी लोग आपको प्यार देते हैं।

एक्टर ने आगे कहा, मेरे हर नेगेटिव किरदार की अपनी अलग कहानी है। एनिमल में अबरार की कहानी नायक रणविजय से ज्यादा दुख भरी है। रणविजय का रिश्ता सिर्फ उसके पिता के साथ ठीक नहीं था, लेकिन अबरार को तो घर से निकलवा दिया गया था, उसके दादा ने आत्महत्या कर ली थी, भाई को मार दिया। मैं ऐसी भूमिकाओं को विलेन के तौर पर नहीं देखता हूं, वो भी एक तरह का हीरो होता है, जिसे पता नहीं होता है कि वो बुरा है।

देओल परिवार के लिए बीता वर्ष काफी अच्छा रहा। गदर 2 में सनी देओल, तो रॉकी और रानी की प्रेम कहानी में पिता धर्मेंद्र की भी चर्चा हुई। क्या इस वर्ष पर्दे पर पूरा परिवार साथ आने की संभावना बन रही है ? अपने 2 की बात काफी दिनों से चल रही है....

जब तक जब तक अपने 2 की पूरी स्क्रिप्ट फाइनल नहीं होती, तब तक मैं उसके बारे में कुछ नहीं बोल सकता हूं। स्क्रिप्ट ही सबसे महत्वपूर्ण होती है। फिलहाल काम चल रहा है। मैं भी चाहता हूं कि पापा फिर से कोई फिल्म करूं, भतीजे करण के साथ काम करूं। मेरा बेटा आर्यमन अभी तो छोटा है, वो इंडस्ट्री में आएगा, लेकिन दो-तीन वर्ष बाद। अभी वह सीख रहा है।

किसी फिल्म के हिट होने के बाद आमतौर पर कलाकार को ज्यादातर मिलते-जुलते प्रस्ताव मिलते हैं, एनिमल के बाद आपको किस तरह के प्रस्ताव मिले ?

एनिमल के बाद प्रस्ताव तो काफी आ रहे हैं, लेकिन मैं हमेशा कुछ अलग करने की सोचता हूं। अब भी कुछ अलग करने के लिए ढूंढ रहा हूं। कुछ दिलचस्प फिल्मों और वेब सीरीज के प्रस्ताव मिले हैं। कभी नहीं सोचा नहीं था कि मेरी भूमिका को इतना ज्यादा प्यार मिलेगा। फिलहाल नर्वस हूं कि किसको हां बोलूं और किसको इनकार करूं।

तमिल फिल्म कंगुवा से पैन इंडिया स्टारडम की तरफ भी कदम बढ़ा रहे हैं...

दक्षिण भारतीय सिनेमा में भी कुछ अच्छे प्रोजेक्ट कर रहा हूं। वहां कुछ अच्छे निर्माता-निर्देशक हैं। उनका सिनेमा बेहतरीन है। वहां मुझे फिल्म कंगुवा में एक मौका मिला है। उस फिल्म में सूर्या मुख्य भूमिका में हैं। वह बहुत ही कमाल के कलाकार और इंसान हैं। उसके निर्देशक शिवा भी बेहद प्यारे हैं।

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आपने कहा था कि क्लास आफ 83 जैसी फिल्म दोबारा करना चाह रहे हैं ?

मैं वैसी फिल्म ढूंढ़ रहा हूं। हमारे यहां अच्छी कहानी लिखने वाले बहुत कम हैं। इसलिए तो अच्छी फिल्में इतनी कम बनती हैं। फिलहाल ढूंढ़ रहा हूं कि मुझे वैसी फिल्म मिल जाए। 


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