सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर चुके हैं Amit Sadh, बाइक राइड के चलते बन गए फिल्मों के हीरो
काई पो चे जैसी फिल्मों के जरिए फैंस के दिलों पर राज करने वाल एक्टर अमित साध के संघर्ष की कहानी काफी रोचक है। सिक्योरिटी गार्ड से लेकर एक्टर बनने का तक उनका सफर काफी दिलचस्प रहा है। जागरण संग खास बातचीत में अमित ने हीरो बनने की पूरी स्टोरी बताई है।

जागरण डेस्क, मुंबई। अमित साध के करियर ग्राफ में दोस्ती आधारित कई फिल्में दर्ज हैं। एक और ऐसी ही फिल्म के साथ दर्शकों के सामने आने को तैयार अमित वास्तविक जीवन में दोस्त बनाने को लेकर कितने सहज हैं, इस बारे में वह कहते हैं, 'हमारी इंडस्ट्री में हर शुक्रवार को दोस्त बदलते हैं, इसलिए मैं शुक्रवार वाली दोस्तियां करता ही नहीं हूँ।
दोस्त से बेहतर में गुरु और मार्गदर्शन देने वालों लोगों में यकीन करता हूँ मैडी (आर माधवन) सर को मैं अपना मार्गदर्शक मानता हूँ। फोन पर उनका नंबर ब्रो (भाई) के नाम से सेव है। पिछले दिनों उनसे दुबई में मिला था। उन्होंने पूछा कहां क्या कर रहे हो? 15 मिनट तक डांटा कि काम पर ध्यान दो मैं अपने दोस्तों से भी सीखता हूं। वह दोस्ती अच्छी है, जिसमें एक-दूसरे को सुधारते हुए आगे बढ़ें। बाकी मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है मैं अपनी इंडस्ट्री की ज्यादा बात नहीं करता। मैं कमजोर नहीं हूं कि लोगों की निंदा करूं।'
मैं हूं फिल्म का इंजन
जीवन में मार्गदर्शन करने वालों की बात करते हुए अमित आगे कहते हैं, 'मुझे अलग-अलग रूप में मददगार और मार्गदर्शक मिले मैं फुटपाथ से उठकर आया हूँ एक शोरूम में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता था वहाँ एक व्यक्ति राजमा चावल बेचता था। उसने मुझे मुफ्त में खाना खिलाया है जीवन इतना अद्भुत है कि कई बार मार्गदर्शन देने वाले और सहायता करने वाले आकर चले जाते हैं और हमें पता भी नहीं चलता है।'
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फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम
'गोल्ड' (2018) फिल्म के सात साल बाद अमित 'पुणे हाइवे' फिल्म से बड़े पर्दे पर नजर आएंगे। इस देरी का कारण बताते हुए कह कहते हैं, 'फिल्में समय लेती हैं। इस फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन में समय लगा। मुझे भी लगता है कि मेरी और फिल्में आनी चाहिए। सच कहूं तो आज भी मैं फिल्में यह देखकर नहीं चुनता कि मैं उसका हीरो हूं या नहीं हीरो शब्द का मतलब में आज भी नहीं जानता। मुझे इस फिल्म के
बाइक ने बनाया हीरो
निर्देशक बग्स भार्गव ने बहुत अच्छी बात कही कि हीरो का पता नहीं, लेकिन तुम्हें इस फिल्म का इंजन बनना है। मैं अभी एक बहुत बड़े डिस्ट्रीब्यूटर के आफिस गया तो उन्होंने कहा कि कई साल बाद कोई हीरो मिलने आया है। मैंने कहा कि सर हीरो का तो नहीं पता, लेकिन मेरी फिल्म आ रही है। आप बताओ क्या करना है, मैं खुद टिकटें बेच दूँ। वह हैरान रह गए। मैं अपनी फिल्मों के लिए कुछ भी कर सकता हूँ 'पुणे हाइवे' के बाद मेरी 'प्रताप' फिल्म भी आएगी, जिसमें में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रोल में हूं।
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बाइक के शौकीन अमित कहते हैं कि मैं पहाड़ो से बाइक चलाते हुए मुंबई आ गया था। 20 साल का था. मेरी बुलेट का नाम सिकंदर था। मुझे अपनी बाइक बेचनी पड़ी थी। जिनके यहां नौकरी करता था, उनको फोन किया कि पैसे खत्म हो गए है। बाइक बिक गई है। मैं वापस पहाड़ो में आ रहा हूं, मुझे नौकरी दे देना। अगले दिन किसी ने बताया कि नीना गुप्ता के यहां एक धारावाहिक बन रहा है, जिसका नाम है क्यों होता है प्यार'।
इसमें उन्होंने एक रोल दिया, जिसमे मैं पीछे खड़ा था। फिर अगले दिन बुलाकर कहा कि तुम्हारी शक्ल अच्छी लग रही है, अब तुम्हे हीरो का रोल दे रहे है। एक दिन पहले 8,000 रुपये देने की बात हुई थी। मैंने इसके लिए कितने पैसे दोगे ? उन्होंने कहा 12,000 रुपये। मैंने कहा कि कमाल की दुनिया है, एक दिन में 4,000 रुपये का मुनाफा मेरे तो मजे हो गए थे।
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