Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    द केरल स्टोरी के बाद 'चरक' के साथ आ रहे हैं सुदीप्तो सेन, मेले का सच दिखाकर फिर विवादों में फंसेंगे निर्देशक?

    द केरल स्टोरी जैसी कहानी दुनिया के सामने लाने के बाद अब निर्देशक सुदीप्तो सेन अपनी अगली फिल्म के लिए बिल्कुल तैयार हैं। विवादों से भरी फिल्में बनाने के लिए मशहूर निर्देशक सुदीप्तो की नेक्स्ट फिल्म का टाइटल चरक है जो असल घटना से प्रेरित है। ये कहानी चरक मेले में कैसे रिश्ते बिखरते हैं इस पर आधारित है जिसके बारे में उन्होंने खुद बताया।

    By Tanya Arora Edited By: Tanya Arora Updated: Tue, 25 Feb 2025 10:21 PM (IST)
    Hero Image
    अपनी अगली फिल्म 'चरक' के साथ तैयार हैं सुदीप्तो सेन/ फोटो- Instagram

    प्रियंका सिंह, मुंबई। द केरल स्टोरी’ और ‘बस्तर : द नक्सल स्टोरी’ फिल्मों के बाद अब निर्देशक सुदीप्तो सेन फिल्म ‘चरक’ लेकर आ रहे हैं। बंगाल में चैत्र में मनाए जाने वाले एक मेला पर्व, आस्था और उसमें लिप्त कुछ कुप्रथाओं पर आधारित इस फिल्म पर उनसे खास बातचीत:

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चरक के साथ एक और सच्ची कहानी पर्दे पर आएगी

    वास्तविक कहानियों को बड़ी सहजता से बड़े पर्दे पर उतारने वाले निर्देशक सुदीप्तो सेन ‘चरक’ के साथ भी ऐसा ही कुछ करने जा रहे हैं। फिर से वास्तविक कहानी लाने को लेकर सुदीप्तो कहते हैं,

    ‘मैं काफी समय से यह फिल्म बनाना चाहता था। मैंने बचपन से इसे करीब से देखा है। यह त्योहार लोगों के भरोसे से जुड़ा है कि अगर आपकी कोई मनोकामना है, जो पूरी नहीं हुई है, तो चरक में उसे दोहराने से पूरी हो जाती है। इसमें एक गांव की कहानी है, जिसमें भाईचारा, दोस्ती है, लेकिन चरक मेले में कैसे वह रिश्ते बिखर जाते हैं। मैं उस विश्वास पर इस फिल्म से सवाल उठाने जा रहा हूं, जिससे कई कुप्रथाएं और अंधविश्वास भी जुड़े हैं। मुझे पता है कि विवाद होंगे, उसके लिए भी मैं तैयार हूं।’

    Photo Credit- Imdb

    मैं नहीं तो कौन बोलेगा

    वास्तविक कहानियां कहना सुदीप्तो के लिए क्यों जरूरी हैं? इस पर वह कहते हैं, ‘यह कला के क्षेत्र से जुड़े हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। कलाकार का काम समाज का आईना बनना है। हमारे समाज में कई अच्छी चीजें हैं, तो कुछ ऐसा भी है, जो इसे अच्छा होने से रोकता है। चरक मेला मेरे ही शहर में होता है। मैं ही इसमें लिप्त कुप्रथा के बारे में बात नहीं करूंगा, तो कौन करेगा। कुछ लोगों को बुरा लगेगा, लेकिन मेरे लिए सच बोलना कभी कठिन नहीं रहा। सच में एक अद्भुत शक्ति है, जो आपको खुद ही सुरक्षित कर देती है।’

    यह भी पढ़ें: 'हिमाचल में शूटिंग से रोजगार को मिलेगा बढ़ावा', हिम फिल्मोत्सव में द केरल स्टोरी के निर्देशक ने दिया सुझाव

    सुदीप्तो इस फिल्म के प्रोडक्शन से भी जुड़े हैं। इसके बढ़े बजट को लेकर आगे वह कहते हैं, ‘इसका बजट ज्यादा हो गया है, क्योंकि हमने बंगाल के पुरुलिया जिले और झारखंड के आदिवासी इलाके में शूट किया है। वहां तक सारा सामान लेकर जाना कठिन था। वहां हमें लोकल स्कूल की बिल्डिंग मिल गई थी, जहां क्रू के कुछ लोग रुके थे। 30 किलोमीटर दूर एक होटल मिल गया था, जिसमें कलाकार रुके थे। बाकी टेंट लगा दिए थे। 34-35 दिन की शूटिंग की थी। मैं सेट पर ही रुकता था। चूंकि फिल्म चरक मेला पर ही आधारित है, तो हमने मेले के आधे सीन असली मेले में शूट किए थे।

    Photo Credit- Instagram 

    कलाकारों के साथ वाले सीन के लिए उसी जगह सेट लगाया था। गांव के कई लोग भी फिल्म में हैं। इस मेले में रंगों से बना देवी का नकाब भी पहना जाता है। हमारी आर्ट टीम सेट पर ही थी। कैसे प्रकृति से रंग लेकर उस नकाब को पेंट किया जाता है, वह भी फिल्म में दिखाया है।’

    दिखेगी हमारी संस्कृति

    ‘चरक’ बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में जाएगी। इसे लेकर सुदीप्तो कहते हैं, ‘ सिनेमा या किसी भी आर्ट फार्म की सबसे अच्छी बात यह है कि जो असली लोगों की कहानी होती है, उसका जश्न फिल्म फेस्टिवल में मनाया जाता है। वो असली कहानियों को पसंद करते हैं। वहां लोग अपनी मिट्टी की खुशबू वाली फिल्में लेकर आते हैं। ‘चरक’ भी वही है, इसी भरोसे पर मैं इसे दुनिया को दिखाने के लिए लेकर जा रहा हूं कि भारतीय हार्टलैंड की कहानी कैसी होती है। इसमें भारतीय संस्कृति की समृद्ध झलक भी दिखेगी।’

    अंत में जीत मेरी होगी

    क्या सुदीप्तो को ऐसी कहानियां लाने में डर नहीं लगता है, जहां विवाद हो? इस पर वह कहते हैं, ‘मुझे डर नहीं लगता है। ‘द केरल स्टोरी’ के वक्त मेरी एक आंख का दाम 20 लाख, एक हाथ का दाम 10 लाख रुपया था। मुझे मारकर लटकाने के लिए एक करोड़ रुपये देने की धमकी आई थी। जब उस वक्त डर नहीं लगा, तो अब क्या लगेगा।

    मैं स्वयं को कलाकार मानता हूं। मैं किसी भी परिस्थिति को संभाल सकता हूं, बाकी मेरे मन में यही सवाल था कि समाज की जिस कुप्रथा के खिलाफ हम बात कर रहे हैं, उसके लिए अच्छी रिसर्च चाहिए, ताकि कोई अंगुली उठाए, तो हम जवाब दे सकें। मैं तो हमेशा से ही यह कहानियां कहना चाह रहा था, लेकिन पहले मौका नहीं मिल रहा था। निर्माता विपुल शाह ने ‘द केरल स्टोरी’ और ‘बस्तर : द नक्सल स्टोरी’ से वह मौका दिया। उसके बाद लगा कि ऐसा ही सिनेमा बनाना है, जिसमें मुद्दे की बात हो। कुछ लोगों को बुरा भी लगेगा, विरोध भी करेंगे, लेकिन आखिरकार आप जीतेंगे।’

    यह भी पढ़ें: The Kerala Story के बाद अब 'बस्तर' की बारी, नक्सलियों पर आधारित अदा शर्मा की अपकमिंग फिल्म