सरोजिनी नायडू की बायोपिक से बड़े पर्दे पर वापसी करेंगी अक्षय कुमार की पहली एक्ट्रेस, कहा- दिल से करुंगी वसूली
भारत कोकिला सरोजिनी नायडू की बायोपिक में नजर आने वाली शांति प्रिया 28 साल बाद बड़े पर्दे पर वापसी करेंगी। लंबे अंतराल फिल्म का अनुभव व अन्य मुद्दों पर उन्होंने प्रियंका सिंह के साथ साझा किए अपने दिल के जज्बात...

नई दिल्ली, जेएनएन। बायोपिक बनाने का चलन इस साल भी हिंदी सिनेमा में जारी है। भारत कोकिला कही जाने वाली स्वाधीनता सेनानी और क्रांतिकारी सरोजिनी नायडू (जन्म जयंती-13 फरवरी) पर भी बायोपिक बन रही है। दो अभिनेत्रियां उनकी जीवनी को पर्दे पर दर्शाएंगी। इसमें सोनल मोंटेरो युवा सरोजिनी नायडू की, जबकि 35 से 70 साल तक की आयु की सरोजिनी नायडू की भूमिका में अभिनेत्री शांति प्रिया होंगी। शांति प्रिया इस भूमिका से 28 साल बाद बड़े पर्दे पर वापसी करेंगी।
शांति प्रिया से हुई बातचीत में उन्होंने कहा, 'मुझे गर्व है कि मैं इतनी मजबूत महिला की जीवनी बड़े पर्दे पर जीने वाली हूं। मैंने हमेशा अपनी फिल्म में खुद के लिए सशक्त रोल ही तलाशे, फिर चाहे वह तमिल, तेलुगु या हिंदी फिल्में हों। तब बड़ी मुश्किल से मैं खुद के लिए रोल तलाश पाती थी। अब माहौल बदल चुका है। अब हीरोइन-हीरो नहीं, कंटेंट प्रमुख है।'
इससे अच्छा कुछ नहीं
सरोजिनी नायडू की बायोपिक हिंदी, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में बन रही है। यह शांति प्रिया की पहली पैन इंडिया फिल्म होगी। इस बाबत शांति प्रिया कहती हैं, 'मैं खुश हूं कि यह फिल्म चार भाषाओं में बन रही है। इससे सरोजिनी नायडू की कहानी बड़ी संख्या में दर्शकों तक पहुंचेगी। हम इस फिल्म को तीन भाषाओं में एक समय पर शूट करेंगे। तेलुगु, तमिल और हिंदी की डबिंग तो मैं ही करने वाली हूं। सरोजिनी नायडू खुद दक्षिण भारत से थीं, तो अगर मेरी हिंदी में थोड़ा सा वहां का टच रह जाएगा, तो वह स्वाभाविक लगेगा। यह मेरी पहली पैन इंडिया फिल्म होगी। इस बायोपिक में काम करने से मुझे फिल्म इंडस्ट्री के नए तरीकों से काम करने की प्रक्रिया समझ आई।'
मुश्किल काम देता है ऊर्जा
इस फिल्म की तैयारियों को लेकर शांति प्रिया आगे कहती हैं,'इस भूमिका को निभाने के लिए मैं अपनी तरफ से भी सरोजिनी नायडू से संबंधित जानकारी इन दिनों जुटा रही हूं। वह एक मजबूत व्यक्तित्व वाली महिला थीं। ऐसे में मुझे उनकी तरह दिखने के लिए 10-12 किलोग्राम वजन तो बढ़ाना पड़ ही रहा है। साथ ही उनके हावभाव, चलने-बैठने, बोलने का तरीका भी सीखना पड़ रहा है। वह तेजी से बोलती और चलती थीं, वह बाडी लैंग्वेज मुझे खुद में लानी होगी, सिर्फ संवाद बोलकर कुछ नहीं होगा। यह एक चुनौतीपूर्ण रोल है। काम जब चुनौतीपूर्ण होता है, तो अंदर अपने आप एक ऊर्जा आ जाती है। मैंने बड़े पर्दे को बहुत मिस किया है। जो वक्त मैंने इससे दूर होकर खोया है, वह सारा इस फिल्म में पूरी मेहनत लगाकर वसूल करने वाली हूं।'

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।